असम में बांग्लादेशियों का गैरकानूनी तौर से प्रवेश और वहां रहना एक बड़ी समस्या है
नई दिल्ली:
असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल किसी भी काम को त्वरित गति के करने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन कभी-कभी उनकी यह जल्दबाजी भारी भी पड़ जाती है. अब राष्ट्रीय जनगणना रजिस्टर तैयार करने के मामले को ही लें, तो सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए 31 मार्च, 2018 तक की डेडलाइन तय की थी, लेकिन सोनोवाल ने रजिस्टर को इस साल 31 दिसंबर तक ही तैयार करने की बात कही. सोनोवाल की यह कोर्ट को कतई पसंद नहीं आई और लगा दी कड़ी फटकार.
सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को असम के मुख्यमंत्री को राज्य में राष्ट्रीय जनगणना रजिस्टर (एनआरसी) का प्रारूप तैयार करने के मामले में उनके हस्तक्षेप के लिए फटकार लगाई. सोनोवाल ने कहा था कि एनआरसी का प्रारूप 31 दिसंबर, 2017 तक तैयार हो जाएगा, जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने इसके लिए 31 मार्च, 2018 की समयसीमा तय की है. शीर्ष न्यायालय इस मामले की निगरानी कर रहा है.
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति रोबिन्सन फली नरीमन ने कहा कि जब शीर्ष न्यायालय राष्ट्रीय जनगणना रजिस्टर तैयार करने की प्रक्रिया की देखरेख कर रहा है, तो ऐसे में किसी अन्य प्राधिकारी का इसमें दखल देना सही नहीं है.
न्यायमूर्ति गोगोई ने पूछा, "हमारे पास असम के मुख्यमंत्री का बयान है कि उन्होंने असम में एनआरसी तैयार करने के लिए तारीख में संशोधन कर उसे 31 दिसंबर कर दिया है. जब शीर्ष न्यायालय इसकी निगरानी कर रहा है, तो कोई अन्य निकाय इसमें हस्तक्षेप कैसे कर सकता है?"
न्यायमूर्ति गोगाई ने कहा कि कोर्ट ने इसके लिए समय, पैसा और ऊर्जा खर्च की है. यह इस अदालत के लिए सही नहीं है. अदालत ने जब 31 मार्च, 2018 तक का समय दिया है, तो मुख्यमंत्री इसकी तारीख में संशोधन कैसे कर सकते हैं.
बता दें कि असम में मूल निवासियों की पहचान और बंग्लादेश से होने वाले अवैध प्रवास पर रोक लगाने के मकसद से सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय जनगणना रजिस्टर तैयार करने के निर्देश दिए थे.
(इनपुट आईएएनएस से)
सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को असम के मुख्यमंत्री को राज्य में राष्ट्रीय जनगणना रजिस्टर (एनआरसी) का प्रारूप तैयार करने के मामले में उनके हस्तक्षेप के लिए फटकार लगाई. सोनोवाल ने कहा था कि एनआरसी का प्रारूप 31 दिसंबर, 2017 तक तैयार हो जाएगा, जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने इसके लिए 31 मार्च, 2018 की समयसीमा तय की है. शीर्ष न्यायालय इस मामले की निगरानी कर रहा है.
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति रोबिन्सन फली नरीमन ने कहा कि जब शीर्ष न्यायालय राष्ट्रीय जनगणना रजिस्टर तैयार करने की प्रक्रिया की देखरेख कर रहा है, तो ऐसे में किसी अन्य प्राधिकारी का इसमें दखल देना सही नहीं है.
न्यायमूर्ति गोगोई ने पूछा, "हमारे पास असम के मुख्यमंत्री का बयान है कि उन्होंने असम में एनआरसी तैयार करने के लिए तारीख में संशोधन कर उसे 31 दिसंबर कर दिया है. जब शीर्ष न्यायालय इसकी निगरानी कर रहा है, तो कोई अन्य निकाय इसमें हस्तक्षेप कैसे कर सकता है?"
न्यायमूर्ति गोगाई ने कहा कि कोर्ट ने इसके लिए समय, पैसा और ऊर्जा खर्च की है. यह इस अदालत के लिए सही नहीं है. अदालत ने जब 31 मार्च, 2018 तक का समय दिया है, तो मुख्यमंत्री इसकी तारीख में संशोधन कैसे कर सकते हैं.
बता दें कि असम में मूल निवासियों की पहचान और बंग्लादेश से होने वाले अवैध प्रवास पर रोक लगाने के मकसद से सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय जनगणना रजिस्टर तैयार करने के निर्देश दिए थे.
(इनपुट आईएएनएस से)
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