आईएनएस विक्रमादित्य पर मनोहर पर्रिकर और नेवी के अधिकारियों के साथ एशटन कार्टर।
नई दिल्ली:
अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर तीन दिनों के दौरे पर भारत पहुंच चुके हैं। कार्टर ने रविवार को दौरे की शुरुआत रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के गृह राज्य गोवा से की। गोवा में रक्षा मंत्री पर्रिकर ने कार्टर को देश के सबसे बड़े विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य पर भोज दिया। यह पहली बार है जब किसी विदेशी रक्षा मंत्री की आगवानी भारत के रक्षा मंत्री ने अपने गृह राज्य में की।
भारत के विरोध के बावजूद पाकिस्तान को दिए लड़ाकू विमान
अमेरिकी रक्षा मंत्री भारत यात्रा से पहले कड़े विरोध के बावजूद पाकिस्तान को लड़ाकू विमान और अटैक हेलीकॉप्टर देने पर हामी भर चुके हैं। यहां यह भी नहीं भूलना चाहिए कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बुलावे पर चीन के राष्ट्रपति 17 सितंबर 2014 शी जिनपिंग प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात गए थे और उसी दौरान एक हजार चीनी सैनिक अतिक्रमण कर भारतीय इलाके लद्दाख में घुस गए थे। बाद में बड़ी मशक्कत के बाद चीनी सैनिक कई दिन बाद अपने इलाके में वापस गए।
चीन के कारण अमेरिका की भारत से नजदीकी
यह बात किसी से छुपी नहीं है कि चीन की बढ़ती ताकत को रोकने के लिए अमेरिका भारत के साथ सामरिक तौर और करीब आना चाहता है। शायद यही वजह है कि एक साल के भीतर अमेरिकी रक्षा मंत्री दूसरी बार भारत आए हैं। कार्टर सोमवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात करेंगे। अमेरिका की कोशिश भारत के साथ रक्षा सहयोग को दीर्घकालिक साझेदारी पर बदलने की होगी। अमेरिका मेक इन इंडिया के तहत भारत में लड़ाकू विमान एफ-16 और एफ-18 बनाने का प्रस्ताव भी रखेगा।
अमेरिका लॉजिस्टक सपोर्ट सिस्टम एग्रीमेंट का इच्छुक
अमेरिका भारत के साथ लॉजिस्टक सपोर्ट सिस्टम एग्रीमेंट भी करना चाहता है जिसके तहत अमेरिकी युद्धपोत भारतीय बंदरगाह में तेल और ईंधन भर सकें लेकिन भारत का इस पर कहना है कि वह अमेरिका के साथ ऐसा समझौता शांति काल के लिए तो कर सकता है लेकिन युद्ध के दौरान नहीं।
इससे पहले भारत के विरोध के बावजूद अमेरिका ने पाकिस्तान को आठ और नए लड़ाकू विमान एफ-16 और नौ अटैक हेलीकॉप्टर देने का फैसला कर लिया है। अमेरिका का तर्क है कि पाकिस्तान को यह हथियार आतंकवाद के खिलाफ उसकी लड़ाई में सहयोग के लिए दिए जा रहे हैं जबकि भारत का कहना है कि पाकिस्तान इन हथियारों का इस्तेमाल आतंकवाद के खिलाफ न करके भारत के खिलाफ करेगा।
भारत के विरोध के बावजूद पाकिस्तान को दिए लड़ाकू विमान
अमेरिकी रक्षा मंत्री भारत यात्रा से पहले कड़े विरोध के बावजूद पाकिस्तान को लड़ाकू विमान और अटैक हेलीकॉप्टर देने पर हामी भर चुके हैं। यहां यह भी नहीं भूलना चाहिए कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बुलावे पर चीन के राष्ट्रपति 17 सितंबर 2014 शी जिनपिंग प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात गए थे और उसी दौरान एक हजार चीनी सैनिक अतिक्रमण कर भारतीय इलाके लद्दाख में घुस गए थे। बाद में बड़ी मशक्कत के बाद चीनी सैनिक कई दिन बाद अपने इलाके में वापस गए।
चीन के कारण अमेरिका की भारत से नजदीकी
यह बात किसी से छुपी नहीं है कि चीन की बढ़ती ताकत को रोकने के लिए अमेरिका भारत के साथ सामरिक तौर और करीब आना चाहता है। शायद यही वजह है कि एक साल के भीतर अमेरिकी रक्षा मंत्री दूसरी बार भारत आए हैं। कार्टर सोमवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात करेंगे। अमेरिका की कोशिश भारत के साथ रक्षा सहयोग को दीर्घकालिक साझेदारी पर बदलने की होगी। अमेरिका मेक इन इंडिया के तहत भारत में लड़ाकू विमान एफ-16 और एफ-18 बनाने का प्रस्ताव भी रखेगा।
अमेरिका लॉजिस्टक सपोर्ट सिस्टम एग्रीमेंट का इच्छुक
अमेरिका भारत के साथ लॉजिस्टक सपोर्ट सिस्टम एग्रीमेंट भी करना चाहता है जिसके तहत अमेरिकी युद्धपोत भारतीय बंदरगाह में तेल और ईंधन भर सकें लेकिन भारत का इस पर कहना है कि वह अमेरिका के साथ ऐसा समझौता शांति काल के लिए तो कर सकता है लेकिन युद्ध के दौरान नहीं।
इससे पहले भारत के विरोध के बावजूद अमेरिका ने पाकिस्तान को आठ और नए लड़ाकू विमान एफ-16 और नौ अटैक हेलीकॉप्टर देने का फैसला कर लिया है। अमेरिका का तर्क है कि पाकिस्तान को यह हथियार आतंकवाद के खिलाफ उसकी लड़ाई में सहयोग के लिए दिए जा रहे हैं जबकि भारत का कहना है कि पाकिस्तान इन हथियारों का इस्तेमाल आतंकवाद के खिलाफ न करके भारत के खिलाफ करेगा।
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