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This Article is From Sep 08, 2015

एयर इंडिया के पायलटों ने इस प्लेन को अनसेफ करार दिया | एयर लाइन बोली, ऐसा नहीं है

एयर इंडिया के पायलटों ने इस प्लेन को अनसेफ करार दिया | एयर लाइन बोली, ऐसा नहीं है
नई दिल्ली: अगर आप एयर इंडिया की फ्लाइट में हैं तो हो सकता है आप भी उन दर्दनाक पलों के साक्षी बन जाएं जो सोमवार को तमाम लोगों ने दिल्ली एयरपोर्ट पर महसूस किए। एयर इंडिया के बेड़े में 60 एयरबस ए320 हवाई जहाज हैं। इन जहाजों को उड़ाने वाले तमाम पायलटों का कहना है कि इनमें से 15 इतने पुराने हैं कि जो उड़ने लायक नहीं हैं।

इसी साल मार्च में एयर इंडिया के कई पायलटों ने सिविल एविएशन रेगुलेटर डीजीसीए से कहा, 'क्लासिक ए 320 जहाज करीब 26 साल पुराने हो गए हैं और दुनिया में भी सबसे 'बूढ़े' हैं, का प्रयोग लगातार जारी है। वह भी तब, जब इनमें कई बार खराबियां आती जा रही हैं।  इससे अनेक मौकों पर सुरक्षा को लेकर चिंता पैदा हो जाती है। इन पायलटों ने डीजीसीए से मांग की है कि यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर इन जहाजों के परिचालन पर रोक लगाई जानी चाहिए।'

बता दें कि ए 320 जहाजों की पहली खेप 1989 में खरीदी गई थी। उस समय खरीदे गए 15 जहाज वर्तमान में उड़ान की दृष्टि से सबसे खतरनाक साबित हो रहे हैं।

सोमवार को करीब 150 यात्रियों को लेकर उड़ रहे एक ऐसे ही जहाज ने जब दिल्ली एयरपोर्ट पर लैंडिंग की तब उसके पहिए में आग लग गई थी। सभी यात्रियों को काफी जद्दोजहद के बाद सुरक्षित बाहर निकाला गया। यात्रियों को बाहर निकालने की प्रक्रिया में कुछ को चोटें भी आ गईं।

जब नागरिक उड्डयन के मामले के राज्य मंत्री महेश शर्मा से इस मामले में बात की गई तो उनका कहना था कि यह कहना कि ए 320 खतरनाक हो गया है, पूरी तरह गलत है। उन्होंने कहा कि एयरक्राफ्ट की उम्र 3 हो या 26 इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। हर एयरक्राफ्ट की उड़ान से पहले, वह उड़ने लायक है या नहीं, इसकी जांच होती है और सर्टिफिकेट जारी होने के बाद ही उड़ान की इजाजत दी जाती है।

उधर, एनडीटीवी को जानकारी मिली है कि जनवरी में डीजीसीए ने ए 320 की उड़ानों को सीमित करने के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं। डीजीसीए ने यह निर्देश तब जारी किए जब उसने पाया कि कई बार हवा में इनके इंजन में खराबी आने की शिकायत आती रही।

एनडीटीवी ने उन निर्देशों को भी देखा है जो यह बता रहे हैं कि ऐसे जहाजों के लिए कहा गया है कि जैसे ही दो में से एक इंजन बंद हो जाता है, उसे नजदीक के हवाई अड्डे पर उतार दिया जाए। इन जहाजों को ऐसे मार्गों पर उड़ान से रोकने के भी निर्देश हैं जिन मार्गों पर किसी आकस्मिक स्थिति में एक घंटे के भीतर एयरपोर्ट पर लैंडिंग संभव न हो। वहीं, इस प्रकार के नए जहाजों के लिए यह समय तीन घंटों का होता है।

यह भी तथ्य सामने आया है कि करीब तीन साल पहले एयर इंडिया के पायलटों ने पुराने पड़ चुके ए 320 जहाजों की शिकायत की थी। पायलटों ने अपनी शिकायत में कहा कि इन जहाजों का रडार काफी पुरानी तकनीक का है जो मौसम का सही विश्लेषण करने में अक्षम है।

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