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This Article is From Oct 26, 2018

साल 2014 से शुरू हुआ स्वच्छ भारत अभियान अब ‘स्वच्छ न्यायालय’ तक जा पहुंचा है : अमिताभ कांत

नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत के मुताबिक, स्वच्छ भारत अभियान लोक अभियान बन गया है.

साल 2014 से शुरू हुआ स्वच्छ भारत अभियान अब ‘स्वच्छ न्यायालय’ तक जा पहुंचा है : अमिताभ कांत
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत (फाइल फोटो).
नई दिल्ली: स्वच्छ न्यायालय की योजना पर सुप्रीम कोर्ट में CJI रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस कुरियन जोसफ और जस्टिस ए के सीकरी के सामने प्रेजेंटेशन हुआ. इसमें स्वच्छ भारत मिशन, नीति आयोग और न्याय मंत्रालय की योजना तक शामिल रही. इस संबंध में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि 2014 से शुरू हुआ स्वच्छ भारत अभियान अब स्वच्छ न्यायालय तक पहुंच गया है. नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत के मुताबिक, स्वच्छ भारत अभियान लोक अभियान बन गया है.देश भर में निचली अदालत के 16755 अदालत कक्ष हैं. रोज़ाना डेढ़ करोड़ लोग अदालत जाते हैं. वहां परिसर, शौचालय साफ होने ज़रूरी हैं.

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उन्होंने कहा कि रोजाना 1.5 करोड़ लोग देश की अदालतों में जाते हैं, इसलिए निचली अदालतों में बडे पैमाने पर सफाई की जरूरत है.स्वच्छ भारत मिशन की ओर से बताया गया कि देश में 3388 कोर्ट परिसर हैं और 16755 कोर्ट कक्ष हैं. बॉम्बे और इलाहाबाद हाईकोर्ट में 2000 और बाकी राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, कलकत्ता हाइकोर्ट्स में एक हज़ार कमरे हैं. हरेक अदालत परिसर में कम से कम आठ प्रसाधन कॉम्प्लेक्स बनाए जाएं. हर कॉम्पलेक्स में कम से कम एक-एक दिव्यांग सुविधा भी हो.

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सभी कोर्ट में शौचालयों की बेहतर व्यवस्था करने के लिए केंद्रीय स्तर पर फंड दिया जा सकता है. हर कोर्ट कांप्लेक्स को 15 लाख रुपये दिए जाएं तो कुल खर्च 500 करोड होगा. दो वित्तीय वर्ष में फंड दिया जाए. नीति आयोग काम पर नजर रखे और कोर्ट कांप्लेक्स को रैंकिंग दे. पांच साल तक के लिए शोचालयों का रखरखाव किया जाए. सुप्रीम कोर्ट में इस परियोजना के क्रियान्वयन सुपरविजन की अध्यक्षता एडमिनिस्ट्रेटिव जज करेंगे. इस मामले में हाइकोर्ट्स के चीफ जस्टिस जिला जजों से वीडियो कॉन्फ्रेंस कर जायज़ा लेते रहेंगे.

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26 नवम्बर को नेशनल लॉ डे पर चीफ जस्टिस इसे लांच करेंगे. इस संबंध में जस्टिस मदन लोकुर ने कहा कि ये स्कीम अच्छी है. जिलों में कलेक्टर्स को भी इसके क्रियान्वयन मे शामिल किया जाय. pwd की भी मदद लेना सही रहेगा. हम स्वच्छता के इस लक्ष्य को प्राप्त करेंगे. इसमे कहीं कोई दिक्कत नहीं दिख रही.

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