
प्रतीकात्मक तस्वीर...
नई दिल्ली:
उत्तरीय रेलवे मजदूर यूनियन (यूआरएमयू) द्वारा 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट के विरोध में दिल्ली रेलवे स्टेशन पर धरना-प्रदर्शन किया गया। कामगारों को संबोधित करते हुए यूआरएमयू के महामंत्री बीसी शर्मा ने कहा कि 7वें वेतन आयोग में जो खामियां हैं, सरकार उन्हें तुरंत दूर करे, जैसा की जेसीएम द्वारा भारत सरकार को ज्ञापन भेजा जा चुका है। अगर 7वें वेतन आयोग की खामियों को दूर नहीं किया गया तो 11 जुलाई 2016 से रेल का चक्का जाम किया जाएगा, जिसके फलस्वरूप अनिश्चितकालीन हड़ताल हो जाएगी। उन्होंने कर्मचारियों से खुलेमंच पर यह प्रस्ताव पास करवाकर भारत सरकार को ललकारा, जिसका समर्थन भारी संख्या में रेल कामगारों एवं तमाम फेडरेशनों ने किया।
उन्हाेंने कहा कि 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट में रेलवे एवं केंद्रीय कामगारों के साथ घोर अन्याय किया गया है, जिसके कारण रेल कामगारों में भारी रोष है। वेतन आयोग ने रेल कामगारों की कार्यशैली को पूरी तरह नजरअंदाज किया है, जबकि रेलवे भारत सरकार की दूसरी डिफेंस फोर्स है। रेलवे कामगार 24 घंटे गाड़ी चलाता है तथा रेलवे विभाग आपात स्थिति के समय हमेशा आगे रहती है। शर्मा ने कहा कि उन्होंने ने कहा कि रेल का चक्का जाम होने से देश और नागरिकों का जो नुकसान होगा, उसकी पूरी जिम्मेदारी भारत सरकार की होगी, क्योंकि रेलवे यातायात का प्रमुख साधन है।
वहीं, यूआरएमयू के अध्यक्ष एसएन मलिक ने कहा कि 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट में न्यूनतम वेतन तथा मल्टिप्लाइंग फैक्टर निर्धारित करने में केंद्रीय कर्मचारी खासकर रेलवे कर्मचारियों के साथ घोर अन्याय किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि कर्मचारियों की 26 सूत्रीय मांग को स्वीकार किया जाए, जिससे उनमें व्यापित रोष को दूर किया जा सके। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मांग उठाई कि रेलवे में एफडीआई, ठेकेदारी प्रथा को बंद किया जाए।
उन्हाेंने कहा कि 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट में रेलवे एवं केंद्रीय कामगारों के साथ घोर अन्याय किया गया है, जिसके कारण रेल कामगारों में भारी रोष है। वेतन आयोग ने रेल कामगारों की कार्यशैली को पूरी तरह नजरअंदाज किया है, जबकि रेलवे भारत सरकार की दूसरी डिफेंस फोर्स है। रेलवे कामगार 24 घंटे गाड़ी चलाता है तथा रेलवे विभाग आपात स्थिति के समय हमेशा आगे रहती है। शर्मा ने कहा कि उन्होंने ने कहा कि रेल का चक्का जाम होने से देश और नागरिकों का जो नुकसान होगा, उसकी पूरी जिम्मेदारी भारत सरकार की होगी, क्योंकि रेलवे यातायात का प्रमुख साधन है।
वहीं, यूआरएमयू के अध्यक्ष एसएन मलिक ने कहा कि 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट में न्यूनतम वेतन तथा मल्टिप्लाइंग फैक्टर निर्धारित करने में केंद्रीय कर्मचारी खासकर रेलवे कर्मचारियों के साथ घोर अन्याय किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि कर्मचारियों की 26 सूत्रीय मांग को स्वीकार किया जाए, जिससे उनमें व्यापित रोष को दूर किया जा सके। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मांग उठाई कि रेलवे में एफडीआई, ठेकेदारी प्रथा को बंद किया जाए।
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