प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
कुपवाड़ा के जंगलों में आतंकियों की खाक छानते हुए सेना को 11 दिन हो गए हैं। साथ में पुलिस और सीआरपीएफ के जवान भी हैं, लेकिन उनके हाथ अभी तक कुछ नहीं लगा है। इसकी भारी कीमत सेना को अब तक चुकानी पड़ी है। इस खोजबीन और मुठभेड़ में कर्नल संतोष महादिक शहीद हो गए। एक लेफ्टिनेंट कर्नल गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हैं। करीब सात जवान भी घायल हुए हैं। खबर मिली है कि इसमें एक आतंकी भी ढेर हो गया है।
घना जंगल और पहाड़ी इलाके के कारण परेशानी
13 नंवबर से ही सेना आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन चला रही है। सेना का चार बार आतंकियों से सामना हुआ लेकिन हर बार वे चकमा देकर भागने में कामयाब हो गए। इसकी वजह कुपवाड़ा का घना जंगल और पहाड़ी इलाका है। इस इलाके में सेना के चार हजार से ज्यादा जवान ऑपरेशन में जुटे हैं। सेना के हेलीकॉप्टर, पैराट्रुपर ,यूएवी और खोजी कुत्ते भी अभियान में लगे हैं। अभियान के इतने दिन बाद भी इस प्रश्न का जवाब किसी के पास नहीं है कि कितने आतंकी जंगल में छिपे हैं। सेना को चकमा देने के लिए आतंकियों ने वाकी टाकी, मोबाइल और सेटेलाइट फोन का इस्तेमाल बंद कर दिया है।
घुसपैठ करके आया लश्कर के आतंकियों का दल
सेना को पहले खबर मिली कि लश्कर आतंकियों का दल घुसपैठ करके जंगल में छिपा हुआ है। पिछले शुक्रवार को जंगल में ऑपरेशन शुरू किया गया। मुठभेड़ में दो जवानों को घायल करके आतंकी भाग निकले। दूसरी बार आतंकियों को मनीगाह जंगल में घेरा गया। दो दिन के ऑपरेशन में कर्नल महादिक शहीद हुए, तीन अन्य जवान घायल हुए और फिर आतंकी भाग निकले। इसके अगले दिन आतंकियों को फिर घेरा गया। दोनों तरफ से कुछ देर फायरिंग के बाद आतंकी फिर भाग गए।
बीते शुक्रवार को आतंकियों की खोज में पूरे जंगल को छाना गया, लेकिन उनका कुछ भी पता नहीं चल पाया। रविवार को फिर आतंकियों के साथ मनीगाह इलाके में मुठभेड़ हुई। इसमें एक लेफ्टिनेंट कर्नल को गोली लगी और वे गंभीर रूप से घायल हो गए। इस कार्रवाई में एक जवान भी घायल हो गया। वैसे यह पहला मौका नहीं है जब आतंकियों ने सेना के हजारों जवानों को ऐसे छकाया हो।
घना जंगल और पहाड़ी इलाके के कारण परेशानी
13 नंवबर से ही सेना आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन चला रही है। सेना का चार बार आतंकियों से सामना हुआ लेकिन हर बार वे चकमा देकर भागने में कामयाब हो गए। इसकी वजह कुपवाड़ा का घना जंगल और पहाड़ी इलाका है। इस इलाके में सेना के चार हजार से ज्यादा जवान ऑपरेशन में जुटे हैं। सेना के हेलीकॉप्टर, पैराट्रुपर ,यूएवी और खोजी कुत्ते भी अभियान में लगे हैं। अभियान के इतने दिन बाद भी इस प्रश्न का जवाब किसी के पास नहीं है कि कितने आतंकी जंगल में छिपे हैं। सेना को चकमा देने के लिए आतंकियों ने वाकी टाकी, मोबाइल और सेटेलाइट फोन का इस्तेमाल बंद कर दिया है।
घुसपैठ करके आया लश्कर के आतंकियों का दल
सेना को पहले खबर मिली कि लश्कर आतंकियों का दल घुसपैठ करके जंगल में छिपा हुआ है। पिछले शुक्रवार को जंगल में ऑपरेशन शुरू किया गया। मुठभेड़ में दो जवानों को घायल करके आतंकी भाग निकले। दूसरी बार आतंकियों को मनीगाह जंगल में घेरा गया। दो दिन के ऑपरेशन में कर्नल महादिक शहीद हुए, तीन अन्य जवान घायल हुए और फिर आतंकी भाग निकले। इसके अगले दिन आतंकियों को फिर घेरा गया। दोनों तरफ से कुछ देर फायरिंग के बाद आतंकी फिर भाग गए।
बीते शुक्रवार को आतंकियों की खोज में पूरे जंगल को छाना गया, लेकिन उनका कुछ भी पता नहीं चल पाया। रविवार को फिर आतंकियों के साथ मनीगाह इलाके में मुठभेड़ हुई। इसमें एक लेफ्टिनेंट कर्नल को गोली लगी और वे गंभीर रूप से घायल हो गए। इस कार्रवाई में एक जवान भी घायल हो गया। वैसे यह पहला मौका नहीं है जब आतंकियों ने सेना के हजारों जवानों को ऐसे छकाया हो।
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