पूर्व मंत्री रेणुका चौधरी ने कहा है कि वंदे मातरम् आजादी का गीत है, लेकिन इसे किसी पर थोपा न जाए.
नई दिल्ली:
पूर्व केंद्रीय मंत्री रेणुका चौधरी ने कहा है कि ‘वंदे मातरम्’ आजादी का गीत है, लेकिन यह किसी पर जबरन नहीं थोपा जाना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने गौरक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों को राष्ट्रविरोधी तत्व करार दिया और कहा कि सरकार को इस तरह के मामलों में सख्ती से निपटना चाहिए.
‘वंदे मातरम्’ पर मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले से पैदा हुए राजनीतिक विवाद के बीच राज्यसभा सदस्य रेणुका ने कहा कि यह आजादी का गीत है और नि:संदेह इससे देशभक्ति की भावना उत्पन्न होती है तथा देशभक्ति स्वयं से उत्पन्न होने वाली भावना भी है. इसे किसी पर थोपा नहीं जाना चाहिए. कोई भी चीज किसी पर जबरन थोपना ‘‘फिजूल’’ का मुद्दा है.
मद्रास हाई कोर्ट ने हाल में फैसला दिया था कि तमिलनाडु में सभी स्कूल-कॉलेजों में ‘‘सप्ताह में कम से कम एक बार’’ और सरकारी तथा निजी कार्यालयों में ‘‘महीने में कम से कम एक बार’’ राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ गाया जाना चाहिए.
यह भी पढ़ें : 'वंदे मातरम' न गाने से कोई देशद्रोही नहीं हो जाता : केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी
आदेश पारित करते हुए अदालत ने कहा था, ‘‘व्यापक जनहित को ध्यान में रखते हुए तथा राज्य के प्रत्येक व्यक्ति में देशभक्ति की भावना भरने के लिए सभी स्कूल-कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में सप्ताह में कम से कम एक बार (विशेषत: सोमवार या शुक्रवार) राष्ट्रगीत वंदे मातरम् गाया जाएगा.’’ इसने कहा था, ‘‘सभी सरकारी कार्यालयों और संस्थानों/निजी कंपनियों/कारखानों और उद्योगों में महीने में कम से कम एक बार’’ ‘वंदे मातरम्’ गाया और बजाया जाएगा.
यह भी पढ़ें : तमिलनाडु के स्कूलों में अनिवार्य रूप से गाना होगा राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम': मद्रास हाईकोर्ट
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अदालत ने यह भी कहा था, ‘‘यदि लोगों को गीत को बंगाली या संस्कृत में गाने में दिक्कत होती है तो तमिल में इसके अनुवाद के लिए कदम उठाए जाने चाहिए.’’ इसने कहा था, ‘‘यदि किसी व्यक्ति/संगठन को राष्ट्रगीत गाने या बजाने में कोई दिक्कत है तो उसे इसे गाने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा, लेकिन ऐसा न करने के वैध कारण होने चाहिए.’’ रेणुका ने कहा कि वंदे मातरम् निश्चित तौर पर देशभक्ति से जुड़ा है और देशभक्ति स्वयं से उत्पन्न होने वाली भावना है. इसे किसी पर थोपना गलत है.
VIDEO : वंदे मातरम् पर विवाद
गौरक्षा के नाम पर हिंसा के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि गौरक्षा के नाम पर हिंसा करने वाले ‘राष्ट्रविरोधी’ तत्व हैं और उनसे सख्ती से निपटा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मुद्दे पर बोल चुके हैं तो ये घटनाएं रुक जानी चाहिए. अगर तब भी घटनाएं नहीं रुकती हैं तो इससे कई सवाल खड़े होते हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
‘वंदे मातरम्’ पर मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले से पैदा हुए राजनीतिक विवाद के बीच राज्यसभा सदस्य रेणुका ने कहा कि यह आजादी का गीत है और नि:संदेह इससे देशभक्ति की भावना उत्पन्न होती है तथा देशभक्ति स्वयं से उत्पन्न होने वाली भावना भी है. इसे किसी पर थोपा नहीं जाना चाहिए. कोई भी चीज किसी पर जबरन थोपना ‘‘फिजूल’’ का मुद्दा है.
मद्रास हाई कोर्ट ने हाल में फैसला दिया था कि तमिलनाडु में सभी स्कूल-कॉलेजों में ‘‘सप्ताह में कम से कम एक बार’’ और सरकारी तथा निजी कार्यालयों में ‘‘महीने में कम से कम एक बार’’ राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ गाया जाना चाहिए.
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आदेश पारित करते हुए अदालत ने कहा था, ‘‘व्यापक जनहित को ध्यान में रखते हुए तथा राज्य के प्रत्येक व्यक्ति में देशभक्ति की भावना भरने के लिए सभी स्कूल-कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में सप्ताह में कम से कम एक बार (विशेषत: सोमवार या शुक्रवार) राष्ट्रगीत वंदे मातरम् गाया जाएगा.’’ इसने कहा था, ‘‘सभी सरकारी कार्यालयों और संस्थानों/निजी कंपनियों/कारखानों और उद्योगों में महीने में कम से कम एक बार’’ ‘वंदे मातरम्’ गाया और बजाया जाएगा.
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अदालत ने यह भी कहा था, ‘‘यदि लोगों को गीत को बंगाली या संस्कृत में गाने में दिक्कत होती है तो तमिल में इसके अनुवाद के लिए कदम उठाए जाने चाहिए.’’ इसने कहा था, ‘‘यदि किसी व्यक्ति/संगठन को राष्ट्रगीत गाने या बजाने में कोई दिक्कत है तो उसे इसे गाने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा, लेकिन ऐसा न करने के वैध कारण होने चाहिए.’’ रेणुका ने कहा कि वंदे मातरम् निश्चित तौर पर देशभक्ति से जुड़ा है और देशभक्ति स्वयं से उत्पन्न होने वाली भावना है. इसे किसी पर थोपना गलत है.
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गौरक्षा के नाम पर हिंसा के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि गौरक्षा के नाम पर हिंसा करने वाले ‘राष्ट्रविरोधी’ तत्व हैं और उनसे सख्ती से निपटा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मुद्दे पर बोल चुके हैं तो ये घटनाएं रुक जानी चाहिए. अगर तब भी घटनाएं नहीं रुकती हैं तो इससे कई सवाल खड़े होते हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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