पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई के मामले को सुप्रीम कोर्ट ने संविधान पीठ के हवाले कर दिया है। पीठ का गठन तीन महीने के अंदर किया जाएगा।
सजा में छूट के मुद्दे पर फैसला करने की खातिर न्यायालय ने संविधान पीठ के लिए सात प्रश्न तैयार किए हैं। संविधान पीठ यह भी फैसला करेगी कि जिस कैदी की सजा मृत्युदंड से बदल कर उम्रकैद की गई है, क्या उस सजा में सरकार द्वारा छूट दी जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह कदम केंद्र सरकार की उस याचिका पर उठाया है, जिसमें तमिलनाडु की जयललिता सरकार के उस निर्णय को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत राजीव गांधी की हत्या के सात दोषियों की रिहाई की बात कही गई थी। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय आज चीफ जस्टिस पी सताशिवम के कार्यकाल के आखिरी दिन आया है।
तमिलनाडु सरकार ने इन सातों दोषियों को रिहा करने का फैसला किया था, लेकिन केंद्र सरकार ने कहा था कि तमिलनाडु सरकार ऐसा नहीं कर सकती, क्योंकि इस केस की जांच सीबीआई ने की थी और बिना उसकी इजाजत के ऐसा नहीं किया जा सकता। साथ ही केंद्र सरकार ने कहा था कि राजीव गांधी की हत्या बेहद गंभीर और जघन्य अपराध है और इसके लिए दोषियों को माफ नहीं किया जा सकता।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 18 फरवरी को दिए अपने फैसले में राजीव गांधी हत्याकांड के तीन दोषियों - मुरुगन, सांथन और पेरारिवलन की फांसी की सजा रद्द कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इनकी दया याचिकाओं में जरूरत से ज्यादा वक्त लेने का कारण बताया था।
इसी फैसले के बाद तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने दोषियों की रिहाई का आदेश दिया था, जिस पर केंद्र सरकार की याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया था।
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