सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
शोपियां फायरिंग केस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाल दी है.अब 16 जुलाई तक जम्मू-कश्मीर पुलिस की जांच पर रोक रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने इसकी सुनवाई के लिए अब 16 जुलाई की तारीख तय की है. बता दें कि जम्मू कश्मीर सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए वक्त मांगा था. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सेना के मेजर आदित्य व अन्य के खिलाफ दर्ज FIR पर फिलहाल जांच पर रोक लगा दी थी. पिछली सुवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में राज्य पुलिस फिलहाल 24 अप्रैल तक जांच नहीं करेगी. चीफ जस्टिस ने कहा कि ये मामला सेना के अधिकारी का है, किसी सामान्य अपराधी का नहीं है.
इससे पहले केंद्र सरकार सेना के मेजर आदित्य के समर्थन में दाखिल की अर्जी दाखिल की थी. केंद्र सरकार ने कहा कि जम्मू कश्मीर सरकार के पास ये अधिकार नहीं कि वो बिना केंद्र सरकार की अनुमति के सेना के अफसर खिलाफ FIR दर्ज कर सके. केंद्र सरकार ने कहा कि इस विषय पर गहन विचार किया गया और ये पाया कि केंद्र सरकार की इजाजत के बिना राज्य सरकार इस मामले में कोई भी आपराधिक करवाई सेना के अफसर के खिलाफ नही कर सकती.
शोपियां फायरिंग केस में सरकार आई सेना के साथ, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की अर्जी
इस मामले में राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को कोई इजाजत नही ली है. केंद्र सरकार ने कहा कि जम्मू कश्मीर में आतंकवादी और देश विरोधी ताकतें कानून का उलंधन कर रही है इससे सुरक्षा व्यस्था प्रभावित होती है. ऐसे लोगों के पास आधुनिक हथियार भी हैं और उन्हें सीमा पार के देशों का समर्थन भी है. जो पुलिस और सुरक्षा बल उनका विरोध करते हैं उन पर हमले हो रहे हैं. देश के हित में देश की सुरक्षा और एकता को बनाने रखने के लिए सेना को सुरक्षा देने वाले AFPSA की धारा 7 की व्याख्या करनी जरूरी है. इसकी जांच आगे नहीं होनी चाहिए और FIR की आगे की करवाई पर रोक लगनी चाहिए.
वहीं जम्मू कश्मीर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मेजर आदित्य का नाम FIR में बतौर आरोपी नाम नहीं है. सिर्फ ये लिखा गया है कि वो बटालियन को लीड कर कर रहे थे. कोर्ट ने पूछा था कि क्या नाम लिया जाएगा ? राज्य सरकार ने कहा कि ये जांच पर निर्भर करता है. कोर्ट को मामले की जांच जारी रखने की इजाजत देनी चाहिए.
शोपियां की ओर मार्च करने का प्रयास कर रहे मीरवाइज को पुलिस ने हिरासत में लिया
वहीं सुनवाई के दौरान केंद्र और राज्य सरकार इस मामले में आमने सामने दिखे. AG के के वेणुगोपाल ने कहा कि एक्ट 7 के तहत राज्य सरकार इस तरह FIR दर्ज नहीं कर सकती. इसके लिए केंद्र की अनुमति लेना जरूरी है वहीं राज्य सरकार ने इसका विरोध किया. कहा कि FIR दर्ज करते वक्त इसकी जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट अब ये तय करेगा कि ये FIR वैध हैया नहीं.
VIDEO: जम्मू-कश्मीर में सेना ने 13 आतंकियों को मार गिराया
इससे पहले केंद्र सरकार सेना के मेजर आदित्य के समर्थन में दाखिल की अर्जी दाखिल की थी. केंद्र सरकार ने कहा कि जम्मू कश्मीर सरकार के पास ये अधिकार नहीं कि वो बिना केंद्र सरकार की अनुमति के सेना के अफसर खिलाफ FIR दर्ज कर सके. केंद्र सरकार ने कहा कि इस विषय पर गहन विचार किया गया और ये पाया कि केंद्र सरकार की इजाजत के बिना राज्य सरकार इस मामले में कोई भी आपराधिक करवाई सेना के अफसर के खिलाफ नही कर सकती.
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इस मामले में राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को कोई इजाजत नही ली है. केंद्र सरकार ने कहा कि जम्मू कश्मीर में आतंकवादी और देश विरोधी ताकतें कानून का उलंधन कर रही है इससे सुरक्षा व्यस्था प्रभावित होती है. ऐसे लोगों के पास आधुनिक हथियार भी हैं और उन्हें सीमा पार के देशों का समर्थन भी है. जो पुलिस और सुरक्षा बल उनका विरोध करते हैं उन पर हमले हो रहे हैं. देश के हित में देश की सुरक्षा और एकता को बनाने रखने के लिए सेना को सुरक्षा देने वाले AFPSA की धारा 7 की व्याख्या करनी जरूरी है. इसकी जांच आगे नहीं होनी चाहिए और FIR की आगे की करवाई पर रोक लगनी चाहिए.
वहीं जम्मू कश्मीर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मेजर आदित्य का नाम FIR में बतौर आरोपी नाम नहीं है. सिर्फ ये लिखा गया है कि वो बटालियन को लीड कर कर रहे थे. कोर्ट ने पूछा था कि क्या नाम लिया जाएगा ? राज्य सरकार ने कहा कि ये जांच पर निर्भर करता है. कोर्ट को मामले की जांच जारी रखने की इजाजत देनी चाहिए.
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वहीं सुनवाई के दौरान केंद्र और राज्य सरकार इस मामले में आमने सामने दिखे. AG के के वेणुगोपाल ने कहा कि एक्ट 7 के तहत राज्य सरकार इस तरह FIR दर्ज नहीं कर सकती. इसके लिए केंद्र की अनुमति लेना जरूरी है वहीं राज्य सरकार ने इसका विरोध किया. कहा कि FIR दर्ज करते वक्त इसकी जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट अब ये तय करेगा कि ये FIR वैध हैया नहीं.
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