मायावती ने कहा कि बाकी उम्मीदवारों के नाम की सूची जल्द सार्वजनिक कर दी जाएगी
लखनऊ:
अगले महीने से कुल सात चरणों में शुरू होने जा रहे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 'दलित-मुस्लिम-ब्राह्मण' के समीकरण के बल पर अपनी नैया पार लगाने के प्रति आश्वस्त बहुजन समाज पार्टी (बसपा या बीएसपी) ने गुरुवार को प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करते हुए 100 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. पार्टी के मुताबिक, प्रत्याशियों की अगली सूची शुक्रवार को जारी की जाएगी.
राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के नेतृत्व वाली बीएसपी ने मुख्य रूप से सत्तासीन समाजवादी पार्टी (सपा या एसपी) का वोट बैंक माने जाने वाले मुसलमान समुदाय की करीब 20 प्रतिशत भागीदारी के मद्देनज़र उन्हें अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए 100 प्रत्याशियों की पहली सूची में 36 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं.
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बीएसपी द्वारा जारी किए गए बयान के मुताबिक पार्टी मुखिया मायावती ने प्रत्याशियों के नाम घोषित करते हुए कहा है कि बाकी सीटों पर भी उम्मीदवारों के नाम की सूची जल्द सार्वजनिक कर दी जाएगी.
मायावती ने पिछले मंगलवार को राजधानी लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि बीएसपी ने प्रदेश विधानसभा की सभी 403 सीटों पर प्रत्याशी तय कर लिए हैं, जिनमें से 87 टिकट दलितों को, 97 टिकट मुसलमानों को और 106 सीटों पर टिकट अन्य पिछड़े वर्गों से ताल्लुक रखने वाले उम्मीदवारों को दिए गए हैं.
बीएसपी की मुखिया ने कहा था कि दलितों, मुस्लिमों तथा अन्य पिछड़े वर्गों के 290 प्रत्याशियों के अतिरिक्त बाकी 113 सीटों पर अगड़ी जातियों को टिकट दिए गए हैं, जिनमें से ब्राह्मणों को 66, क्षत्रियों को 36, कायस्थ, वैश्य और सिख बिरादरी के 11 लोगों को बीएसपी का उम्मीदवार बनाया गया है.
मायावती ने यह भी कहा था कि विपक्षी दलों के लोग बीएसपी पर जातिवादी पार्टी होने का आरोप लगाते हैं, लेकिन पार्टी ने समाज के सभी वर्गों के लोगों को टिकट देकर साबित किया है कि वह बिल्कुल भी जातिवादी नहीं है.
विशेषज्ञों का मानना है कि मुसलमानों का एकजुट वोट किसी भी सियासी समीकरण को बना और बिगाड़ सकता है. वर्ष 2012 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में मुसलमानों के लगभग एक-पक्षीय मतदान की वजह से एसपी को खासा बहुमत मिला था.
उत्तर प्रदेश विधानसभा की कुल 403 में से करीब 125 सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाने वाले मुसलमानों का वोट इस बार अगर विभाजित हुआ तो माना जा रहा है कि इसका सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को होगा. यही वजह है कि बीएसपी प्रमुख मायावती ने मुसलमानों को सलाह देते हुए कहा था कि एसपी दो टुकड़ों में बंट गई है, लिहाज़ा मुसलमान उन्हें वोट देकर अपना मत बेकार न करें.
राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के नेतृत्व वाली बीएसपी ने मुख्य रूप से सत्तासीन समाजवादी पार्टी (सपा या एसपी) का वोट बैंक माने जाने वाले मुसलमान समुदाय की करीब 20 प्रतिशत भागीदारी के मद्देनज़र उन्हें अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए 100 प्रत्याशियों की पहली सूची में 36 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं.
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बीएसपी की मुखिया ने कहा था कि दलितों, मुस्लिमों तथा अन्य पिछड़े वर्गों के 290 प्रत्याशियों के अतिरिक्त बाकी 113 सीटों पर अगड़ी जातियों को टिकट दिए गए हैं, जिनमें से ब्राह्मणों को 66, क्षत्रियों को 36, कायस्थ, वैश्य और सिख बिरादरी के 11 लोगों को बीएसपी का उम्मीदवार बनाया गया है.
मायावती ने यह भी कहा था कि विपक्षी दलों के लोग बीएसपी पर जातिवादी पार्टी होने का आरोप लगाते हैं, लेकिन पार्टी ने समाज के सभी वर्गों के लोगों को टिकट देकर साबित किया है कि वह बिल्कुल भी जातिवादी नहीं है.
विशेषज्ञों का मानना है कि मुसलमानों का एकजुट वोट किसी भी सियासी समीकरण को बना और बिगाड़ सकता है. वर्ष 2012 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में मुसलमानों के लगभग एक-पक्षीय मतदान की वजह से एसपी को खासा बहुमत मिला था.
उत्तर प्रदेश विधानसभा की कुल 403 में से करीब 125 सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाने वाले मुसलमानों का वोट इस बार अगर विभाजित हुआ तो माना जा रहा है कि इसका सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को होगा. यही वजह है कि बीएसपी प्रमुख मायावती ने मुसलमानों को सलाह देते हुए कहा था कि एसपी दो टुकड़ों में बंट गई है, लिहाज़ा मुसलमान उन्हें वोट देकर अपना मत बेकार न करें.
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