उतरांचल के हल्द्वानी में एक अनोखा बायोडायवर्सिटी पार्क का निर्माण किया गया है. इस पार्क में अशोक वाटिका से लेकर कुरान की आयतों में लिखे पौधों को लगाया गया है. हलद्वानी के बायोडायवर्सिटी पार्क में अशोक वाटिका से लेकर रुद्राक्ष वाटिका और त्रिफला वाटिका तक बनाया गया है. यही नहीं हल्द्वानी शहर जिस हल्दू पेड़ के लिए जाना जाता था उसे भी यहां लगाया गया है. 18 एकड़ में फैले इस बायोडायवर्सिटी पार्क में ग्लोबल वार्मिंग के चलते 48 लुप्त हो रही प्रजाति मसलन पुत्रंजीवा, सहेजन, सिंदूरी जैसे पेड़ों को भी विकसित किया गयी है. उत्तरांचल में कई तरह के जलवायु के हिसाब से मिट्टी पाई जाती है. इस बायोडावर्सिटी पार्क में आपको एक अनोखे तरीके का मिट्टी का म्यूजियम भी दिखेगा जहां हिमालय की पर्वतीय मिट्टी से लेकर डोलोमाइट पहाड़ी मिट्टी को दर्शाया गया है जो चीड़ के पेड़ उगने के लिए जानी जाती है।.
पार्क में 40 सेक्शन के जरिए 479 प्रकार के दुर्लभ औषधीय पौधों से लेकर प्रदूषण कम करने और दुर्लभ फूलों तक को संरक्षित किया गया है. उत्तराखंड फॉरेस्ट रिसर्च के चीफ कन्जरवेटर संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते उत्तराखंड के कई दुर्लभ पौधे और घास लुप्त होने के कगार पर हैं. उनकी कोशिश है कि इस बायोडावर्सिटी पार्क के जरिए न सिर्फ संरक्षित किया जाए बल्कि समय समय पर इनको उन इलाकों में लगाया जाए. इसी के चलते दिन रात एक करके वन विभाग के कर्मचारियों ने इस अनोखे बायोडावर्सिटी पार्क को विकसित किया है.
इस पार्क में सर्वधर्म वाटिका भी बनाया गया है. जहां कृष्ण वाटिका में कदंब, कृष्ण वट और वैजयंती जैसे पौधे लगाए गए हैं वहीं ईसाई वाटिका पॉपुलर, ओक, क्रिसमस ट्री और सैलिक्स जैसे पौधे लगे हैं. इस्लाम वाटिका में नीम, खजूर, अंजीर और अनार के पौधों को लगाया गया है. खासबात ये है कि इस अनोखे बायोडावर्सिटी पार्क बनाने में राज्य सरकार का अतिरिक्त पैसा भी नहीं खर्च हुआ है.
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