जम्मू कश्मीर में सरकार गठन को लेकर बीते करीब दो हफ्तों से अपने शीर्ष नेताओं के साथ विचार विमर्श कर रही पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) अगले हफ्ते बीजेपी के साथ इस विषय में बातचीत शुरू कर सकती है।
सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि दोनों पार्टियां सरकार गठन पर वार्ता के लिए अगले मंगलवार तक एक शीर्ष स्तरीय दल का गठन करेंगी। हालांकि, इसके साथ ही इस सूत्र ने हमसे कहा कि पीडीपी की अपनी कुछ मांगें हैं, जिस पर वह बीजेपी से आश्वासन चाहती है, जिसे स्वीकार करने में बीजेपी को मुश्किल हो सकती है।
सूत्रों के मुताबिक, पीडीपी की मांगों में पाकिस्तान के साथ शांति वार्ता शुरू करना, सैन्य बल विशेष अधिकार कानून (एफस्पा) हटाना, और अलगाववादियों के साथ बातचीत शुरू करने जैसे मुद्दे शामिल हैं। उन्होंने कहा, 'इन मांगों में से पहला बीजेपी के लिए सबसे मुश्किल साबित हो सकता है, क्योंकि विदेश नीति का मुद्दा गठबंधन की मजबूरियों के अनुसार निर्धारित नहीं किया जाता।
वहीं बीजेपी का कहना है कि उनका मुख्य मुद्दा सुशासन और विकास होगा, जबकि अन्य मुद्दों को पीछे रखा जा सकता है।
हालांकि पीडीपी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं, 'गठबंधन का फैसला मुख्यमंत्री पद और मंत्रालयों के आबंटन पर नहीं, बल्कि यह एजेंडा पूरा करने की सरकार की क्षमता पर तय होगा।'
हालांकि इन सारे मुद्दों को दरकिनार करते हुए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने आज कहा, 'मुझे आशा है कि किसी भी समय इस बाबत फैसला हो सकता है।'
गौरतलब है कि राज्य विधानसभा के नतीजों के चलते प्रदेश में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिल पाया है। यहां 87 सदस्यीय सदन में पीडीपी 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और भाजपा 25 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर है। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 15 और कांग्रेस ने 12 सीटें जीती हैं। छोटे दलों और निर्दलियों के खाते में कुल मिलाकर सात सीटें आई हैं।
अभी तक किसी भी दल या दलों के गठबंधन ने सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया है। राज्य में 19 जनवरी तक निर्वाचित सरकार का गठन होना जरूरी है, जिसमें विफल रहने पर राज्य में राज्यपाल का शासन लागू हो जाएगा।
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