विज्ञापन
This Article is From Apr 25, 2017

सुकमा में 25 जवान शहीद, आखिर क्यों बौखलाए हैं नक्सली, कहीं कोई चूक तो नहीं हुई

सुकमा में 25 जवान शहीद, आखिर क्यों बौखलाए हैं नक्सली, कहीं कोई चूक तो नहीं हुई
सुकमा में नक्सली हमला
नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सली हमले में जान गंवाने वाले 25 सीआरपीएफ जवानों को आज रायपुर में श्रद्धांजलि दी जाएगी. गृह मंत्री राजनाथ सिंह इस मौके पर मौजूद रहेंगे. पीएम नरेन्द्र मोदी ने इस घटना पर शोक जताते हुए कहा कि शहीदों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा. छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों के घात लगाकर किए गए हमले में सीआरपीएफ के 25 जवानों को जान गंवानी पड़ी जबकि 7 जवान घायल हो गए. ये जवान सीआरपीएफ की 74वीं बटालियन के थे. घटना दोपहर 12 बजे की है जब जवानों की टीम रोड ओपनिंग के लिए निकली थी. सड़क निर्माण की सुरक्षा में लगे ये जवान खाना खाने की तैयारी कर रहे थे उसी दौरान घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने जवानों पर गोलीबारी शुरू कर दी. खास बात यह है कि 2010 में इसी जगह हुए नक्सली हमले में 76 जवानों की मौत हो गई थी. फिलहाल घटनास्थल पर सीआरपीएफ की कोबरा टीम तलाशी अभियान चलाया जा रहा है. इस घटना के बाद दूसरे इलाक़ों में भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है. इसी दौरान दंतेवाड़ा में भी सुरक्षा बलों ने IED को डिफ़्यूज कर दिया. नक्सलियों ने सुरक्षाबलों के रास्ते में ये IED लगाई थी. (...तो इसलिए नक्सलियों ने सुकमा जिले की चिंतागुफा को हमले के लिए चुना)

इसलिए बौखलाए हैं नक्सली
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक- नक्सली विकासकार्यों से बौखलाए हुए हैं. सड़क अगर खुलती है तो सुविधाएं अंदर जाती है, जिससे लोगों का उनमें विश्वास कम होता है. इससे उनके नेटवर्क पर असर पड़ता है.छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना, बंगाल और मध्य प्रदेश के नक्सलियों के प्रभाव वाले 44 जिलों में 5,412 किमी सड़क निर्माण परियोजना को मंजूरी दी गई है. निर्माणकार्यों से ये नक्सली खतरा महसूस करते हैं. सूचना एवं प्रसारण मंत्री के मुताबिक- नक्सलवाद विकास विरोधी है और लोकतांत्रिक समाज में इसका कोई स्थान नहीं है. दोषियों को सजा दिलाने के लिए कठोर कदम उठाए जाएंगे.

उल्लेखनीय है कि नक्सलवादियों ने इस साल का सबसे बड़ा हमला किया है और अब ये सवाल उठ रहा है कि क्या नक्सलवाद से प्रभावित इस इलाके में सुरक्षा बलों से कोई चूक हुई, जिससे नक्सली इतना बड़ा हमला करने में सफल रहे. क्या जंगल में सड़क निर्माण पार्टी को सुरक्षा देने गए जवान खुद अपनी सुरक्षा के लिए बने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) में चूक तो नहीं कर बैठे.

खाना खाने के लिए रुके थे जवान
छत्तीसगढ़ से आ रही खबरों के मुताबिक- जवानों का दल खाना खाने के लिये रुके तो नक्सलियों ने उन पर घात लगाकर हमला किया. सवाल ये है कि ऐसे किसी भी विश्राम के लिये जगह का चुनाव काफी सूझबूझ से किया जाता है और कुछ जवानों को पहरे पर लगाया जाता है. क्या इस एसओपी नियम का पालन हुआ.

एक ही वक्त में कैंप से निकलने या फिर लौटने की तो गलती नहीं दोहराई
जंगल के इलाके में जहां नक्सलियों के मुखबिरों का घना नेटवर्क हो, वहां जवानों ने क्या एक ही वक्त में कैंप से निकलने और फिर लौटने की गलती तो नहीं दोहराई. अक्सर इन जगहों में जवानों को अपनी मूवमेंट को काफी गुप्त रखना पड़ता है और उसमें बार-बार बदलाव करना पड़ता है. गौरतलब है कि माओवादियों ने ये हमला करीब करीब उसी जगह किया है, जहां 2010 में सीआरपीएफ के 76 जवान मारे गए थे.

इसलिए उठ रहे हैं सवाल
ये सवाल इसलिये भी उठ रहे हैं क्योंकि पिछले 11 मार्च को जवान सुकमा के ही भेज्जी इलाके में हमला कर 12 जवानों को मार दिया था. यहां सीआरपीएफ की तैनाती को लेकर पिछले कुछ वक्त में चिंताएं बढ़ी हैं. पिछले 4 महीने से सीआरपीएफ के नियमित डीजी नहीं हैं. पिछले डीजी दुर्गादास के बाद नए डीजी की नियुक्ति अभी तक नहीं हुई है. अहम बात यह है कि नक्सलियों ने हमला ऐसे वक्त किया है, जब सरकार दावा कर रही थी कि बस्तर में नक्सलवादियों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया गया है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com