
फाइल फोटो
नई दिल्ली:
नेशनल हाइवे अथॉरिटी यानी एनएचएआई ने उत्तराखंड सरकार से कहा है कि राज्य में राष्ट्रीय राजमार्ग – 74 के लिये हुये कथित ज़मीन घोटाले की जांच से उसके (एनएचएआई) अधिकारियों के नाम हटाये जाएं. एनएचएआई के चेयरमैन युद्धवीर सिंह मलिक ने 26 मई के राज्य के मुख्य सचिव को लिखी चिट्ठी में कहा है कि एनएचएआई के अधिकारियों का राज्य में कथित 300 करोड़ के ज़मीन घोटाले से कोई लेना देना नहीं है और इन अधिकारियों के नाम एफआईआर से हटाए जाएं. महत्वपूर्ण है कि पहले एनएचएआई ने अपने बयान में कहा था कि वह किसी जांच से नहीं बच रही लेकिन पिछले गुरुवार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात के अगले ही दिन एनएचएआई के चेयरमैन ने राज्य सरकार को चिट्ठी लिखी है.
चिट्ठी में मलिक ने कहा है कि ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में अथॉरिटी के अधिकारियों का रोल नहीं है और इस बारे में राज्य सरकार कानूनी सलाह ले. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने भी नितिन गडकरी से मिलने के बाद कहा था कि इस बारे में उनकी सरकार कानूनी सलाह लेगी. एनडीटीवी इंडिया ने आपको पिछले हफ्ते ख़बर दिखाई थी कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश को उत्तराखंड के कुमाऊं से जोड़ने वाली सड़क एनएच-74 के लिये बड़े पैमाने पर ज़मीन अधिग्रहित की गई. इसमें अनियमिताओं की बात सामने आई और कुमाऊं के कमिश्नर की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने इसकी जांच की. जांच में पाया गया कि कृषि भूमि को नॉन–एग्रीकल्चर लैंड दिखाया गया और मुआवज़े की रकम कई गुना बढ़ाई गई. मुआवज़ा देने का काम अथॉरिटी के ही जिम्मे है.
कमेटी की जांच में यह घोटाला 300 करोड़ रुपये से अधिक का है. इस मामले में राज्य के कई अधिकारियों को सस्पेंड किया जा चुका है. इस साल मार्च में राज्य का मुख्यमंत्री बनने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस घोटाले की जांच की बात कही और इसे सीबीआई को सौंपने का फैसला किया लेकिन सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की पिछली 5 अप्रैल को उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को लिखी इस चिट्ठी में गडकरी ने लिखा है कि इस कार्रवाई से प्रोजेक्ट के अफसरों के मनोबल पर विपरीत असर पड़ेगा.
एनएचएआई और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने राज्य सरकार से कहा है कि इस हालात में राज्य में अथॉरिटी के प्रोजेक्ट्स पर असर पड़ेगा. युद्धवीर सिंह मलिक ने अपने ताज़ा पत्र में भी यही बात दोहराई है. उधर राज्य के कांग्रेस नेताओं ने इस मामले को लेकर अब बीजेपी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है.
चिट्ठी में मलिक ने कहा है कि ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में अथॉरिटी के अधिकारियों का रोल नहीं है और इस बारे में राज्य सरकार कानूनी सलाह ले. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने भी नितिन गडकरी से मिलने के बाद कहा था कि इस बारे में उनकी सरकार कानूनी सलाह लेगी. एनडीटीवी इंडिया ने आपको पिछले हफ्ते ख़बर दिखाई थी कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश को उत्तराखंड के कुमाऊं से जोड़ने वाली सड़क एनएच-74 के लिये बड़े पैमाने पर ज़मीन अधिग्रहित की गई. इसमें अनियमिताओं की बात सामने आई और कुमाऊं के कमिश्नर की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने इसकी जांच की. जांच में पाया गया कि कृषि भूमि को नॉन–एग्रीकल्चर लैंड दिखाया गया और मुआवज़े की रकम कई गुना बढ़ाई गई. मुआवज़ा देने का काम अथॉरिटी के ही जिम्मे है.
कमेटी की जांच में यह घोटाला 300 करोड़ रुपये से अधिक का है. इस मामले में राज्य के कई अधिकारियों को सस्पेंड किया जा चुका है. इस साल मार्च में राज्य का मुख्यमंत्री बनने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस घोटाले की जांच की बात कही और इसे सीबीआई को सौंपने का फैसला किया लेकिन सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की पिछली 5 अप्रैल को उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को लिखी इस चिट्ठी में गडकरी ने लिखा है कि इस कार्रवाई से प्रोजेक्ट के अफसरों के मनोबल पर विपरीत असर पड़ेगा.
एनएचएआई और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने राज्य सरकार से कहा है कि इस हालात में राज्य में अथॉरिटी के प्रोजेक्ट्स पर असर पड़ेगा. युद्धवीर सिंह मलिक ने अपने ताज़ा पत्र में भी यही बात दोहराई है. उधर राज्य के कांग्रेस नेताओं ने इस मामले को लेकर अब बीजेपी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है.
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