केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तेलंगाना को लेकर कांग्रेस के भीतर और बाहर विरोध की स्थिति के बावजूद अलग तेलंगाना राज्य के गठन से जुड़े विधेयक को मंजूरी दे दी। अब इस विधेयक को 12 फरवरी को संसद में पेश किया जाएगा।
इस विवादास्पद विधेयक को मौजूदा स्वरूप में ही राज्यसभा में पेश किया जाएगा और सरकार विधेयक को चर्चा के दौरान 32 संशोधन पेश करेगी। मांगों के बावजूद प्रस्तावित विधेयक में हैदराबाद को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा देने का प्रावधान नहीं है, लेकिन सरकार रायलसीमा और उत्तरी तटीय आंध्र के लोगों की चिंताओं पर ध्यान देने के लिए विशेष पैकेज देगी।
कैबिनेट ने एक विशेष मैराथन बैठक के बाद आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक को मंजूरी दे दी, जिसके बाद पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस कोर समूह की बैठक हुई। एआईसीसी महासचिव दिग्विजय सिंह बैठक में विशेष रूप से आमंत्रित थे, जो आंध्र प्रदेश के प्रभारी हैं।
मंत्रिमंडल की बैठक में एनसीपी अध्यक्ष और कृषि मंत्री शरद पवार ने सवाल किया कि क्या राज्यपाल को दिए जा रहे कानून व्यवस्था के अधिकार संविधान के अनुरूप हैं। इससे पहले वह तेलंगाना की मजबूत वकालत कर चुके हैं।
सूत्रों ने कहा कि पवार ने विधेयक का समर्थन तो किया, लेकिन उन्होंने जानना चाहा कि सीमांध्र की नई राजधानी के लिए क्या हो रहा है? उन्हें बताया गया कि पूरी लागत की जिम्मेदारी केंद्र की होगी।
इस दौरान, केंद्रीय मंत्री पल्लम राजू ने हैदराबाद को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिए जाने की वकालत की, जिसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। राजू सीमांध्र के अपने कुछ अन्य सहयोगियों के साथ राज्य के विभाजन का विरोध करते रहे हैं।
मौजूदा सत्र 15वीं लोकसभा का अंतिम सत्र है और सरकार चाहती है कि इसी सत्र में विधेयक पर चर्चा होनी चाहिए और इसे पारित किया जाना चाहिए। आंध्र प्रदेश विधानसभा की ओर से विधेयक को पारित नहीं किए जाने के बावजूद सरकार ने इसे पारित करने का फैसला किया है।
इससे पहले गुरुवार को तेलंगाना पर मंत्रिसमूह ने आंध्र प्रदेश के बंटवारे से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की थी। सीमांध्र के केंद्रीय मंत्रियों ने कहा था कि केंद्र सरकार को सीमांध्र को विशेष पैकेज देना चाहिए। विशेषकर रायलसीमा को विशेष पैकेज मिले और नई राजधानी के निर्माण के लिए पर्याप्त धन मुहैया कराया जाए।
उन्होंने कहा था कि सीमांध्र के लोगों को तेलंगाना की शैक्षिक एवं स्वास्थ्य सुविधाओं को प्राप्त करने की अनुमति होनी चाहिए। मंत्रियों ने आग्रह किया था कि मंत्रिसमूह उनकी मांगों को आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक के मसौदे में शामिल करे।
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