(प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट सासंदों, विधायकों व एमएलसी पर कोर्ट में प्रैक्टिस पर बैन लगाने की याचिका पर सुनवाई को तैयार हो गया है. अदालत ने केस में AG से मदद मांगी है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि AG को याचिका की कॉपी दी जाए. मामले में 11 मार्च को अगली सुनवाई होगी. बीजेपी नेता अश्वनी उपाधयाय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सासंदों, विधायकों को बतौर वकील कोर्ट में प्रैक्टिस करने से रोक की मांग की है. अश्विनी उपाध्याय की याचिका के मुताबिक बार काउंसिल के विधान और नियमावली के मुताबिक कहीं से वेतन पाने वाला कोई भी व्यक्ति वकालत नहीं कर सकता क्योंकि वकालत पूर्णकालिक पेशा है.
ऐसे में सांसद और विधायक जब सरकारी खजाने से वेतन और भत्ते लेते हैं तो कोर्ट में प्रैक्टिस कैसे कर रहे हैं. याचिका में कहा गया है कि जब तक कोई भी सांसद या विधायक जैसे पद पर है तब तक उसकी वकील के रूप में प्रैक्टिस पर पाबंदी लगा देनी चाहिए. शपथ लेते ही उसका लाइसेंस तब तक सस्पेंड कर देना चाहिए जब तक वो सांसद या विधायक है.
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उपाध्याय ने इस बाबत सुप्रीम कोर्ट का 1994 में आया जजमेंट भी अटैच किया है. इसमें प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर को कोर्ट ने कहा कि, वो तब तक वकालत के योग्य नहीं माने जाएंगे जब तक कि वो डॉक्टर के पद से इस्तीफा ना दे दें. ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब डॉक्टर एक साथ दो जगह से वेतन और भत्ते लेकर वकालत नहीं कर सकता तो सांसद और विधायक कैसे प्रैक्टिस कर सकते हैं.
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ऐसे में सांसद और विधायक जब सरकारी खजाने से वेतन और भत्ते लेते हैं तो कोर्ट में प्रैक्टिस कैसे कर रहे हैं. याचिका में कहा गया है कि जब तक कोई भी सांसद या विधायक जैसे पद पर है तब तक उसकी वकील के रूप में प्रैक्टिस पर पाबंदी लगा देनी चाहिए. शपथ लेते ही उसका लाइसेंस तब तक सस्पेंड कर देना चाहिए जब तक वो सांसद या विधायक है.
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उपाध्याय ने इस बाबत सुप्रीम कोर्ट का 1994 में आया जजमेंट भी अटैच किया है. इसमें प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर को कोर्ट ने कहा कि, वो तब तक वकालत के योग्य नहीं माने जाएंगे जब तक कि वो डॉक्टर के पद से इस्तीफा ना दे दें. ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब डॉक्टर एक साथ दो जगह से वेतन और भत्ते लेकर वकालत नहीं कर सकता तो सांसद और विधायक कैसे प्रैक्टिस कर सकते हैं.
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