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This Article is From Sep 13, 2018

नॉन-इंश्योर्ड वाहन से हादसा होने पर SC का बड़ा फैसला, जिस वाहन से दुर्घटना हो, उसे बेचकर दिया जाए मुआवज़ा

बिना इंश्योरेंस वाहन से दुर्घटना के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. दुर्घटना में शामिल बिना इंश्योरेंस के वाहन को बेचा जाए और उस राशि से पीड़ित को मुआवजा दिया जाए.

नॉन-इंश्योर्ड वाहन से हादसा होने पर SC का बड़ा फैसला, जिस वाहन से दुर्घटना हो, उसे बेचकर दिया जाए मुआवज़ा
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: बिना इंश्योरेंस वाहन से दुर्घटना के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. दुर्घटना में शामिल बिना इंश्योरेंस के वाहन को बेचा जाए और उस राशि से पीड़ित को मुआवजा दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सारे राज्य 12 हफ्ते में इस नियम को लागू करें. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ऐसे वाहन अब दुर्घटना के बाद जब्त होंगे और MACT कोर्ट इन वाहनों को बेचेगी. 

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के एक ऐसे ही मामले में ये निर्देश जारी किए हैं. याचिकर्ता ऊषा देवी की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि इस तरह का नियम दिल्ली MACT एक्ट में बनाया गया है, लेकिन बाकी राज्यों में ये नियम नहीं है. यदि किसी वाहन का बीमा नहीं है और दुर्घटना हो जाती है तो उससे पीड़ित या उसके परिवार को वित्तीय मदद नहीं मिलती. ऐसे में ये नियम सभी राज्यों के लिए होने चाहिए.

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आपको बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सड़क दुर्घटनाओं के मामलों में आदेश दिया था कि नए वाहनों के रजिस्ट्रेशन के समय थर्ड पार्टी इंश्योरेंस अनिवार्य होगा. सुप्रीम कोर्ट ने एक सितंबर से नए चार पहिया वाहनों का रजिस्ट्रेशन कराते समय तीन सालों के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस अनिर्वाय किया. दो पहिया वाहनों के लिए पांच साल तक के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस अनिर्वाय किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सड़क दुर्घटनाओं में लोगों की जान जा रही है.

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कोर्ट ने इंश्योरेंस कंपनी को फटकार लगते हुए कहा सड़क दुर्घटना में लोग मर रहे है. एक लाख से ज्यादा मौत हर साल हो जाती हैं, सड़क दुघर्टना में. हर तीन मिनट में एक दुर्घटना होती है. लोग मर रहे हैं और आप कह रहे हैं कि उन्हें मरने दिया जाए. आप उनको देखिए वे सड़क दुर्घटना में मर रहे है. भारत की जनता मर रही है. उनके लिए कुछ करिए. उनके पास पैसे नहीं होते और आप आठ महीने का समय मांग रहे हैं. किसी भी कीमत पर आपको आठ महीने का समय नहीं दिया जा सकता. 

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एमिकस गौरव अग्रवाल की तरफ से कहा गया था कि थर्ड पार्टी इंश्योरेंस जब कार या बाइक खरीदी जाती है तब होता है, उसके बाद नहीं कराया जाता. 66 फीसदी से ज्यादा ऐसे वाहन हैं जिनका थर्ड पार्टी इंश्योरेंस नहीं होता. ऐसे में कमेटी ने एक बार में ही थर्ड पार्टी इंश्योरेंस की बात कही थी. लेकिन इंश्योरेंस कंपनी ने कहा 20 सालों का पैसा एक साथ संभव नहीं हो पाएगा.

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इसके बाद कमेटी ने तीन साल तक के लिए प्रस्ताव रखा. तीन साल चार पहिया वाहन के लिए और पांच साल दो पहिया वाहन के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस अनिर्वाय किया. केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया कि थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कोई लेना नहीं चाहता क्योंकि इंश्योरेंस की क़िस्त ज्यादा हो जाती है.

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