भारत में अमेरिका की राजदूत नैन्सी पॉवेल की योजना भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने की है। पॉवेल की योजना से, वर्ष 2002 में हुए गुजरात दंगों के सिलसिले में मोदी को लेकर अमेरिका के रूख में बदलाव का संकेत मिलता है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया 'हम (मोदी और पॉवेल के बीच) मुलाकात (अपॉइंटमेंट) तय होने के बारे में पुष्टि कर सकते हैं।' मोदी से मुलाकात का आग्रह पॉवेल ने किया था, लेकिन प्रवक्ता ने मुलाकात की संभावित तारीख के बारे में कुछ नहीं कहा।
समझा जाता है कि यह मुलाकात इसी माह अहमदाबाद में होगी।
प्रवक्ता ने कहा 'यह अमेरिका-भारत संबंधों पर जोर देने के लिए वरिष्ठ राजनीतिक और कारोबारी नेताओं तक पहुंचने के लिए नवंबर में शुरू हुए हमारे प्रयासों का हिस्सा है।' पिछले सप्ताहों में यहां के प्रभावशाली विचार समूहों ने कई सार्वजनिक बैठकें आयोजित कीं गईं थी, जिनमें निष्कर्ष निकाला गया था कि आगामी चुनावों में मोदी की अगुवाई में भाजपा फिहलाल जीत की ओर अग्रसर है।
'द ओवरसीज फ्रैंड्स ऑफ बीजेपी' (ओएफबीजेपी) की अमेरिकी शाखा के अध्यक्ष चंद्रकांत पटेल ने इस सिलसिले में ओबामा प्रशासन द्वारा किए गए फैसले का स्वागत किया है। पटेल ने कहा, 'हम अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और विदेश मंत्री जॉन केरी द्वारा किए गए इस फैसले की अत्यंत सराहना करते हैं। इससे भारत अमेरिका संबंधों को और अधिक मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।'
उन्होंने कहा, 'मोदी फिलहाल देश में सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हैं। भारत की सभी अदालतों ने उन्हें क्लीन चिट दी है जिसे देखते हुए मोदी के साथ रिश्ते नहीं रखना अमेरिका की ओर से सही नहीं है।' वर्ष 2005 में अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने वर्ष 2002 में गुजरात में हुए दंगों के मद्देनजर मोदी का वीजा रद्द कर दिया था।
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