एनआईए के अधिकारी तंजील अहमद (फाइल फोटो)
लखनऊ:
एनआईए अफसर तंजील अहमद की मौत को जांच एजेंसियां निजी रंजिश का नतीजा मान रही हैं, जिसकी वजह प्रेम त्रिकोण या संपत्ति विवाद हो सकता है। लेकिन उनका परिवार कहता है कि उन्हें आतंकवादियों ने मारा है।
तंजील अहमद को पिछले शनिवार की रात बिजनौर के एक गांव में गोली मार दी गयी थी। पुलिस इस सिलसिले में करीब आधा दर्जन लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। बड़ा सवाल यह है की ऐसी कौन सी निजी रंजिश थी जिसमें क़ातिल की उनसे इतनी नफरत थी कि उसने उन्हें 24 गोली मारी।
पुलिस को इस क़त्ल में तंजील के गांव सहसपुर के ही तीन लोगों ज़ैनुल, रेयान और मुनीर पर शक है। तीनों उस रोज़ शादी में शामिल थे। पुलिस के मुताबिक तीनों तंजील से नफरत करते थे क्योंकि रेयान तंजील के रिश्तेदार हैं जिनके परिवार में संपत्ति के बंटवारे में तंजील ने रेयान के पिता का विरोध किया था। ज़ैनुल भी तंजील के बर्ताव से उनसे नाराज़ रहता था और मुनीर के साथ उनका कुछ संपत्ति विवाद है। तीनों वहां से दो बाइक से निकले। रेयान की बाइक से ज़ैनुल असलहे लेकर निकला, जबकि मुनीर ने अपना हेलमेट और बाइक रेयान को चलाने को दी। मुनीर मुंह पे कपड़ा बांध कर खुद रेयान के साथ पीछे बैठा। उसी ने तंजील को गोलियों से भून दिया।
मामले की जांच एनआईए, एटीएस, एसटीएफ और पुलिस के सबसे बड़े अधिकारी कर रहे हैं। इनसे पूछताछ में भी यह लोग शामिल हैं। जांच एजेंसियों को शक है कि कहीं इसकी वजह प्रेम त्रिकोण न हो। ऐसा भी शक ज़ाहिर किया गया है कि तंजील और मुनीर एक ही लड़की से प्रेम करते थे। लेकिन एक एनआईए अफसर की गरिमा के लिहाज़ में जांच एजेंसियां इस मुद्दे पर खामोश रहना ही मुनासिब समझती हैं। लेकिन तंजील के भाई राग़िब का कहना है कि तंजील की हत्या आतंकवादियों ने की है।
तंजील की मौत में आतंकवाद के पहलू की जांच के लिए एटीएस के आला अफसरों की एक टीम लगी है। लेकिन जांच एजेंसियों का तर्क है कि अगर यह आतंकवादियों का काम होता तो वो दिल्ली में मारते। दिल्ली में एक एनआईए अफसर को मारने से कई गुना ज़्यादा आतंक फैलता। अगर आतंकवादी होते तो कार में बैठे पूरे परिवार को मार देते, सिर्फ तंजील को चुन कर नहीं। फिर आतंकवादी एक बजे रात में किसी गांव में हमला नहीं करते। यही नहीं, आतंकवाद से जुड़ी जांच के तमाम बड़े अधिकारी कर रहे हैं, ऐसे में तंजील को मारने से किसी आतंकवादी को क्या फायदा होगा? बहरहाल जब तक पुलिस तंजील के क़त्ल के आरोपी मुनीर तक नहीं पहुंच जाती है तब तक उनके क़त्ल की वजह राज़ ही रहेगी।
तंजील अहमद को पिछले शनिवार की रात बिजनौर के एक गांव में गोली मार दी गयी थी। पुलिस इस सिलसिले में करीब आधा दर्जन लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। बड़ा सवाल यह है की ऐसी कौन सी निजी रंजिश थी जिसमें क़ातिल की उनसे इतनी नफरत थी कि उसने उन्हें 24 गोली मारी।
पुलिस को इस क़त्ल में तंजील के गांव सहसपुर के ही तीन लोगों ज़ैनुल, रेयान और मुनीर पर शक है। तीनों उस रोज़ शादी में शामिल थे। पुलिस के मुताबिक तीनों तंजील से नफरत करते थे क्योंकि रेयान तंजील के रिश्तेदार हैं जिनके परिवार में संपत्ति के बंटवारे में तंजील ने रेयान के पिता का विरोध किया था। ज़ैनुल भी तंजील के बर्ताव से उनसे नाराज़ रहता था और मुनीर के साथ उनका कुछ संपत्ति विवाद है। तीनों वहां से दो बाइक से निकले। रेयान की बाइक से ज़ैनुल असलहे लेकर निकला, जबकि मुनीर ने अपना हेलमेट और बाइक रेयान को चलाने को दी। मुनीर मुंह पे कपड़ा बांध कर खुद रेयान के साथ पीछे बैठा। उसी ने तंजील को गोलियों से भून दिया।
मामले की जांच एनआईए, एटीएस, एसटीएफ और पुलिस के सबसे बड़े अधिकारी कर रहे हैं। इनसे पूछताछ में भी यह लोग शामिल हैं। जांच एजेंसियों को शक है कि कहीं इसकी वजह प्रेम त्रिकोण न हो। ऐसा भी शक ज़ाहिर किया गया है कि तंजील और मुनीर एक ही लड़की से प्रेम करते थे। लेकिन एक एनआईए अफसर की गरिमा के लिहाज़ में जांच एजेंसियां इस मुद्दे पर खामोश रहना ही मुनासिब समझती हैं। लेकिन तंजील के भाई राग़िब का कहना है कि तंजील की हत्या आतंकवादियों ने की है।
तंजील की मौत में आतंकवाद के पहलू की जांच के लिए एटीएस के आला अफसरों की एक टीम लगी है। लेकिन जांच एजेंसियों का तर्क है कि अगर यह आतंकवादियों का काम होता तो वो दिल्ली में मारते। दिल्ली में एक एनआईए अफसर को मारने से कई गुना ज़्यादा आतंक फैलता। अगर आतंकवादी होते तो कार में बैठे पूरे परिवार को मार देते, सिर्फ तंजील को चुन कर नहीं। फिर आतंकवादी एक बजे रात में किसी गांव में हमला नहीं करते। यही नहीं, आतंकवाद से जुड़ी जांच के तमाम बड़े अधिकारी कर रहे हैं, ऐसे में तंजील को मारने से किसी आतंकवादी को क्या फायदा होगा? बहरहाल जब तक पुलिस तंजील के क़त्ल के आरोपी मुनीर तक नहीं पहुंच जाती है तब तक उनके क़त्ल की वजह राज़ ही रहेगी।
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