एनडीटीवी से बातचीत के दौरान उमा भारती...
नई दिल्ली:
बीजेपी की तेज तर्रार नेता और केंद्र सरकार में जल संसाधन और गंगा सफ़ाई मंत्री उमा भारती का कहना है कि वह यूपी की राजनीति में फिलहाल अपनी गुंजाइश नहीं देख रहीं। सीएम पद को लेकर उमा ने कहा कि उनके एजेंडे पर अभी सिर्फ गंगा है। उनसे बात की हमारी सहयोगी सुनेत्रा चौधरी ने।
उमा भारती का पूरा इंटरव्यू देखें...
यूपी के चुनावों में अजित सिंह और सपा के गठजोड़ को भी वह अहमियत नहीं देतीं। उमा भारती ने एनडीटीवी से बातचीत करते हुए कहा, "अजित सिंह पिछला चुनाव हारने से पहले लगातार जीतते रहे थे। मैं समझती हूं कि अब वह दोबारा कभी जीत नहीं सकेंगे।"
अगले साल यूपी में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चुनाव जीतने के लिए भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी बनने की उनकी दावेदारी के संबंध में लगाए जा रहे कयासों पर उनका कहना है, "पार्टी इन सब मुद्दों पर विचार कर रही है, लेकिन मैं गंगा, गंगा और गंगा की सफाई से ज्यादा कुछ नहीं सोचती।" दरअसल जल संसाधन मंत्री उमा भारती पर गंगा नदी को साफ-सुथरा करने का बड़ा दायित्व है। उन्होंने 2018 तक गंगा को स्वच्छ करने का वादा भी किया है।
हालांकि इस समयसीमा पर कई लोगों ने सवालिया निशान भी खड़े किए हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि यह नदी उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, उत्तराखंड जैसे राज्यों से प्रवाहित होती है और ये सभी राज्य विपक्षी दलों द्वारा शासित होते हैं। ऐसे में इस कठिन काम को निर्धारित अवधि में पूरा करने के लिए इन राज्यों की मदद उमा भारती को चाहिए। लेकिन उमा भारती को इस पर कोई संशय नहीं है। वह आग्रहपूर्वक कहती हैं, "गंगा नदी का आकर्षण" हर व्यक्ति को जीत लेगा। उनके मुताबकि यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी अब इस मसले पर बदल गए हैं। उल्लेखनीय है कि उमा ने पहले शिकायती लहजे में कहा था कि अखिलेश ने उनसे मिलने तक से इनकार कर दिया था। उन्होंने इस मसले पर कहा, "जो मैंने संसद में कहा था, वह पूर्ण रूप से सही है, लेकिन अब अखिलेश ने अपनी सहमति देने के लिए एक प्रेजेंटेशन मांगा है। मुझे आशा है कि जब वह इस इंटरव्यू को देखेंगे तो उन्हें यह याद आ जाएगा।''
उमा भारती का भी नाम कई अन्य नेताओं के साथ पार्टी की तरफ से यूपी विधानसभा चुनाव के संभावित नेता के रूप में चल रहा है। अन्य नेताओं में स्मृति ईरानी और वरुण गांधी के नामों की भी चर्चा चल रही है। यद्यपि हाल के कई विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कोई मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित नहीं किया था लेकिन इसके उलट असम में उसने ऐसा किया। उसकी सफल परिणति पूर्वोत्तर में उसकी हाल में बनी पहली सरकार के रूप में देखने को मिली।
उमा भारती का पूरा इंटरव्यू देखें...
यूपी के चुनावों में अजित सिंह और सपा के गठजोड़ को भी वह अहमियत नहीं देतीं। उमा भारती ने एनडीटीवी से बातचीत करते हुए कहा, "अजित सिंह पिछला चुनाव हारने से पहले लगातार जीतते रहे थे। मैं समझती हूं कि अब वह दोबारा कभी जीत नहीं सकेंगे।"
अगले साल यूपी में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चुनाव जीतने के लिए भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी बनने की उनकी दावेदारी के संबंध में लगाए जा रहे कयासों पर उनका कहना है, "पार्टी इन सब मुद्दों पर विचार कर रही है, लेकिन मैं गंगा, गंगा और गंगा की सफाई से ज्यादा कुछ नहीं सोचती।" दरअसल जल संसाधन मंत्री उमा भारती पर गंगा नदी को साफ-सुथरा करने का बड़ा दायित्व है। उन्होंने 2018 तक गंगा को स्वच्छ करने का वादा भी किया है।
हालांकि इस समयसीमा पर कई लोगों ने सवालिया निशान भी खड़े किए हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि यह नदी उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, उत्तराखंड जैसे राज्यों से प्रवाहित होती है और ये सभी राज्य विपक्षी दलों द्वारा शासित होते हैं। ऐसे में इस कठिन काम को निर्धारित अवधि में पूरा करने के लिए इन राज्यों की मदद उमा भारती को चाहिए। लेकिन उमा भारती को इस पर कोई संशय नहीं है। वह आग्रहपूर्वक कहती हैं, "गंगा नदी का आकर्षण" हर व्यक्ति को जीत लेगा। उनके मुताबकि यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी अब इस मसले पर बदल गए हैं। उल्लेखनीय है कि उमा ने पहले शिकायती लहजे में कहा था कि अखिलेश ने उनसे मिलने तक से इनकार कर दिया था। उन्होंने इस मसले पर कहा, "जो मैंने संसद में कहा था, वह पूर्ण रूप से सही है, लेकिन अब अखिलेश ने अपनी सहमति देने के लिए एक प्रेजेंटेशन मांगा है। मुझे आशा है कि जब वह इस इंटरव्यू को देखेंगे तो उन्हें यह याद आ जाएगा।''
उमा भारती का भी नाम कई अन्य नेताओं के साथ पार्टी की तरफ से यूपी विधानसभा चुनाव के संभावित नेता के रूप में चल रहा है। अन्य नेताओं में स्मृति ईरानी और वरुण गांधी के नामों की भी चर्चा चल रही है। यद्यपि हाल के कई विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कोई मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित नहीं किया था लेकिन इसके उलट असम में उसने ऐसा किया। उसकी सफल परिणति पूर्वोत्तर में उसकी हाल में बनी पहली सरकार के रूप में देखने को मिली।
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