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This Article is From Jun 03, 2018

ट्रेनें लेट हुईं तो रेल अधिकारियों की 'खैर नहीं', प्रमोशन पर पड़ सकता है असर

रेलमंत्री पीयूष गोयल ने रेलवे के जोनल प्रमुखों को आगाह किया है कि रेल सेवाओं में देरी का असर उनके प्रदर्शन मूल्यांकन में आंशिक देरी के रूप में हो सकता है.

ट्रेनें लेट हुईं तो रेल अधिकारियों की 'खैर नहीं', प्रमोशन पर पड़ सकता है असर
प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
बैठक में गोयल ने इस मुद्दे को लेकर जोनल महाप्रबंधकों की खिंचाई की
पिछले महीने प्रगति बैठक में प्रधानमंत्री ने गोयल से सवाल किए थे
वर्ष 2017-18 में 30 प्रतिशत गाड़ियां देरी से चल रही थीं
नई दिल्‍ली: ट्रेन से यात्रा करने वाले यात्री ट्रेनों के देरी से चलने की बात से अच्‍छी तरह परिचित होंगे. मौसम चाहे कोई भी हो, ट्रेनें लेट होती हैं और लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अब तो लोग यह मान कर ही चलते हैं कि फलां ट्रेन है तो इतने घंटे लेट तो होगी ही. पिछले कई एपिसोड में NDTV इंडिया के कार्यक्रम प्राइम टाइम में रवीश कुमार भी इस मुद्दे को उठाते रहे हैं. अब लगता है कि सरकार ही इस मामले में हरकत में आई है. रेलगाड़ियों की लेटलतीफी अब रेल अधिकारियों पर भारी पड़ने वाली है. रेलगाड़ियों के समय पर नहीं चलने से सम्बद्ध आला अधिकारियों की पदोन्नति (प्रमोशन) प्रभावित हो सकती है.

रेलमंत्री पीयूष गोयल ने रेलवे के जोनल प्रमुखों को आगाह किया है कि रेल सेवाओं में देरी का असर उनके प्रदर्शन मूल्यांकन में आंशिक देरी के रूप में हो सकता है. इससे उन्हें इन सेवाओं में अनुशासन सुधारने के लिए एक महीने का समय मिला है. पिछले सप्ताह एक विभागीय बैठक में गोयल ने इस मुद्दे को लेकर जोनल महाप्रबंधकों की खिंचाई की.

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मंत्री ने कहा कि रेल सेवाओं में देरी के लिए अधिकारी रखरखाव काम का बहाना नहीं बना सकते. रेल मंत्रालय में वरिष्ठ सूत्रों ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा, ‘उन्होंने स्पष्ट किया कि 30 जून तक अगर उन्हें कोई सुधार नजर नहीं आया तो सम्बद्ध महाप्रबंधक को पदोन्नति के लिए विचार नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि उन (अधिकारियों) के कार्य निष्पादन देरी सूची में उनके स्थान पर निर्भर करेगा.’

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वित्त वर्ष 2017-18 में भारतीय रेलवे नेटवर्क की 30 प्रतिशत गाड़ियां देरी से चल रही थीं. इस संख्या में इन गर्मियों के छुट्टियों में भी कोई सुधार होता नजर नहीं आ रहा है. सूत्रों के अनुसार उत्तरी रेलवे के महाप्रबंधक को गोयल की नाराजगी सबसे अधिक झेलनी पड़ी. इस जोन में गाड़ियों के समय पर चलने यानी सेवा अनुशासन का आंकड़ा 29 मई तक बहुत ही खराब 49.59 प्रतिशत है जो पिछले साल की तुलना में 32.74 प्रतिशत अधिक खराब है.

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सूत्रों ने कहा, ‘मंत्री ने रेलगाड़ियों में देरी की आलोचना की लेकिन वह यह भी समझते हैं कि बड़ी मात्रा में पटरियों को बदले जाने का कुछ खामियाजा भी है. हालांकि अनुशासन का आंकड़ा उनकी अपेक्षा से बहुत ही खराब है. स्पष्ट रूप से जोनल अधिकारी अपनी अक्षमता को छुपाने के लिए रखरखाव काम को बहाने के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं.’ सूत्रों के अनुसार मंत्री ने प्रत्येक जोनल प्रमुख को व्यक्तिगत रूप से बुलाया तथा उनसे इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा. उल्लेखनीय है कि पिछले महीने प्रगति बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गाड़ियों में देरी को लेकर गोयल से सवाल किए थे.

(इनपुट भाषा से...)

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