UP के चुनावी शोर के बीच अलीगढ़ के वर्ल्ड फेमस 'ताले' और AMU की तालीम का क्या है हाल? देखें ग्राउंड रिपोर्ट

ज्यादातर हाथ से बने इन तालों की मांग भारत के अलावा बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल और तमाम अफ्रीकी देशों में है. इसी के चलते आज ताला उद्योग से करीब 5 लाख लोग सीधे तौर पर जुड़े़ हैं, लेकिन अब ये ताला उद्योग संकट में है.

UP के चुनावी शोर के बीच अलीगढ़ के वर्ल्ड फेमस 'ताले' और AMU की तालीम का क्या है हाल? देखें ग्राउंड रिपोर्ट

चीन के सस्ते तालों की तुलना में अलीगढ़ का ताला महंगा (प्रतीकात्मक तस्वीर)

अलीगढ़:

उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार के बीच देशभर में 80 फीसदी ताला सप्लाई करने वाले अलीगढ़ (Aligarh) में ताला उद्योग और विश्वविद्यालय की तालीम की क्या हालत है आइए जानते हैं. अलीगढ़ की पहचान इन तालों की वजह से देश और दुनिया में है. ज्यादातर हाथ से बने इन तालों की मांग भारत के अलावा बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल और तमाम अफ्रीकी देशों में है. इसी के चलते आज ताला उद्योग से करीब 5 लाख लोग सीधे तौर पर जुड़े़ हैं, लेकिन अब ये ताला उद्योग संकट में है.

दरअसल, ताले में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की कीमत बढ़ी है. ताले पर जीएसटी (GST) 18 फीसदी है. कोविड के चलते दो साल से ताला उद्योग पर ताला लगा रहा. चीन के सस्ते तालों की तुलना में अलीगढ़ का ताला महंगा हो रहा है. अब चुनाव प्रचार के शोर में सरकार से कच्चे माल पर सब्सिडी बढ़ाने की मांग की जा रही है.

अलीगढ़ के ताला कारोबारी इकबाल हुसैन ने बताया कि कच्चा माला जो पहले 40 रुपए किलो था, अब 60-70 रुपए हो चुका है. इसकी वजह से हमारा ताला मंहगा हो रहा है. एक अन्य ताला कारोबारी मोहम्मद तनवीर ने कहा कि हमारा ताला मशहूर है, लेकिन कोविड में धंधा बिल्कुल चौपट हो गया था. 

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अलीगढ़ में चल रहे चुनाव प्रचार में खूब भीड़ जुट रही है, लेकिन 55 हजार स्टूडेंट और देश-विदेश में मशहूर अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के बाहर सन्नाटा है. शमीम और जैद दोनों बॉटिनिकल के रिसर्च स्कालर हैं. दो साल से यूनिवर्सिटी बंद होने से अब इनके रिसर्च तीन साल की जगह पांच से 6 साल में पूरे होंगे.

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के रिसर्च स्कॉलर सलमान ने कहा कि दो ढ़ाई साल से यूनिवर्सिटी बंद है, तो कितना स्टूडेंट प्रभावित होता है. मेरी रिसर्च तीन साल में पूरी होनी थी लेकिन अब छह साल में पूरी होगी. मॉल खुल गए, बाजार खुल गए , लेकिन सभी विश्वविद्यालय बंद हैं.

चुनाव प्रचार में बड़े-बड़े मंत्री से लेकर विपक्षी नेताओं का लगातार दौरा हो रहा है, लेकिन गर्मी निकालने और चर्बी कम करने की बात ज्यादा और छात्र मजदूर से जुड़े मुद्दों की चर्चा कम हो रही है. 

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