यह ख़बर 26 दिसंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

कॉन्सटेबल सुभाष तोमर की मौत पर चश्मदीदों के बयान से पुलिस कठघरे में

खास बातें

  • कॉन्सटेबल सुभाष तोमर को अस्पताल पहुंचवाने में पुलिसकर्मियों की मदद करने वाले एक लड़के और एक लड़की ने दावा किया कि तोमर को कोई चोट नहीं लगी थी, लेकिन वह पसीने से तरबतर थे।
नई दिल्ली:

कॉन्सटेबल सुभाष तोमर की मौत के मामले में पॉलीन नाम की लड़की ने मीडिया से पहली बार बातचीत करते हुए दावा किया कि तोमर के शरीर पर चोटों के कोई निशान नहीं थे, लेकिन वह पसीने से लथपथ थे।

पॉलीन ने कहा कि तोमर पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किए जाने के बाद उसकी मौजूदगी में नीचे गिरे और उसने तोमर से सांस लेने की कोशिश करते रहने के लिए कहा। वहां उस समय सिर्फ तीन से पांच पुलिसवाले मौजूद थे और कोई भीड़ नहीं थी। पॉलीन ने वहां मौजूद पुलिसवालों से एंबुलेंस मंगाने के लिए भी कहा था।

पॉलीन का दावा है कि उसने पुलिस से यह भी कहा था कि चुपचाप खड़े मत रहिए, एंबुलेंस बुलाइए, क्योंकि हम इन्हें (तोमर को) कोई प्राथमिक उपचार नहीं दे पाए हैं। इससे पहले, तस्वीरों में पॉलीन के साथ दिख रहे योगेंद्र नाम के दूसरे चश्मदीद ने भी दावा किया था कि तोमर को किसी प्रदशर्नकारी ने नहीं पीटा था। योगेंद्र के मुताबिक तोमर को कोई चोट नहीं आई थी और वह दौड़ते-दौड़ते अचानक गिर पड़े थे। योगेंद्र और पॉलीन ने ही पुलिस की मदद से तोमर को अस्पताल पहुंचवाया था।

उधर, पुलिस द्वारा तोमर की मौत के मामले में आरोपी बनाए गए आठ में से चार आरोपियों ने भी एनडीटीवी से बातचीत में दावा किया है कि उनका इस घटना से कोई लेना-देना नहीं है और पुलिस ने उन्हें बेवजह गिरफ्तार किया है। दो आरोपियों - अमित जोशी और कैलाश जोशी ने दावा किया है कि घटना के वक्त वे मेट्रो में सफर कर रहे थे और इस वारदात से उनका कोई नाता नहीं है। इस मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने डीएमआरसी और दिल्ली पुलिस को नोटिस भी जारी किया है।

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इन दोनों भाइयों के अलावा आरोपी बनाए गए पिथौरागढ़ के शंकर बिष्ट का दावा है कि वह घटना के वक्त मौजूद नहीं था और पुलिस ने उसे जबरदस्ती पकड़ा है। एक अन्य आरोपी नफीस का भी यही कहना है कि पुलिस ने उसे मेट्रो से गिरफ्तार किया, जबकि वह प्रदर्शन करने गया भी नहीं था।