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This Article is From Aug 28, 2015

1965 की जीत के जश्न के दो अलग-अलग रंग

1965 की जीत के जश्न के दो अलग-अलग रंग
जंतर मंतर पर 1965 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत के जश्न में शामिल पूर्व सैनिक।
नई दिल्ली: सन 1965 की जीत के 50 साल पूरे होने पर जहां राष्ट्रपति के साथ सेना के तीनों प्रमुखों ने अमर जवान ज्योति पर जवानों के श्रद्धांजलि दी वहीं वहां से कुछ दूर पूर्व सैनिकों ने जंतर पर भूखे रहकर अपने जाबांजों को याद किया। पूर्व सैनिकों को उम्मीद थी कि सरकार आज वन रैंक वन पेंशन का ऐलान करेगी लेकिन ऐसा नहीं हो सका ।  

1965 की लड़ाई में पाकिस्तान पर मिली जीते के 50 साल पूरे होने के जश्न के तरीके अलग-अलग थे। इंडिया गेट पर तीनों सेनाओं के सुप्रीम कमांडर और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की अगुवाई में रक्षा मंत्री के साथ सेना के तीनों अंगों के प्रमुख ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी। उस लड़ाई में करीब तीन हजार जवान शहीद हुए थे। दूसरा कार्यक्रम पूर्व सैनिकों का जंतर मंतर में हुआ, जहां 1965 के हीरो ने अपने तरीके से उस जीत को याद किया। दोनों कार्यक्रम स्थलों के बीच की दूरी दो किलोमीटर भी नहीं है।

इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट किया कि वे 1965 के युद्ध की 50 वीं वर्षगाठ पर बहादुर सैनिकों का नमन करते हैं। दूसरी तरफ पिछले 75 दिनों से दिल्ली के जंतर मंतर पर रिले भूख हड़ताल पर बैठे पूर्व सैनिकों को लगता है कि कोई उनकी सुध लेने वाला नहीं है। 1965 में पाकिस्तान के हाजीपीर को फतह करने वाले ब्रिगेडियर डी पी नायर को इंडिया गेट पर आमंत्रित किया गया था, लेकिन वे वहां न जाकर अपने सैनिकों के समर्थन में जंतर-मंतर पहुंचे। ब्रिगेडियर डी पी नायर से इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि दुख हुआ लेकिन क्या करें,  यहां आना ज्यादा जरूरी था। हम सैनिक देश के लिए कभी पीछे नहीं हटेंगे।

सरकार और पूर्व सैनिकों के बीच वन रैंक वन पेंशन को लेकर कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन सहमति अभी पूरी तरह नहीं बन पाई है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा  'हम इन प्रिंसपल तैयार हैं, कुछ मामले पर फंसा हुआ है जिसे दूर कर लिया जाएगा।' पूर्व सैनिकों का कहना है कि जब सरकार एक बार नहीं कई बार वादा कर चुकी है तो फिर क्यों पीछे हट रही है। अगर तैयार है तो तिथि की घोषणा क्यों नहीं करती।

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