नई दिल्ली:
विवादों में घिरी आईटी एक्ट की धारा 66 (ए) के दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है। इस सिलसिले में एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है। पिछले दिनों महाराष्ट्र के पालघर में फेसबुक पर टिप्पणी करने के बाद इसी एक्ट के आधार पर दो लड़कियों को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले पर जबर्दस्त प्रतिक्रिया हुई, जिसके बाद लड़कियों को जमानत दे दी गई और उन पर कार्रवाई करने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई हुई।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सोच रहे थे कि इस मामले पर अभी तक किसी ने जनहित याचिका दायर क्यों नहीं की। सुप्रीम कोर्ट खुद यह मामला उठाने की सोच रहा था। आईटी मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, टेलीकॉम डिपार्टमेंट राज्य सरकारों को एक सर्कुलर जारी करने जा रहा है, जिसमें कहा जाएगा कि आईपीएस अफसर से नीचे कोई भी धारा 66 (ए) के इस्तेमाल की इजाजत नहीं देगा।
आईटी एक्ट सेक्शन 66 (ए) क्या है :-
-इसके तहत कोई भी व्यक्ति जो कम्प्यूटर या संचार माध्यम से ऐसी जानकारी भेजे, जो सरासर आपत्तिजनक या डरावनी हो
-कोई ऐसी जानकारी भेजे, जिसके गलत होने का पता हो, लेकिन फिर भी उसे किसी को चिढ़ाने या परेशान करने, खतरे में डालने, बाधा डालने, अपमान करने, चोट पहुंचाने, धमकी देने, दुश्मनी पैदा करने, घृणा या दुर्भावना के मकसद से भेजा जाए।
-किसी को चिढ़ाने, परेशान करने या ठगने के लिए कोई ई−मेल या ई−मेल संदेश भेजे या ऐसे संदेश के स्रोत के बारे में गुमराह करे।
-इस धारा के तहत तीन साल तक की सजा, जुर्माना या दोनों होता है।
उधर, इंटरनेट पर तथाकथित आपत्तिजनक टिप्पणियों और इसके गलत इस्तेमाल के मामलों पर हो रहे विवादों के बीच सूचना प्रसारण मंत्रालय की साइबर रेग्यूलेशन एडवाइजरी कमेटी ने कानून में बदलाव के सुझाव दिए हैं। इसके तहत कमेटी आईटी एक्ट 2000 की धारा 66 (ए) पर पुनर्विचार कर सकती है। सोशल वेबसाइट्स के कामकाज और जिम्मेदारियों को तय करने के लिए कई कानून तैयार किए गए हैं। इसके अलावा सरकार कुछ और चीजों पर विचार कर रही है, जैसे इस कानून में अश्लील और आपत्तिजनक शब्दों और उनके मायने भी शामिल किए जाएं। इसके अलावा मामला दर्ज करने से पहले किसी सीनियर अफसर या खास अधिकारी मामले की जांच करे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सोच रहे थे कि इस मामले पर अभी तक किसी ने जनहित याचिका दायर क्यों नहीं की। सुप्रीम कोर्ट खुद यह मामला उठाने की सोच रहा था। आईटी मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, टेलीकॉम डिपार्टमेंट राज्य सरकारों को एक सर्कुलर जारी करने जा रहा है, जिसमें कहा जाएगा कि आईपीएस अफसर से नीचे कोई भी धारा 66 (ए) के इस्तेमाल की इजाजत नहीं देगा।
आईटी एक्ट सेक्शन 66 (ए) क्या है :-
-इसके तहत कोई भी व्यक्ति जो कम्प्यूटर या संचार माध्यम से ऐसी जानकारी भेजे, जो सरासर आपत्तिजनक या डरावनी हो
-कोई ऐसी जानकारी भेजे, जिसके गलत होने का पता हो, लेकिन फिर भी उसे किसी को चिढ़ाने या परेशान करने, खतरे में डालने, बाधा डालने, अपमान करने, चोट पहुंचाने, धमकी देने, दुश्मनी पैदा करने, घृणा या दुर्भावना के मकसद से भेजा जाए।
-किसी को चिढ़ाने, परेशान करने या ठगने के लिए कोई ई−मेल या ई−मेल संदेश भेजे या ऐसे संदेश के स्रोत के बारे में गुमराह करे।
-इस धारा के तहत तीन साल तक की सजा, जुर्माना या दोनों होता है।
उधर, इंटरनेट पर तथाकथित आपत्तिजनक टिप्पणियों और इसके गलत इस्तेमाल के मामलों पर हो रहे विवादों के बीच सूचना प्रसारण मंत्रालय की साइबर रेग्यूलेशन एडवाइजरी कमेटी ने कानून में बदलाव के सुझाव दिए हैं। इसके तहत कमेटी आईटी एक्ट 2000 की धारा 66 (ए) पर पुनर्विचार कर सकती है। सोशल वेबसाइट्स के कामकाज और जिम्मेदारियों को तय करने के लिए कई कानून तैयार किए गए हैं। इसके अलावा सरकार कुछ और चीजों पर विचार कर रही है, जैसे इस कानून में अश्लील और आपत्तिजनक शब्दों और उनके मायने भी शामिल किए जाएं। इसके अलावा मामला दर्ज करने से पहले किसी सीनियर अफसर या खास अधिकारी मामले की जांच करे।
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