एसपी सलविंदर सिंह (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
पठानकोट आतंकवादी हमले में गुरदासपुर के एसपी सलविंदर सिंह के बयानों में विरोधाभास और दोहरापन उनको शक के दायरे में खड़ा कर रहा है। शक है कि कहीं सलविंदर सिंह का पठानकोट हमले के आतंकवादियों से कोई कनेक्शन तो नहीं है। एनआईए की बीस सदस्यीय टीम ने मंगलवार की रात सलविंदर सिंह से उनके घर पर लगभग चार घंटे तक पूछताछ की है। उनको घटना वाले स्थानों पर भी ले जाया जा रहा है।
एनआईए के महानिदेशक शरद कुमार पहले ही सलविंदर सिंह के बयानों में विरोधाभास की बात कह चुके हैं। ऐसे में सवाल यह है कि क्या यह मुमकिन है कि इस साजिश में सलविंदर सिंह की भी कोई भूमिका हो?
दरगाह के केयरटेकर ने पहले कभी नहीं देखा
सलविंदर सिंह ने कहा कि वे पंज पीर दरगाह पर सिर नवाने आते रहते हैं, जबकि दरगाह के केयरटेकर सोम का कहना है कि उन्होंने सलविंदर सिंह को दरगाह में कभी देखा ही नहीं। दरगाह का केयरटेकर किसी श्रद्धालु को न देखे यह वाकई मुमकिन है, लेकिन यह कैसे हो सकता है कि श्रद्धालु एसपी जैसे बड़े कद का हो, दरगाह आता-जाता रहता हो और यह बात दरगाह के केयरटेकर को पता भी न चले।
दरगाह के करीब आतंकियों के जूतों के निशान
सोम ने दावा किया है कि एसपी सलविंदर ने उसको 31 दिसंबर को शाम साढ़े आठ बजे फोन किया और कहा कि उनके आने तक दरगाह खुली रखे। जब सोम ने एसपी से कहा कि यह दरगाह बंद करने का वक्त है तो सलविंदर ने जोर देकर सोम से दरगाह खुली रखने के लिए कहा। सोम ने कहा है कि एसपी के दोस्त राजेश वर्मा ने उस दिन दरगाह का दो बार दौरा किया था। जबकि इससे पहले राजेश कुमार भी कभी दरगाह नहीं आए। गौर करने वाली बात यह है कि आतंकवादियों के पाकिस्तानी ब्रांड एपकॉट के जूतों के निशान बामियाल क्षेत्र से मिले हैं, जो इस दरगाह के काफी करीब है।
सीमा के पास हथियार के बिना क्यों पहुंचे?
अब एनआईए को अपनी जांच में यह पता लगाना है कि कहीं एसपी सलविंदर सिंह ने आतंकवादियों को लाने-ले जाने में कोई मदद तो मुहैया नहीं कराई थी। हालांकि एनआईए ने अभी सलविंदर सिंह को गिरफ्तार नहीं किया है। सवाल यह भी है कि भारत-पाक सीमा के एकदम निकट इस इलाके में एसपी सलविंदर बगैर हथियार के कैसे चले गए। खासकर तब जब इलाके में पहले ही आतंकी अलर्ट जारी हो चुका हो।
चैक प्वाइंट्स पर क्यों नहीं रोकी गई कार?
गौरतलब यह भी है कि खुफिया एजेंसियां पहले ही कह चुकी हैं कि पठानकोट पर हमले की साजिश में जैशे मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिदीन और लश्करे तैय्यबा के साथ-साथ बब्बर खालसा के आतंकवादी भी शामिल थे। पंजाब के पुलिस महानिदेशक सुरेश अरोड़ा ने कहा है कि इस बात की जांच की जाएगी कि एसपी सलविंदर सिंह की कार को चैक प्वाइंट्स पर क्यों नहीं रोका गया। अब तक सलविंदर यही बताते आ रहे हैं कि पंज पीर दरगाह से लौटते समय उनका अपहरण हथियारों से लैस आतंकवादियों ने कर लिया था। उन्होंने बाद में उन्हें छोड़ दिया।
मीडिया को धड़ाधड़ इंटरव्यू के पीछे क्या कारण
आम तौर पर संवेदनशील मामलों में पुलिस और सरकार के बड़े अधिकारी मीडिया से आसानी से बातचीत नहीं करते। लेकिन सलविंदर सिंह को मीडिया को धड़ाधड़ इंटरव्यू करने की इजाजत दी गई। क्या ऐसा इसलिए किया गया ताकि जांच एजेंसियों को उनके बयानों के विरोधाभास पकड़ने में मदद मिले ? सलविंदर सिंह यह दावा भी कर रहे हैं कि अगर उनकी सूचना के बाद अधिकारियों ने वक्त रहते कार्रवाई की होती तो आतंकी हमले से बचा जा सकता था। एनआईए इस बात की जांच भी करेगी कि कहीं इस आतंकी हमले की योजना में ड्रग तस्करी के रैकेट का इस्तेमाल तो नहीं किया गया है।
ड्रग तस्करी रैकेट का इस्तेमाल
गौरतलब है कि पंजाब में ड्रग तस्करों के सरकार के बड़े अधिकारियों के साथ संबंधों की कई कहानियां कही-सुनी जाती रही हैं। बीएसएफ भी बता चुकी है कि बॉर्डर फेंसिंग के दोनों तरफ सुरंगें बनाकर मादक पदार्थों को पाकिस्तान से भारत में दाखिल करवाया जाता है। यूं बीएसएफ ने ड्रग्स की तस्करी रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं लेकिन इनमें से ज्यादातर केवल कागज पर ही हैं। अब एनआईए को यह पता लगाना है कि क्या आतंकवादियों ने ड्रग तस्करों के नाम पर भारतीय सीमा में प्रवेश किया था?
एनआईए के महानिदेशक शरद कुमार पहले ही सलविंदर सिंह के बयानों में विरोधाभास की बात कह चुके हैं। ऐसे में सवाल यह है कि क्या यह मुमकिन है कि इस साजिश में सलविंदर सिंह की भी कोई भूमिका हो?
दरगाह के केयरटेकर ने पहले कभी नहीं देखा
सलविंदर सिंह ने कहा कि वे पंज पीर दरगाह पर सिर नवाने आते रहते हैं, जबकि दरगाह के केयरटेकर सोम का कहना है कि उन्होंने सलविंदर सिंह को दरगाह में कभी देखा ही नहीं। दरगाह का केयरटेकर किसी श्रद्धालु को न देखे यह वाकई मुमकिन है, लेकिन यह कैसे हो सकता है कि श्रद्धालु एसपी जैसे बड़े कद का हो, दरगाह आता-जाता रहता हो और यह बात दरगाह के केयरटेकर को पता भी न चले।
दरगाह के करीब आतंकियों के जूतों के निशान
सोम ने दावा किया है कि एसपी सलविंदर ने उसको 31 दिसंबर को शाम साढ़े आठ बजे फोन किया और कहा कि उनके आने तक दरगाह खुली रखे। जब सोम ने एसपी से कहा कि यह दरगाह बंद करने का वक्त है तो सलविंदर ने जोर देकर सोम से दरगाह खुली रखने के लिए कहा। सोम ने कहा है कि एसपी के दोस्त राजेश वर्मा ने उस दिन दरगाह का दो बार दौरा किया था। जबकि इससे पहले राजेश कुमार भी कभी दरगाह नहीं आए। गौर करने वाली बात यह है कि आतंकवादियों के पाकिस्तानी ब्रांड एपकॉट के जूतों के निशान बामियाल क्षेत्र से मिले हैं, जो इस दरगाह के काफी करीब है।
सीमा के पास हथियार के बिना क्यों पहुंचे?
अब एनआईए को अपनी जांच में यह पता लगाना है कि कहीं एसपी सलविंदर सिंह ने आतंकवादियों को लाने-ले जाने में कोई मदद तो मुहैया नहीं कराई थी। हालांकि एनआईए ने अभी सलविंदर सिंह को गिरफ्तार नहीं किया है। सवाल यह भी है कि भारत-पाक सीमा के एकदम निकट इस इलाके में एसपी सलविंदर बगैर हथियार के कैसे चले गए। खासकर तब जब इलाके में पहले ही आतंकी अलर्ट जारी हो चुका हो।
चैक प्वाइंट्स पर क्यों नहीं रोकी गई कार?
गौरतलब यह भी है कि खुफिया एजेंसियां पहले ही कह चुकी हैं कि पठानकोट पर हमले की साजिश में जैशे मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिदीन और लश्करे तैय्यबा के साथ-साथ बब्बर खालसा के आतंकवादी भी शामिल थे। पंजाब के पुलिस महानिदेशक सुरेश अरोड़ा ने कहा है कि इस बात की जांच की जाएगी कि एसपी सलविंदर सिंह की कार को चैक प्वाइंट्स पर क्यों नहीं रोका गया। अब तक सलविंदर यही बताते आ रहे हैं कि पंज पीर दरगाह से लौटते समय उनका अपहरण हथियारों से लैस आतंकवादियों ने कर लिया था। उन्होंने बाद में उन्हें छोड़ दिया।
मीडिया को धड़ाधड़ इंटरव्यू के पीछे क्या कारण
आम तौर पर संवेदनशील मामलों में पुलिस और सरकार के बड़े अधिकारी मीडिया से आसानी से बातचीत नहीं करते। लेकिन सलविंदर सिंह को मीडिया को धड़ाधड़ इंटरव्यू करने की इजाजत दी गई। क्या ऐसा इसलिए किया गया ताकि जांच एजेंसियों को उनके बयानों के विरोधाभास पकड़ने में मदद मिले ? सलविंदर सिंह यह दावा भी कर रहे हैं कि अगर उनकी सूचना के बाद अधिकारियों ने वक्त रहते कार्रवाई की होती तो आतंकी हमले से बचा जा सकता था। एनआईए इस बात की जांच भी करेगी कि कहीं इस आतंकी हमले की योजना में ड्रग तस्करी के रैकेट का इस्तेमाल तो नहीं किया गया है।
ड्रग तस्करी रैकेट का इस्तेमाल
गौरतलब है कि पंजाब में ड्रग तस्करों के सरकार के बड़े अधिकारियों के साथ संबंधों की कई कहानियां कही-सुनी जाती रही हैं। बीएसएफ भी बता चुकी है कि बॉर्डर फेंसिंग के दोनों तरफ सुरंगें बनाकर मादक पदार्थों को पाकिस्तान से भारत में दाखिल करवाया जाता है। यूं बीएसएफ ने ड्रग्स की तस्करी रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं लेकिन इनमें से ज्यादातर केवल कागज पर ही हैं। अब एनआईए को यह पता लगाना है कि क्या आतंकवादियों ने ड्रग तस्करों के नाम पर भारतीय सीमा में प्रवेश किया था?
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