बिहार में शराब कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बिहार सरकार को तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट से इसी तरह की याचिकाओं को खुद को ट्रांसफर करने का भी आदेश दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चूंकि इसी तरह का मुद्दा इस अदालत के समक्ष विचाराधीन है, इसलिए यह उचित है कि हाईकोर्ट
के समक्ष दायर अन्य याचिकाओं को यहां लंबित याचिकाओं के साथ ट्रांसफर कर सुनवाई की आवश्यकता है. जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सी टी रविकुमार की पीठ ने ये आदेश जारी किया .
पीठ इस मुद्दे पर तीन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइन एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा दायर एक याचिका भी शामिल है.
पीठ ने कहा कि सभी याचिकाओं में मुद्दा कानून की वैधता से संबंधित है. अदालत ने राज्य सरकार से कहा है कि वह तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करे. अप्रैल के पहले सप्ताह में सुनवाई के लिए मामलों को सूचीबद्ध किया जाएगा.
शीर्ष अदालत ने कहा कि यह सब कानून की वैधता के बारे में है. इसका जवाब पटना हाईकोर्ट में दाखिल किया गया है. अब इसमें सुधार नहीं किया जा सकता है. सरकार अपना हलफनामा दाखिल करें. इन सभी मामलों में एक ही सामग्री और हलफनामा सही होगा क्योंकि उन सभी में वैधता को चुनौती दी जा रही है.
इससे पहले 27 जनवरी को, मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली एक अन्य पीठ ने बिहार सरकार की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था. पीठ ने कहा था कि उसने 11 जनवरी को राज्य शराब कानून के प्रावधान की वैधता पर कोई टिप्पणी नहीं की थी, जिसमें अग्रिम जमानत देने को प्रतिबंधित किया गया है. शीर्ष अदालत ने ऐसे मामलों में गिरफ्तारी से पहले जमानत देने के पटना हाईकोर्ट के आदेश को मंज़ूरी दे दी थी.
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