नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि छह महीने के भीतर देश के सभी स्कूलों में पेयजल और शौचालय समेत सभी बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए।
न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली पीठ ने समयसीमा तय करते हुए सरकारों से कहा कि देशभर के स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए कदम उठाए जाएं।
पीठ ने कहा कि बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने से जुड़े उसके सभी पूर्ववर्ती निर्देशों को उसके द्वारा तय समयसीमा के भीतर लागू किया जाना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल 18 अक्तूबर को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सभी सरकारी स्कूलों में खासकर लड़कियों के लिए शौचालय बनाने का निर्देश दिया था।
देश की सर्वोच्च अदालत ने स्कूलों में पेयजल और शौचालय की बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग वाली जनहित याचिका पर आदेश जारी किया।
शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि सभी स्कूलों में शौचालय की सुविधा होनी चाहिए क्योंकि शोधों से पता चला है कि जिन स्कूलों में शौचालयों की सुविधा नहीं होती वहां माता-पिता अपने बच्चों को और खासतौर पर बच्चियों को पढ़ने के लिए नहीं भेजते।
अदालत ने यह भी कहा था कि बुनियादी सुविधाएं प्रदान नहीं करना संविधान के अनुच्छेद 21-ए के तहत बच्चों को प्रदत्त निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है।
न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली पीठ ने समयसीमा तय करते हुए सरकारों से कहा कि देशभर के स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए कदम उठाए जाएं।
पीठ ने कहा कि बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने से जुड़े उसके सभी पूर्ववर्ती निर्देशों को उसके द्वारा तय समयसीमा के भीतर लागू किया जाना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल 18 अक्तूबर को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सभी सरकारी स्कूलों में खासकर लड़कियों के लिए शौचालय बनाने का निर्देश दिया था।
देश की सर्वोच्च अदालत ने स्कूलों में पेयजल और शौचालय की बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग वाली जनहित याचिका पर आदेश जारी किया।
शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि सभी स्कूलों में शौचालय की सुविधा होनी चाहिए क्योंकि शोधों से पता चला है कि जिन स्कूलों में शौचालयों की सुविधा नहीं होती वहां माता-पिता अपने बच्चों को और खासतौर पर बच्चियों को पढ़ने के लिए नहीं भेजते।
अदालत ने यह भी कहा था कि बुनियादी सुविधाएं प्रदान नहीं करना संविधान के अनुच्छेद 21-ए के तहत बच्चों को प्रदत्त निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
School Children, School Toilets, Supreme Court, Supreme Court On Schools, स्कूलों पर सुप्रीम कोर्ट, स्कूलों में शौचालय, Water In School, स्कूल में पानी