मल्लेश की फाइल तस्वीर
हैदराबाद:
तेलंगाना में शनिवार शाम जब राज्य कैबिनेट की बैठक में किसानों की खुदकुशी के मामले पर चर्चा हो रही थी, तब सिर्फ 10 किमी दूर 58 साल के एक शख्स ने पंप हाउस की ऊंची दीवार पर चढ़कर तौलिये का फंदा बनाकर खुद को फांसी लगा ली।
मेडक से रोजगार के लिए हैदराबाद आया था
मल्लेश कुछ हफ्ते पहले ही पड़ोस के अपने गृहनगर मेडक जिले से हैदराबाद आया था। मेडक मुख्यमंत्री के चंद्रेशखर राव का क्षेत्र है। सूखे के चलते मल्लेश की फसल तबाह हो गई थी और वह कर्ज में डूबा हुआ था। मल्लेश को एक अपार्टमेंट में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी मिली थी, लेकिन सिर्फ 6,500 रुपये की तनख्वाह के बूते उसे कर्ज चुका पाने की उम्मीद नहीं थी। उसके परिवार ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से वह बेहद तनाव में था।
पुलिस को उसका मोबाइल फोन उसके शव के पास पड़ा मिला, जिसके जरिये उसके परिवार से संपर्क किया गया। मल्लेश के एक रिश्तेदार ने बताया कि उसने एक लाख से ज्यादा का कर्ज लेकर डेढ़ एकड़ जमीन पर खेती की थी, लेकिन सूखे ने सब कुछ तबाह कर दिया। बाद में साहूकार उस पर कर्ज चुकाने का दबाव बढ़ाने लगे।
क्या बढ़ा हुआ मुआवजा मिलेगा?
मल्लेश मल्लाह समुदाय से आता था और एक तालाब में भी उसका हिस्सा था, लेकिन इस बार उससे भी उसे कुछ हासिल नहीं हुआ। जिला प्रशासन इस बात की जांच कर रहा है कि क्या मल्लेश ने कर्ज में डूबे होने के चलते अपनी जान दे दी। उसके कुछ रिश्तेदारों ने कहा कि क्या खुदकुशी करने वालों किसानों के लिए सरकार द्वारा घोषित बढ़ा हुआ मुआवजा मल्लेश को मिल सकेगा, जिसकी घोषणा मल्लेश की आत्महत्या करने से ठीक एक दिन बाद की गई। राज्य सरकार ने खुदकुशी करने वाले किसानों के लिए मुआवजे की राशि 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 6 लाख रुपये कर दी है।
हैदराबाद आने से पहले मल्लेश अपनी पत्नी के साथ मेडक में रहता था। उसकी दो बेटियों और एक बेटे की शादी हो चुकी है, वे सब अलग-अलग रह रहे हैं। पुलिस का कहना है कि मल्लेश के दुखी रहने की वजहों में यह भी एक कारण हो सकता है।
सैकड़ों किसान कर चुके हैं खुदकुशी
सरकार के मुताबिक पिछले एक साल के दौरान 430 किसानों खुदकुशी के मामले दर्ज किए गए। इनमें से सरकारी मानदंड के आधार पर 141 किसानों के परिवार मुआवजे के हकदार पाए गए। वहीं विपक्षी पार्टियों का कहना है कि पिछले एक साल में कम से कम 1200 किसानों ने खुदकुशी की है।
मेडक से रोजगार के लिए हैदराबाद आया था
मल्लेश कुछ हफ्ते पहले ही पड़ोस के अपने गृहनगर मेडक जिले से हैदराबाद आया था। मेडक मुख्यमंत्री के चंद्रेशखर राव का क्षेत्र है। सूखे के चलते मल्लेश की फसल तबाह हो गई थी और वह कर्ज में डूबा हुआ था। मल्लेश को एक अपार्टमेंट में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी मिली थी, लेकिन सिर्फ 6,500 रुपये की तनख्वाह के बूते उसे कर्ज चुका पाने की उम्मीद नहीं थी। उसके परिवार ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से वह बेहद तनाव में था।
पुलिस को उसका मोबाइल फोन उसके शव के पास पड़ा मिला, जिसके जरिये उसके परिवार से संपर्क किया गया। मल्लेश के एक रिश्तेदार ने बताया कि उसने एक लाख से ज्यादा का कर्ज लेकर डेढ़ एकड़ जमीन पर खेती की थी, लेकिन सूखे ने सब कुछ तबाह कर दिया। बाद में साहूकार उस पर कर्ज चुकाने का दबाव बढ़ाने लगे।
क्या बढ़ा हुआ मुआवजा मिलेगा?
मल्लेश मल्लाह समुदाय से आता था और एक तालाब में भी उसका हिस्सा था, लेकिन इस बार उससे भी उसे कुछ हासिल नहीं हुआ। जिला प्रशासन इस बात की जांच कर रहा है कि क्या मल्लेश ने कर्ज में डूबे होने के चलते अपनी जान दे दी। उसके कुछ रिश्तेदारों ने कहा कि क्या खुदकुशी करने वालों किसानों के लिए सरकार द्वारा घोषित बढ़ा हुआ मुआवजा मल्लेश को मिल सकेगा, जिसकी घोषणा मल्लेश की आत्महत्या करने से ठीक एक दिन बाद की गई। राज्य सरकार ने खुदकुशी करने वाले किसानों के लिए मुआवजे की राशि 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 6 लाख रुपये कर दी है।
हैदराबाद आने से पहले मल्लेश अपनी पत्नी के साथ मेडक में रहता था। उसकी दो बेटियों और एक बेटे की शादी हो चुकी है, वे सब अलग-अलग रह रहे हैं। पुलिस का कहना है कि मल्लेश के दुखी रहने की वजहों में यह भी एक कारण हो सकता है।
सैकड़ों किसान कर चुके हैं खुदकुशी
सरकार के मुताबिक पिछले एक साल के दौरान 430 किसानों खुदकुशी के मामले दर्ज किए गए। इनमें से सरकारी मानदंड के आधार पर 141 किसानों के परिवार मुआवजे के हकदार पाए गए। वहीं विपक्षी पार्टियों का कहना है कि पिछले एक साल में कम से कम 1200 किसानों ने खुदकुशी की है।
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