राजस्थान में अब स्वाइन फ्लू से सबसे ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। यहां जनवरी में मौतों के आंकड़े 29 तक पहुंच चुके हैं और 122 केस अब तक सामने आ चुके हैं। स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की एक आपात बैठक बुलाई और स्वाइन फ्लू से हो रही मौतों को काबू में करने के लिए निर्देश दिए हैं।
राजस्थान में डॉक्टर की सलाह पर स्वाइन फ्लू की जांच मुफ्त कर दी गयी है, साथ ही अगर कोई व्यक्ति निजी रूप से स्वाइन फ्लू की जांच करवाना चाहता है तो वह भी 50 प्रतिशत डिस्काउंट पर करवा सकता है। साथ ही जागरूकता अभियान, स्वाइन फ्लू को लेकर विज्ञापन और रैपिड रिस्पांस टीमों का गठन भी किया गया है, जिसके चलते लोग सर्दी जुखाम और बुखार को हल्के में न लें।
एनडीटीवी से खास बातचीत में स्वास्थ्यमंत्री राजेंद्र राठौर ने बताया है कि 'मुख्यमंत्री ने बैठक बुलाकर चिंता व्यक्त की है कि स्वाइन फ्लू के मरीजों में 23 प्रतिशत मौतें होना खतरे की घंटी है। उन्होंने कहा है कि सरकार सचेत है और इस बात की भी पुष्टि की है कि नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी कि रिपोर्ट के मुताबिक, स्वाइन फ्लू के वायरस में मामूली परिवर्तन आया है, लेकिन अभी यह स्वाइन फ्लू का ही वायरस है, जिस पर मौजूदा दवाएं काम कर रही हैं।
लेकिन फिर भी बढ़ते केसों को देखते हुए सरकारी अस्पतालों में भी वायरस को लेकर शोध चल रहा है। जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल के मेडिसिन विभाग के मुख्य डॉ. सीएल नवल ने बताया कि अस्पताल में वायरस के अलग-अलग रूप के लिए भी जांच करने के लिए किट मंगवाई जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वायरस कितना बदला है और कितने लोगों में सक्रिय हुआ है।
ज़ाहिर है देश में सबसे ज़्यादा मौतें स्वाइन फ्लू से राजस्थान में होने के बाद सरकार में हड़कंप मच गया है, लेकिन वह स्वाइन फ्लू पर काबू कर पाएगी या नहीं यह आगे देखना है, क्योंकि इसमें डॉक्टर्स कहते है कि स्वाइन फ्लू एक वायरस है और इसमें इलाज से ज़्यादा ज़रूरी होता है बचाव करना।
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