रेलवे बजट हिंदुस्तान के गरीब-से-गरीब मानव से जुड़ा हुआ बजट होता है। भारतीय रेल सिर्फ एक स्थान को दूसरे स्थान से जोड़ने के ही लिए नहीं, लेकिन भारत के अर्थतंत्र को गति देने का एक सशक्त साधन है। आज का बजट रेलवे के सर्वांगीण विकास को लेकर के आया है।
रेलवे से नौजवानों को रोजगार मिल सकता है, रेलवे से पर्यावरण की भी चिंता हो सकती है, रेलवे से भारत की छवि को भी विश्व में उजागर किया जा सकता है, रेलवे से आर्थिक विकास को नई दिशा दी जा सकती है। कोई ऐसा पहलु नहीं है, जो इस बार रेलवे बजट में अछूता रहा हो।
मैं रेलवे मिनिस्टर का ह्रदय से अभिनन्दन करता हूं कि वे तत्कालीन वाहवाही के मोह से बच करके पांच साल की योजना ले करके आये हैं। पहली बार रेलवे ने फाइनेंशियल डिसिप्लीन और एक्सपेंडीजर में डिसिप्लीन – इसकी बात कही है। यह अपने आप में हिंदुस्तान के सामान्य मानव के पैसों को इज्ज़त देना, उसका सही इस्तेमाल करना – उस दिशा में प्रयास है।
रेलवे में नौकरी पाने के लिए नौजवान बेताब होता है, लेकिन ट्रांसपेरेंसी नहीं थी। आज नौजवान को रोज़गार मिले, लेकिन भ्रष्टाचार से मुक्त व्यवस्था हो, उस दिशा में अहम कदम रेल मंत्री ने उठाया है।
रेल बजट में सर्वाधिक ध्यान यात्रियों की सुविधा पर दिया गया है, रेलवे की गति पर दिया गया है, टेक्नोलॉजी के अपग्रेडेशन पर दिया गया है, और नई-नई कल्पनाओं से भरा हुआ सर्वस्पर्शी, विकास के हर पहलू को छूने वाला, आज रेलवे बजट देश के सामने आया है।
महिलाओं की सुरक्षा के लिए जो इंतज़ाम किए गए हैं, हेल्पलाइन की जो बात कही गयी है, जो परमानेंट व्यवस्थाएं विकसित हो रही हैं, और रेलवे में यात्रा करने वाले मुसाफिर को अच्छा खाना मिले, एक सुविधा का माहौल उपलब्ध हो। वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन्स कैसे बनें? सिर्फ प्लेटफॉर्म क्यों? ऊपर 20 मंजिला, 25 मंजिला स्टेशन क्यों न हो? ऊपर हर प्रकार की सुविधाएं क्यों न हों? रेलवे स्टेशन्स एक आधुनिक रेल की पहचान बन सकते हैं।
अब तक रेल बजट कितने डिब्बे बढ़ेंगे, कितने डिब्बे एसी होंगे, कितनी नई ट्रेन्स चलेंगी, उसी सीमा में बंधा हुआ रहता था। यात्री भाड़ा बढ़ाए बिना पहली बार 8 लाख करोड़ से भी ज्यादा पूंजी निवेश का संकल्प करने वाला यह बजट अपने आप में नेक और मुकम्मल इरादों का परिचायक है।
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