प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर अब लगभग पूरा होने को है. उत्तर प्रदेश चुनाव को देखते हुए तेजी से इसका काम कराया जा रहा है. ताकि जल्द से जल्द इसका लोकार्पण किया जा सके.13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों इसके लोकार्पण का कार्यक्रम लगभग तय है. वहीं काम के चलते आंशिक रूप से 3 दिनों के लिए इसे बंद किया जाएगा. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के कार्य का निरीक्षण कर चुके हैं. रविवार को उन्होंने विश्वनाथ कॉरिडोर के कार्य का निरीक्षण किया और उसके बाद कहा कि लोकार्पण पर पूरे जिले में आम लोगों की मदद से उत्सव का माहौल बनाया जाएगा. इसमें 12, 13 और 14 दिसंबर को गंगा घाटों के साथ शहर के प्रमुख इमारतों की विशेष रूप से सजावट एवं लाइटिंग कराई जाएगी. लोग अपने घरों में दीपक जलाएंगे. काशी के तमाम परिवारों के साथ संवाद स्थापित किया जाएगा.
उत्तर प्रदेश सरकार इस लोकार्पण को उत्सव के तौर पर माना चाहती है. 13 दिसंबर से 14 जनवरी तक 1 महीने तक यहां पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. जिसका नाम भव्य काशी दिव्य काशी चलो काशी होगा. लोकार्पण के बाद काशी के हर घर में प्रसाद व विश्वनाथ धाम के इतिहास से संबंधित कॉफी टेबल बुक भी पहुंचाए जाएंगे.
जोरों से चल रही हैं तैयारियां
विश्वनाथ कॉरिडोर बनाने की तैयारी काफी तेजी से की जा रही हैं. मंदिर के मुख्य परिसर में संगमरमर बिछाने का काम पूरा हो गया है. अब उसके पॉलिश करने का काम हो रहा है. लिहाजा 29 नवंबर और 30 नवंबर, दो दिन आंशिक रूप से और 1 दिसंबर को पूर्ण रूप से मंदिर को बंद रखा जाएगा. दरअसल विश्वनाथ कॉरिडोर में लगाए गए मकराना पत्थर की घिसाई श्रद्धालुओं की भीड़ की वजह से नहीं हो पा रही थी. इसलिए 29 नवंबर की सुबह 6:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक, 30 नवंबर को सुबह 6:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक और 1 दिसंबर को पूरे दिन मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए बंद किया गया है. ये निर्णय प्रशासन और मंदिर समिति के सहयोग और समर्थन से लिया गया है. इस दौरान मंदिर का दैनिक पूजा पाठ का कार्यक्रम जारी रहेगा.
विश्वनाथ कॉरिडोर के मुख्य कार्यपालक अविनाश वर्मा ने बताया कि मंदिर कॉरिडोर का काम अपने अंतिम दौर में है. कुछ काम बचा हुआ है जिसे इन 3 दिनों के अंदर पूरा किया जाएगा.
गौरतलब है कि सन् 1669 में अहिल्याबाई होल्कर ने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनरुद्धार कराया था. उसके लगभग 352 वर्ष बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका पुनरुद्धार करा रहे हैं.
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