सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पूर्व यूनिटेक प्रमोटर रमेश चंद्रा (Unitech Promoter Ramesh Chandra) को मनी लॉन्ड्रिंग मामले (money laundering cases) में सुनवाई कर रही विशेष अदालत से जमानत का अनुरोध करने की अनुमति दे दी. प्रवर्तन निदेशालय की ओर से यह केस रियल एस्टेट दिग्गज व उसके प्रमोटर्स रमेश चंद्रा और उनके बेटे संजय और अजय के खिलाफ चलाया जा रहा है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की दो सदस्यीय पीठ ने रमेश चंद्रा के बेटों को हर पखवाड़े वर्चुअल बैठकें करने के लिए भी अनुमति दे दी है. आपको बता दें कि साल 2017 से जेल में बंद चंद्रा भाईयों पर घर खरीदने वालों के पैसे हड़पने का आरोप है.
इस बीच प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत से कहा कि वह अगले हफ्ते अजय और संजय चंद्रा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करेगा. जांच एजेंसी ने चार्जशीट तैयार करने के लिए फोरेंसिक ऑडिटर्स ग्रांट थॉर्नटन की रिपोर्ट पर जवाब देने के लिए मंजूरी मांगी थी और कहा था कि इससे उनका केस और मजबूत होगा.
ED ने यूनिटेक प्रमोटर संजय और अजय चंद्रा की कस्टडी की मांग की, कहा-करना है पूछताछ
संजय चंद्रा और उनके बड़े भाई, अजय चंद्रा, यूनिटेक के पूर्व मालिक-प्रवर्तक हैं. उन्हें पहली बार अगस्त 2017 में घर बनाने में विफल रहने के लिए गिरफ्तार किया गया था, जिसके लिए उन्होंने घर खरीदारों से हजारों करोड़ रुपये जमा किए थे. रमेश चंद्रा को पिछले साल अक्टूबर में गिरफ्तार किया गया था, साथ ही संजय चंद्रा की पत्नी प्रीति चंद्रा और कार्नोस्टी समूह के एक कार्यकारी राजेश मलिक को भी गिरफ्तार किया गया था.
चंद्रा परिवार पर कैनरा बैंक से कथित तौर पर 198 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का भी आरोप है. पिछले साल अगस्त में, शीर्ष अदालत ने भाइयों को दिल्ली की तिहाड़ जेल से मुंबई की आर्थर रोड जेल और महाराष्ट्र के रायगढ़ में तलोजा जेल में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था. उस समय प्रवर्तन निदेशालय ने खुलासा किया था कि चंद्रा बंधु अपने जेल कक्षों से कर्मचारियों की मदद से कारोबार कर रहे थे.
Unitech Case: ED ने अजय चंद्रा और संजय चंद्रा की 18 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की
प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले साल यूनिटेक और उसके प्रमोटरों के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत एक आपराधिक मामला दर्ज किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि चंद्रा बंधुओं ने अवैध तरीके से साइप्रस और केमैन आइलैंड्स में मौजूद बैंकों में जमाकर्ताओं के 2,000 करोड़ रुपये से अधिक धन डाइवर्ट किया था. एजेंसी इस मामले में अब तक ₹690 करोड़ की संपत्ति कुर्क कर चुकी है.
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