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This Article is From Jan 11, 2017

लगातार तीसरे साल बिना 'जल्लीकट्टू' के मनेगा ओणम का त्यौहार

लगातार तीसरे साल बिना 'जल्लीकट्टू' के मनेगा ओणम का त्यौहार
एआईडीएमके के सांसदों ने नई दिल्ली में बुधवार को पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे से मुलाकात की.
नई दिल्ली: जल्लीकट्टू का पारम्परिक खेल इस बार भी ओणम के त्योहार के दौरान तमिलनाडु में दिखाई नहीं देगा. बैलों पर अत्याचार की सामाजिक कार्यकर्ताओं की शिकायत के बाद 2014 से जल्लीकट्टू पर कोर्ट ने रोक लगा रखी है. बुधवार को तमिलनाडु से आए एआईडीएमके सांसदों ने दिल्ली में पर्यावरण मंत्री अनिल दवे से मुलाकात की और मांग की कि अदालती रोक को देखते हुए सरकार इस बारे में अध्यादेश लाए. लेकिन केंद्र सरकार ने साफ कहा है कि अदालत का फैसला आने तक वह कुछ नहीं करेगी.

लोकसभा के डिप्टी स्पीकर और एआईडीएमके नेता थंबीदुरई ने कहा, "यह त्यौहार हमारी संस्कृति का हिस्सा है. इस पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद राज्य में प्रदर्शन हो रहे हैं. हम यहां सरकार से मांग करने आए हैं कि वह कोशिश करे कि इस साल ओणम के त्यौहार में जल्लीकट्टू हो सके."
 
anil dave aidmk mp

केंद्र सरकार ने कहा है कि अदालत का फैसला आने तक वह कुछ नहीं करेगी. अभी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है और अदालत ने इस बारे में अपना फैसला  सुरक्षित रखा है. पर्यावरण मंत्री अनिल दवे ने कहा कि "मामला अदालत में होने की वजह से हमारे हाथ बंधे हुए हैं. मुझे विश्वास है कि कोर्ट ऐसा फैसला सुनाएगा ताकि त्यौहार पारम्परिक तरीके से मनाया जा सकेगा लेकिन कोर्ट का फैसला आने तक हमें इंतजार करना होगा."

केंद्र सरकार ने मामले में यूपीए सरकार को दोषी ठहराया है. पर्यावरण मंत्री ने ट्वीट कर कहा - सारी समस्या की जड़ यूपीए सरकार है जिसने 2011 में बैलों को प्रतिबंधित जानवरों की सूची में शामिल किया.  


उधर दिल्ली आए तमिलनाडु के सांसद इस बारे में प्रधानमंत्री से भी मिलना चाहते थे लेकिन उनकी मुलाकात नहीं हो सकी.

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