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This Article is From Sep 25, 2021

सहकारी संस्थाएं 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनोमी बनाने में मददगार, पहले कॉपरेटिव सम्मेलन में बोले अमित शाह

उन्होंने कहा कि आज देश में लगभग 91% गांव ऐसे हैं जहां छोटी-बड़ी कोई न कोई सहकारी संस्था काम करती है. शाह ने कहा कि दुनिया में कोई ऐसा देश नहीं होगा, जिसके 91% गांव में सहकारिता उपस्थित हो. उन्होंने कहा, "मोदीजी ने जो सहकारिता मंत्रालय बनाया है, उसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में नीचे तक विकास को पहुंचाना है."

सहकारी संस्थाएं 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनोमी बनाने में मददगार, पहले कॉपरेटिव सम्मेलन में बोले अमित शाह
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने पहले राष्ट्रीय सहकारिता सम्मेलन को संबोधित किया.
नई दिल्ली:

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज (25 सितंबर) पहले राष्ट्रीय सहकारिता सम्मेलन को संबोधित किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि सहकारी संस्थाएं देश को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में योगदान देंगी. केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि गरीब कल्याण और अंत्योदय की कल्पना सहकारिता के बिना नहीं हो सकती है.

नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में शाह ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव पर और ऐसे समय पर जब देश को सहकारिता आंदोलन की सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने स्वतंत्र सहकारिता मंत्रालय बनाया. उन्होंने कहा कि मैं आप सभी की ओर से उनको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं. शाह ने कहा कि
देश में विकास की जब बात होती थी, तब सबसे पहले अंत्योदय की बात आती थी, जिसकी कल्पना पंडित दीनदयाल जी ने की थी.

शाह ने कहा, "देश के विकास में सहकारिता का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है. हमें नए सिरे से सोचना पड़ेगा, नए सिरे से रेखांकित करना पड़ेगा, काम का दायरा बढ़ाना पड़ेगा, पारदर्शिता लानी पड़ेगी." उन्होंने कहा, "सहकारिता आंदोलन सबसे ज्यादा प्रासंगिक है, तो आज ही के दिनों में है. हर गांव को को-ऑपरेटिव के साथ जोड़कर, #SahkarSeSamriddhi के मंत्र के साथ हर गांव को समृद्ध बनाना और उसके बाद देश को समृद्ध बनाना, यही सहकार की भूमिका होती है."

केंद्रीय मंत्री ने कहा, "प्रधानमंत्री  जी ने एक मंत्र दिया है- 'सहकार से समृद्धि'.. मैं आज मोदी जी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि सहकारिता क्षेत्र भी आपके 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी के लक्ष्य को पूरा करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देगा." शाह ने कहा कि भारत की जनता के स्वभाव में सहकारिता घुली-मिली है. इसलिए भारत में सहकारिता आंदोलन कभी अप्रासंगिक नहीं हो सकता.

उन्होंने कहा कि आज देश में लगभग 91% गांव ऐसे हैं जहां छोटी-बड़ी कोई न कोई सहकारी संस्था काम करती है. शाह ने कहा कि दुनिया में कोई ऐसा देश नहीं होगा, जिसके 91% गांव में सहकारिता उपस्थित हो. उन्होंने कहा, "मोदीजी ने जो सहकारिता मंत्रालय बनाया है, उसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में नीचे तक विकास को पहुंचाना है. ग्रामीण क्षेत्र में हर वंचित तक विकास को पहुंचाने की चुनौती को पार करने की जिम्मेदारी सहकारिता मंत्रालय की है."

उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में पिछले सात वर्ष में प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में आमूलचूल परिवर्तन हुए हैं. 2009-10 में कृषि बजट 12,000 करोड़ रुपये था, जिसे 2020-21 में मोदी सरकार ने बढ़ाकर 1,34,499 करोड़ रुपये किया है. शाह ने कहा, "हमने तय किया है कि कुछ समय के अंदर ही नई सहकारी नीति जो पहले 2002 में आदरणीय अटल जी लेकर आए थे और अब 2022 में मोदी जी लेकर आएंगे. आजादी के अमृत महोत्सव में नई सहकारी नीति को बनाने की हम शुरुआत करेंगे."

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