सुशांत सिंह मौत मामला: CBI जांच की सिफारिश करके नीतीश कुमार ने एक तीर से साधे कई निशाने..

नीतीश को जैसे ही अंदाज़ा हुआ कि यह मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है और बिहार के युवा वर्ग ख़ासकर राजपूत जाति के लोगों में इस बात को लेकर काफ़ी आक्रोश है. तब नीतीश ने बिना समय गंवाए इस बारे में निर्णय ले लिया.

सुशांत सिंह मौत मामला: CBI जांच की सिफारिश करके नीतीश कुमार ने एक तीर से साधे कई निशाने..

सुशांत सिंह राजपूत केस में CM नीतीश कुमार ने CBI जांच की सिफारिश की है

खास बातें

  • इस संबंध में अधिसूचना केंद्र सरकार को भेजी गई
  • शनिवार को इस बारे में नीतीश ने दे दिया था संकेत
  • अपने कदम से सहयोगी दलों और विपक्ष का मुंह बंद किया
पटना:

Sushant singh case: बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar)ने बॉलीवुड एक्‍टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले (Sushant singh death case) में जो प्राथमिकी (FIR) पटना में दर्ज हुई हैं उसकी जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा की है. इस संबंध में विधिवत अधिसूचना केंद्र सरकार को भेज दी गई हैं. नीतीश ने खुद शनिवार को संकेत दे दिया था कि अगर परिवार के लोग चाहेंगे तो उन्हें सीबीआई जांच की अनुशंसा का आदेश देने में कोई दिक्कत नहीं है.उसके बाद माना जा रहा था कि बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के पूर्व शायद सुशांत के पिता विधिवत रूप से जांच की मांग करेंगे और बिहार सरकार तत्पश्‍चात अधिसूचना जारी कर देगी. और हुआ भी वहीं, पहले नीतीश ने मंगलवार सुबह लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान से फ़ोन पर बातचीत की जहां पर वो चिराग ने फिर से इस मामले की जाँच CBI से कराने की अपनी मांग दोहराई. 

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चिराग ने तुरंत मीडिया में ट्वीट कर अपनी बातचीत का ब्यौरा सार्वजनिक कर दिया. तब इस बात के संकेत मिलने लगे जो नीतीश 3 महीने से चिराग पासवान के फ़ोन का जवाब नहीं दे रहे थे जैसा कि कुछ चिराग ने कई सारे इंटरव्यू में यह बात कही थी तब वैसी परिस्थिति में नीतीश कुमार ने CBI जांच के बारे में मन बना लिया वह भी तब, जब उन्होंने चिराग पासवान से इस संबंध में बातचीत भी की. तब तक सुशांत राजपूत के पिता केके सिंह का फ़ोन बिहार के पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय को भी आ गया था जिसमें उन्होंने CBI जांच के लिए विधिवत रूप से राज्य सरकार से अनुरोध किया. इसके बाद आधे से एक घंटे के अंदर नीतीश ने गृह विभाग के अधिकारियों को इस संबंध में केंद्र को अनुरोध पत्र भेजने का प्रक्रिया पूरी करने के लिए कह दिया.

इससे पहले सोमवार को भी जब बिहार विधानसभा का अंतिम सत्र एक दिन के लिए बुलाया गया था तो सुशांत सिंह राजपूत के चचेरे भाई और BJP विधायक नीरज बबलू ने इस मामले को सदन में उठाते हुए CBI जांच की मांग की थी और इस मांग का समर्थन विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव,कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह या अन्य दलों के नेता सबने एक सुर में किया था. हालांकि सोमवार को नीतीश ने इस मुद्दे पर न कुछ कहा न कुछ किया. मंगलवार को उन्होंने CBI जांच की अनुशंसा करके एक तरह से राजनीतिक रूप से इस मुद्दे पर सबको, चाहे सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी हो या विरोधी राष्ट्रीय जनता दल, शांत कर दिया.

माना जा रहा है कि नीतीश को जैसे ही अंदाज़ा हुआ कि यह मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है और बिहार के युवा वर्ग ख़ासकर राजपूत जाति के लोगों में इस बात को लेकर काफ़ी आक्रोश है. तब नीतीश ने बिना समय गंवाए इस बारे में निर्णय ले लिया. जैसे ही परिवार वालों ने प्राथमिकी दर्ज कराने की इच्छा ज़ाहिर की तो न केवल नीतीश ने एफ़आइआर दर्ज कराने के लिए खुद से पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय को बोला बल्कि तुरंत पटना पुलिस की एक टीम मुंबई भेजने का निर्देश भी दिया. जब पटना के सिटी SP विनय तिवारी को मुंबई में क्‍वारंटाइन किया गया तो नीतीश ने सोमवार सुबह इस मुद्दे पर अपना विरोध भी सार्वजनिक रूप से जाहिर कर दिया. वे इस मुद्दे पर न केवल सक्रिय बल्कि आक्रामक दिखना चाहते थे.

नीतीश के समर्थकों का मानना है कि जब तक उन्हें इस मुद्दे के राजनीतिक असर के बारे में ठीक से मालूम नहीं था, तब तक उन्होंने इस मुद्दे में बहुत ज़्यादा रुचि नहीं दिखाई. एक बार जैसे ही उन्हें इस बात का अंदाज़ा हो गया कि विपक्ष इस मुद्दे के माध्यम से हमला बोलने की कोशिश कर रहा तो उन्‍होंने पहले एफआईआर और आखिरकार CBI जांच के लिए पहल करके एक तरह सेरा जनीतिक रूप से अपने आप को सुरक्षित कर लिया है.

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