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This Article is From Jun 18, 2020

लद्दाख में चीनी सेना से झड़प में जान देने वाले भारतीय जवान की विधवा अपने बच्चों को सेना में भेजेगी

बिहार के सहरसा के निवासी भारतीय सेना के जवान कुंदन के देश के लिए जान न्यौछावर करने पर उनका गांव गौरवान्वित

लद्दाख में चीनी सेना से झड़प में जान देने वाले भारतीय जवान की विधवा अपने बच्चों को सेना में भेजेगी
सहरसा के निवासी सेना के जवान कुंदन की विधवा बेबी.
सहरसा:

India-China clash: बिहार के सहरसा की महिला बेबी के लिए पति का देश के लिए प्राण न्यौछावर करना उसे खोने के गम पर काफी भारी पड़ रहा है. 15 जून को गलवान घाटी में चीनी सैनिकों से हुए हिंसक झड़प में सहरसा के आरण गांव के कुंदन की भी जान चली गई. सेना के जवान कुंदन की विधवा बेबी पति को खोने के गम को दरकिनार कर चुकी है और अभी से ही अपने बच्चों को सेना में भर्ती कराने के लिए तैयार दिख रही हैं. 

बेबी कहती है कि उसे अपने पति की शहादत पर गर्व है. वह अपने पति की मौत का बदला लेकर रहेगी. दुश्मन देश को जान की कीमत जान देकर चुकानी होगी. वह अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देगी. उन्हें सेना में भर्ती कराएगी और देश के दुश्मनों को मार गिराने के लिए उन्हें तैयार करेगी. 

ग्रेजुएट बेबी कहती है कि उन्हें पति के बदले सरकार यदि नौकरी देगी, तो वह करेगी. कुंदन के देश के लिए जान न्यौछावर करने पर पूरा गांव गौरवान्वित है. इससे कुंदन की विधवा के भी हौसले मजबूत होते जा रहे हैं.

लद्दाख की गलवान घाटी में भारत-चीन सीमा पर झड़प में बिहार के भारतीय सेना के जवान जय किशोर का भी निधन हो गया. उनकी मौत की खबर उनके पैतृक गांव वैशाली के चकफतह गांव में पहुंचते ही कोहराम मच गया. घटना की सूचना मिलते ही गांव के लोग जय किशोर के जन्दाहा के चकफतह में सतही पैतृक आवास पर पहुंचना शुरू हो गए. घटना की सूचना मिलने पर जय किशोर की मां का रो-रो कर बुरा हाल हो गया.

जय किशोर के पिता राज कपूर सिंह ने बताया कि जय किशोर शुरुआत से ही काफी प्रतिभाशाली थे.  उनमें देश के लिए कुछ कर गुजरने की प्रबल इच्छा थी. उनके बड़े भाई नंदकिशोर भी  सेना में जवान थे, जिनसे प्रेरणा लेकर ही जय किशोर ने भी भारतीय सेना में जाने का फैसला लिया. 

जय किशोर 2018 में भारतीय सेना में शामिल हुए थे. बिहार के दानापुर में ट्रेनिंग लेने के बाद 2019 में उनकी पोस्टिंग हुई थी. जय किशोर आखिरी बार होली पर पहले अपने गांव आए थे. उन्होंने करीब एक महीने पहले अपने घरवालों से फ़ोन पर बात की थी. 

भारत-चीन के पूर्वी लद्दाख के गालवाना घाटी में सोमवार रात को हुई हिंसक झड़प में जान गंवाने वाले 20 भारतीय जवानों में से बिहार के समस्तीपुर जिले के मोहिउद्दीन प्रखंड के 24 साल के जांबाज अमन कुमार भी शामिल हैं. भारतीय-चीनी जवानों के बीच हुई हिंसक झड़प में देश के नाम पर अपनी जान देने वाले अमन कुमार के जाने पर उनके घर के अलावा पूरे गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है.

समस्तीपुर जिले के मोहिउद्दीन नगर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां के युवकों में देश सेवा की भावना इतनी है कि यहां के 55 से 60 प्रतिशत युवक डिफेंस की नौकरी करते हैं. अमन कुमार जिस गांव में रहते थे उस गांव के 40 फीसद युवा डिफेंस की नौकरी में हैं और गांव के वकील अमित कुमार कहते हैं कि जब-जब देश ने लड़ाई लड़ी है तब-तब यहां के जांबाज युवक शहीद हुए हैं हैं.

बता दें कि बिहार के ही एक और जवान ने इस झड़प में अपनी जान गंवाई है. कोशी जिले के 26 साल के कुंदन कुमार की इस झड़प में जान गई है. वहीं झारखंड के साहिबगंज के कुंदन ओझा और तेलंगाना के संतोष बाबू सहित कुल 20 जवानों की जान गई है.

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