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This Article is From Sep 15, 2021

संकट में फंसे दूरसंचार क्षेत्र को तोहफा, स्पेक्ट्रम बकाये पर 4 साल कर्ज अदायगी से मिली छूट : सूत्र

केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को कर्ज में डूबे दूरसंचार क्षेत्र के लिए राहत पैकेज को हरी झंडी दिखा दी है, ताकि वे स्पेक्ट्रम पर अपने भुगतान के लिए अतिरिक्त मोहलत मिल सके. इसमें स्पेक्ट्रम के बकाये के भुगतान की अप्रैल 2022 में प्रस्तावित पहली किस्त भी शामिल है.

संकट में फंसे दूरसंचार क्षेत्र को तोहफा, स्पेक्ट्रम बकाये पर 4 साल कर्ज अदायगी से मिली छूट : सूत्र
कैबिनेट ने टेलीकॉम कंपनियों ( telecom companies) के मोरेटोरियम (moratorium) योजना को मंजूरी दी
नई दिल्ली:

Telecom Sector Moratorium : केंद्र सरकार ने संकट में फंसे दूरसंचार क्षेत्र (Telecom Sector ) को तोहफा दिया है. सूत्रों के मुताबिक, कैबिनेट ने स्पेक्ट्रम के बकाये को चुकाने से जुड़े कर्ज की अदायगी पर दूरसंचार कंपनियों को 4 साल तक की छूट ( 4 Year Moratorium On Spectrum Dues ) दी है. यह टेलीकॉम कंपनियों के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है. खबरों के मुताबिक, केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को कर्ज में डूबे दूरसंचार क्षेत्र के लिए राहत पैकेज (Relief Package) को हरी झंडी दिखा दी है, ताकि वे स्पेक्ट्रम पर अपने भुगतान के लिए अतिरिक्त मोहलत मिल सके.

इसमें स्पेक्ट्रम के बकाये के भुगतान की अप्रैल 2022 में प्रस्तावित पहली किस्त भी शामिल है. यह पैकेज वोडाफोन आइडिया जैसी कंपनियों के लिए बड़ी राहत लेकर आय़ा है. ये कंपनियां सरकार का कर्ज चुकाने में खुद को असफल पा रही थीं. माना जा रहा था कि वोडाफोन और आइडिया के विलय के बावजूद ये कंपनी भरभरा सकती है. 

टेलीकॉम पैकेज के स्पेक्ट्रम बकाये के भुगतान पर अगले चार साल तक रोक रहेगी. स्पेक्ट्रम बकाये पर ब्याज को सरकार की इक्विटी के रूप में बदलने का विकल्प भी दे सकती है.एजीआर (Adjusted Gross Revenue) AGR and Sprecturm Dues पर चार साल की रोक और स्पेक्ट्रम यूसेज चार्जेस पर भी रोक संभव है. 

देश में एक वक्त दूरसंचार क्षेत्र में देसी विदेशी तमाम कंपनियों की भरमार थी, लेकिन अब महज तीन कंपनियां रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ही मैदान में रह गई हैं. इनमें से एयरटेल और वोडाफोन आइडिया की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है. माना जा रहा था कि अगर टेलीकॉम सेक्टर को राहत नहीं दी गई तो इसमें सिर्फ एक कंपनी ही रह जाएगी. 

कैबिनेट का यह फैसला कुमार मंगलम बिड़ला के वोडाफोन आइडिया के चेयरमैन पद से इस्तीफा देने के बाद आया है. ये कंपनी लंबे समय से सरकार से बेलआउट पैकेज की मांग कर रही थी. देश की दूसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी एयरटेल ने भी सरकार से मदद की गुहार लगाई थी. इन कंपनियों का कहना है कि उनके राजस्व का बड़ा हिस्सा सरकार के राजस्व को चुकाने में चला जाता है. 

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