नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट करीब 18 साल पहले दक्षिण दिल्ली के ग्रीन पार्क इलाके में स्थित उपहार सिनेमा में हुए अग्निकांड के मामले में दोषी अंसल बंधुओं की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई कर सकता है। फिल्म 'बॉर्डर' के प्रदर्शन के दौरान 13 जून, 1997 को हुए इस हादसे में 59 दर्शकों की मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए थे।
न्यायमूर्ति ए.आर. दवे, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति अमिताव राय की तीन सदस्यीय पीठ इस मामले में अपील पर सुनवाई करेगी। कोर्ट ने अग्निकांड पीड़ितों के संगठन की अर्जी के बाद इसे बोर्ड पर सबसे ऊपर रखा है।
उपहार त्रासदी के पीड़ितों के संगठन की अध्यक्ष नीलम कृष्णामूर्ति ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अंसल के वकील एक बार फिर सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि दोषियों के वकील के अनुरोध पर पहले भी सुनवाई स्थगित हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि मामला सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होने पर वे हर बार यही तरीका अपनाते थे। वे स्थगन का अनुरोध करते हैं, क्योंकि वे जेल की सलाखों के पीछे नहीं जाना चाहते।
इससे पहले, न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर और न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्र (अब सेवानिवृत्त) की पीठ ने पांच मार्च, 2014 को सुशील अंसल और गोपाल अंसल को दोषी ठहराया था, लेकिन दोनों न्यायाधीश दोषियों को सजा की मात्रा पर एकमत नहीं थे।
न्यायमूर्ति ठाकुर ने अंसल बंधुओं को एक साल की सजा देने संबंधी हाईकोर्ट के 2008 के फैसले से सहमति व्यक्त की थी, लेकिन न्यायमूर्ति मिश्रा ने सुशील अंसल की उम्र को ध्यान में रखते हुए इस सजा को जेल में बिताई गई अवधि तक सीमित करते हुए गोपाल की सजा बढ़ाकर दो साल कर दी थी।
इसके बाद प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय खंडपीठ को इस मामले की सुनवाई करनी थी लेकिन 21 अप्रैल को अंसल बंधुओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एन नागेश्वर राव के अनुरोध पर सुनवाई स्थगित हो गयी थी।
न्यायमूर्ति ए.आर. दवे, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति अमिताव राय की तीन सदस्यीय पीठ इस मामले में अपील पर सुनवाई करेगी। कोर्ट ने अग्निकांड पीड़ितों के संगठन की अर्जी के बाद इसे बोर्ड पर सबसे ऊपर रखा है।
उपहार त्रासदी के पीड़ितों के संगठन की अध्यक्ष नीलम कृष्णामूर्ति ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अंसल के वकील एक बार फिर सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि दोषियों के वकील के अनुरोध पर पहले भी सुनवाई स्थगित हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि मामला सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होने पर वे हर बार यही तरीका अपनाते थे। वे स्थगन का अनुरोध करते हैं, क्योंकि वे जेल की सलाखों के पीछे नहीं जाना चाहते।
इससे पहले, न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर और न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्र (अब सेवानिवृत्त) की पीठ ने पांच मार्च, 2014 को सुशील अंसल और गोपाल अंसल को दोषी ठहराया था, लेकिन दोनों न्यायाधीश दोषियों को सजा की मात्रा पर एकमत नहीं थे।
न्यायमूर्ति ठाकुर ने अंसल बंधुओं को एक साल की सजा देने संबंधी हाईकोर्ट के 2008 के फैसले से सहमति व्यक्त की थी, लेकिन न्यायमूर्ति मिश्रा ने सुशील अंसल की उम्र को ध्यान में रखते हुए इस सजा को जेल में बिताई गई अवधि तक सीमित करते हुए गोपाल की सजा बढ़ाकर दो साल कर दी थी।
इसके बाद प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय खंडपीठ को इस मामले की सुनवाई करनी थी लेकिन 21 अप्रैल को अंसल बंधुओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एन नागेश्वर राव के अनुरोध पर सुनवाई स्थगित हो गयी थी।
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