ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल निकाय चुनाव में बीजेपी को करारी मात दी है.
नई दिल्ली:
पश्चिम बंगाल में अपनी पकड़ बनाने में जुटी भारतीय जनता पार्टी, यानी बीजेपी की कोशिशों को स्थानीय निकाय चुनावों में एक बार फिर झटका लगा, जब सात सिविक इकाइयों के चुनाव नतीजों में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस ने सीपीएम तथा अन्य स्थानीय दलों का सूपड़ा पूरी तरह साफ कर दिया, और बीजेपी दूसरे नंबर पर होने के बावजूद बेहद पीछे रही.
रविवार को बुनियादपुर, धूपगुड़ी, दुर्गापुर, हल्दिया, पांसकुरा, कूपर्स कैम्प और नैहाटी में चुनाव हुए थे, जिनके दौरान हिंसा की छिटपुट घटनाओं की शिकायतें मिली थीं. विपक्षी दलों ने मतदान में गड़बड़ी का आरोप लगाया था, और भारतीय मार्क्सवादी पार्टी, यानी सीपीएम ने चुनाव रद्द किए जाने की मांग की थी.
यह भी पढ़ें : पश्चिम बंगाल में 7 में से 4 नगर निगमों पर ममता बनर्जी की टीएमसी का कब्जा, 3 पर बीजेपी अलायंस की भारी जीत
नई बनाई गई नगर निगम बुनियादपुर की 14 सीटों में से 13 पर टीएमसी के उम्मीदवार जीते हैं तथा एक सीट बीजेपी के खाते में गई है, वहीं धूपगुड़ी की कुल 16 सीटों में से टीएमसी को 12 तथा बीजेपी को चार सीटें हासिल हुई हैं. 2012 में हुए पिछले चुनाव में यहां टीएमसी को 11 तथा बीजेपी को 1 सीट मिली थी.
VIDEO : पीएम मोदी को ममता का जवाब
कूपर्स कैम्प की सभी 12 सीटें टीएमसी ने जीत ली हैं, जबकि 2012 में उन्हें सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल हुई थी. नैहाटी में 16 में से 14 पर टीएमसी, एक पर वाममोर्चा तथा एक पर अन्य प्रत्याशी विजयी हुए हैं, जबकि 2012 में टीएमसी को सिर्फ आठ सीटें मिली थीं. 2012 में तीन सीटें कांग्रेस और एक-एक सीट सीपीएम तथा बीजेपी को हासिल हुई थी.
दुर्गापुर में सभी 43 सीटें टीएमसी ने कब्ज़ा ली हैं, जबकि 2012 में उनके पास सिर्फ 29 सीटें थीं. 2012 में सीपीएम को 10, कांग्रेस, बीजेपी, आरएसपी और निर्दलीयों को एक-एक सीट हासिल हुई थी.
पांसकुरा में 18 में से टीएमसी ने 17 और बीजेपी ने एक सीट पर जीत हासिल की है. 2012 में टीएमसी 12 सीटों पर विजयी रही थी, जबकि तीन सीटें सीपीएम और दो सीटें सीपीआई के खाते में गई थीं. हल्दिया में भी सभी 29 सीटें टीएमसी के खाते में पहुंच गई हैं, जबकि 2012 में उन्हें सिर्फ 11 सीटें मिली थीं, और उस समय सीपीएम को 13 सीटों पर जीत मिली थी. पिछले चुनाव में दो सीटें सीपीआई को भी मिली थीं.
वैसे, वर्ष 2012 की तुलना में इस बार, यानी 2017 में इन सात इकाइयों में कुल 19 वार्ड बढ़े हैं.
रविवार को बुनियादपुर, धूपगुड़ी, दुर्गापुर, हल्दिया, पांसकुरा, कूपर्स कैम्प और नैहाटी में चुनाव हुए थे, जिनके दौरान हिंसा की छिटपुट घटनाओं की शिकायतें मिली थीं. विपक्षी दलों ने मतदान में गड़बड़ी का आरोप लगाया था, और भारतीय मार्क्सवादी पार्टी, यानी सीपीएम ने चुनाव रद्द किए जाने की मांग की थी.
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कूपर्स कैम्प की सभी 12 सीटें टीएमसी ने जीत ली हैं, जबकि 2012 में उन्हें सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल हुई थी. नैहाटी में 16 में से 14 पर टीएमसी, एक पर वाममोर्चा तथा एक पर अन्य प्रत्याशी विजयी हुए हैं, जबकि 2012 में टीएमसी को सिर्फ आठ सीटें मिली थीं. 2012 में तीन सीटें कांग्रेस और एक-एक सीट सीपीएम तथा बीजेपी को हासिल हुई थी.
दुर्गापुर में सभी 43 सीटें टीएमसी ने कब्ज़ा ली हैं, जबकि 2012 में उनके पास सिर्फ 29 सीटें थीं. 2012 में सीपीएम को 10, कांग्रेस, बीजेपी, आरएसपी और निर्दलीयों को एक-एक सीट हासिल हुई थी.
पांसकुरा में 18 में से टीएमसी ने 17 और बीजेपी ने एक सीट पर जीत हासिल की है. 2012 में टीएमसी 12 सीटों पर विजयी रही थी, जबकि तीन सीटें सीपीएम और दो सीटें सीपीआई के खाते में गई थीं. हल्दिया में भी सभी 29 सीटें टीएमसी के खाते में पहुंच गई हैं, जबकि 2012 में उन्हें सिर्फ 11 सीटें मिली थीं, और उस समय सीपीएम को 13 सीटों पर जीत मिली थी. पिछले चुनाव में दो सीटें सीपीआई को भी मिली थीं.
वैसे, वर्ष 2012 की तुलना में इस बार, यानी 2017 में इन सात इकाइयों में कुल 19 वार्ड बढ़े हैं.
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