नुकसान झेल रहे दिल्ली के व्यापारीयों ने दुकानों को रात साढ़े नौ बजे तक खोलने की मांग की

परेशान व्यापारीयों ने दुकानों को रात साढ़े नौ बजे तक खोलने और पाबंदियों में ढील देने की मांग की हैं. विभिन्न बाजारों के व्यापारी संघों ने कहा कि वे पाबंदियों के कारण बढ़ते नुकसान का सामना कर रहे हैं.

नुकसान झेल रहे दिल्ली के व्यापारीयों ने दुकानों को रात साढ़े नौ बजे तक खोलने की मांग की

एनडीटीए ने उपराज्यपाल अनिल बैजल को पत्र लिखकर व्यापारियों के लिए राहत देने की मांग की है.

नई दिल्ली:

दिल्ली (Delhi) में कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण के कारण लगाए गए व्यावसायिक प्रतिबंधों से दुकानदारों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा हैं. जिससे परेशान व्यापारीयों ने दुकानों को रात साढ़े नौ बजे तक खोलने और पाबंदियों में ढील देने की मांग की हैं. विभिन्न बाजारों के व्यापारी संघों ने कहा कि वे पाबंदियों के कारण बढ़ते नुकसान का सामना कर रहे हैं. उन्होंने सवाल किया कि जब दिल्ली में हालात सुधरे हैं तो पाबंदियां जारी रखने की क्या तुक है. मध्य दिल्ली में कनॉट प्लेस बाजार का प्रतिनिधित्व करने वाले ‘नयी दिल्ली व्यापार संघ'(NDTA) ने उपराज्यपाल अनिल बैजल को पत्र लिखकर स्थानीय व्यापारियों के लिए राहत देने की मांग की है.

उसने कहा, ‘‘हमें दुकान मालिकों/दुकानदारों से कई पत्र मिल रहे हैं कि उन्हें रात आठ बजे के बजाय रात साढ़े नौ बजे तक दुकानें खोलने की अनुमति दी जाए.  रात आठ बजे दुकान बंद करने का मतलब है कि दुकान बंद करने की तैयारी सात बजे शुरू करना, जिससे प्रमुख कारोबारी समय का नुकसान हो रहा है.''दिल्ली में अन्य व्यापार संघों ने भी ऐसी ही मांगें की हैं. ‘खान मार्केट ट्रेड एसोसिएशन' के अध्यक्ष संजीव मेहरा ने कहा कि यह दुकानदारों पर छोड़ना चाहिए कि वे दुकानें खोले रखना चाहते हैं या नहीं. उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि सभी चीजें सामान्य हो गयी है, तो दुकान बंद करने का समय भी सामान्य होना चाहिए. हम कह रहे हैं कि मास्क पहनने जैसे सख्त दिशा निर्देशों में थोड़ी छूट देनी चाहिए.''

‘सरोजिनी नगर ट्रेडर्स एसोसिएशन' के अध्यक्ष अशोक रंधावा ने दुकानदारों के बढ़ते नुकसान को लेकर निराशा जतायी. उन्होंने कहा, ‘‘हम लंबे समय से कह रहे हैं कि समय में ढील देनी चाहिए. हम इन नियमों के कारण नुकसान झेल रहे हैं. कार्यालय भी खुल गए हैं. लोग आमतौर पर खरीदारी के लिए शाम को निकलते हैं. यह शादियों का समय है इसलिए दुकानों पर पाबंदियां लगाने का कोई मतलब नहीं बनता.'

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)