''कोरोनावायरस की जांच Negative आने पर भी यदि लक्षण दिखें तो हो पूरा इलाज''

दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन में श्वास एवं फेफड़ा रोग विभाग के प्रोफेसर, नीरज गुप्ता ने कहा कि अब विशेषज्ञों की आम धारणा यह है कि नैदानिक लक्षण विज्ञान से बहुत अधिक संदेह पैदा हो रहे हैं...

''कोरोनावायरस की जांच Negative आने पर भी यदि लक्षण दिखें तो हो पूरा इलाज''

“अगर हम इन जांचों पर निर्भर रहते हैं तो कई मरीज छूट जाएंगे.” (प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्ली:

विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद भी कुछ लोगों के जांच परिणाम नेगेटिव आ सकते हैं इसलिए जिन लोगों में बीमारी के लक्षण दिख रहे हों उनमें संक्रमण की पुष्टि संबंधी जांच का इंतजार किए बिना ही उनका इलाज किया जाना चाहिए ताकि संक्रमण गंभीर रूप न ले. डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे कई मामले हैं जिनमें मरीजों में कोविड-19 के लक्षण दिख रहे हैं लेकिन उनकी जांच रिपोर्ट कई बार नेगेटिव आई है. बार-बार जांच किए जाने के बाद उनमें संक्रमण की पुष्टि हुई. दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन में श्वास एवं फेफड़ा रोग विभाग के प्रोफेसर, नीरज गुप्ता ने कहा कि अब विशेषज्ञों की आम धारणा यह है कि नैदानिक लक्षण विज्ञान से बहुत अधिक संदेह पैदा हो रहे हैं और सीटी स्कैन रिपोर्ट को इलाज का कारक माना जाए बजाय कि केवल आरटी-पीसीआर जांच पर निर्भर रहने के जिसकी सटीकता महज 70 प्रतिशत है.

उन्होंने कहा कि रेपिड एंटीजन टेस्ट की संवेदनशीलता भी महज 40 प्रतिशत है. डॉ गुप्ता ने कहा, “अगर हम इन जांचों पर निर्भर रहते हैं तो कई मरीज छूट जाएंगे.” एंटीबॉडी जांच की संवेदनशीलता 90 प्रतिशत है लेकिन वे सार्स-सीओवी2 से पूर्व के संपर्क की पुष्टि करने में ही उपयोगी हैं और बीमारी के शुरुआती चरण में उनका कोई महत्व नहीं है.

उन्होंने कहा, “इलाज की सभी रणनीतियां बीमारी को मामूली से मध्यम या मध्यम से गंभीर होने से रोकने के प्रति निर्देशित होनी चाहिए और इसके लिए हम जांच रिपोर्ट का इंतजार नहीं कर सकते. हमें नैदानिक लक्षणों को देखना होगा.”

यहां एम्स में वृद्धावस्था चिकित्सा विभाग में सहायक प्राध्यापक डॉ विजय गुर्जर ने कहा कि ऐसे कई मामले देखने को मिले हैं जहां मरीज तीन या चार बार की आरटी-पीसीआर जांच के बावजूद नेगेटिव पाया जा रहा था जबकि उसमें लक्षण थे और सीटी स्कैन निमोनिया की ओर संकेत कर रहे थे जो कि कोविड-19 का बड़ा लक्षण है. उन्होंने कहा, बाद में उनमें कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी मिले जिसका मतलब था कि उनमें संक्रमण था लेकिन आरटी-पीसीआर जांच में इस बात की पुष्टि नहीं हुई. डॉ गुर्जर ने कहा, “इसलिए अगर मरीज में लक्षण हैं और इससे भी ऊपर, अगर वह बुजुर्ग है या उसे अन्य बीमारियां हैं तो उसका कोविड-19 का इलाज होना चाहिए और जांच में पुष्टि होने का इंतजार किए बिना प्रबंधन किया जाना चाहिए.”

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)