सरकार ने विभागों को सलाह दी है कि वे इंटरनेट वाले कम्प्यूटरों का इस्तेमाल करने से बचें (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दुनियाभर में हो रहे वायरस ‘रैन्समवेयर वानाक्राई’ के हमले से साइबर जगत में हड़कंप मचा हुआ है. भारत में भी इसके असर की सूचना मिली है और सरकार ने आगाह किया है कि जून तक इस वायरस के हमले का खतरा बना रहेगा. संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार ने इस ख़तरे को ध्यान में रखते हुए एडवाइजरी जारी कर दी थी. उन्होंने यह भी बताया कि सइबर अटैक से बचने के लिए साइबर कोऑर्डिनेशन सेंटर जून तक काम करने लगेगा.
सरकार ने यह भी कहा कि सभी स्टेक होल्डर को पैच सिस्टम इस्तेमाल करने की सलाह जारी की गई है ताकि किसी भी साइबर हमले का ख़तरा कम बने.
केंद्रीय संचार मंत्री ने माना कि साइबर अटैक की कुछ छूटपुट ख़बरें उन्हें आंध्र प्रदेश और केरल से मिली हैं, लेकिन भारत सरकार में अभी ज़्यादा प्रभाव देखने को नहीं मिला है.
उधर, गृह मंत्रालय ने भी देश के बैंकों को आगाह किया है कि वे साइबर सुरक्षा से जुड़े जरूरी क़दम उठाएं.
भारत सरकार ने सभी विभागों को हिदायत दी है कि वे कोई काम ऐसे कम्प्यूटर, जो इंटरनेट से जुड़ा है, पर ना करें और सभी फ़ाइल का बैक-अप ले लें.
सरकार के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत सरकार के ज्यादातर कम्प्यूटर अभी भी विंडो पर काम करते हैं. इसलिए ख़तरा ज़्यादा है. एक ही तरह के सिस्टम होने की वजह से हैकर्स के लिए साइबर अटैक करना आसान हो जाता है. आसान उपलब्धता के चलते दुनियाभर के साइबर अटैकर विंडोज सिस्टम को ही लक्ष्य करते हैं. ऐसे में भारत सरकार के सिस्टम को इससे बचाना बेहद मुश्किल है.
दरअसल, भारत में साइबर हमलों से निपटने की जिम्मेदारी साइबर सुरक्षा इकाई ‘सीईआरटी-इन’के पास है. खासबात है कि भारत में आजतक जितने भी साइबर हमले हुए हैं, उनमें‘सीईआरटी-इन’की भूमिका बिल्कुल ही नगण्य रही हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण पिछले साल देखने को मिला, जब भारत की पनडुब्बी से जुड़ी गुप्त तैयारियों की रिपोर्ट उजागर हो गई थी और‘सीईआरटी-इन’को इसकी खबर तक नहीं लगी.
बता दें कि बीते शुक्रवार को ‘वानाक्राई’ ने रूस और ब्रिटेन सहित 150 से अधिक देशों में कंप्यूटर नेटवर्कों को प्रभावित किया है तथा इसे इतिहास के सर्वाधिक व्यापक रूप से फैले साइबर हमलों में एक बताया जा रहा है.
सरकार ने यह भी कहा कि सभी स्टेक होल्डर को पैच सिस्टम इस्तेमाल करने की सलाह जारी की गई है ताकि किसी भी साइबर हमले का ख़तरा कम बने.
केंद्रीय संचार मंत्री ने माना कि साइबर अटैक की कुछ छूटपुट ख़बरें उन्हें आंध्र प्रदेश और केरल से मिली हैं, लेकिन भारत सरकार में अभी ज़्यादा प्रभाव देखने को नहीं मिला है.
उधर, गृह मंत्रालय ने भी देश के बैंकों को आगाह किया है कि वे साइबर सुरक्षा से जुड़े जरूरी क़दम उठाएं.
भारत सरकार ने सभी विभागों को हिदायत दी है कि वे कोई काम ऐसे कम्प्यूटर, जो इंटरनेट से जुड़ा है, पर ना करें और सभी फ़ाइल का बैक-अप ले लें.
सरकार के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत सरकार के ज्यादातर कम्प्यूटर अभी भी विंडो पर काम करते हैं. इसलिए ख़तरा ज़्यादा है. एक ही तरह के सिस्टम होने की वजह से हैकर्स के लिए साइबर अटैक करना आसान हो जाता है. आसान उपलब्धता के चलते दुनियाभर के साइबर अटैकर विंडोज सिस्टम को ही लक्ष्य करते हैं. ऐसे में भारत सरकार के सिस्टम को इससे बचाना बेहद मुश्किल है.
दरअसल, भारत में साइबर हमलों से निपटने की जिम्मेदारी साइबर सुरक्षा इकाई ‘सीईआरटी-इन’के पास है. खासबात है कि भारत में आजतक जितने भी साइबर हमले हुए हैं, उनमें‘सीईआरटी-इन’की भूमिका बिल्कुल ही नगण्य रही हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण पिछले साल देखने को मिला, जब भारत की पनडुब्बी से जुड़ी गुप्त तैयारियों की रिपोर्ट उजागर हो गई थी और‘सीईआरटी-इन’को इसकी खबर तक नहीं लगी.
बता दें कि बीते शुक्रवार को ‘वानाक्राई’ ने रूस और ब्रिटेन सहित 150 से अधिक देशों में कंप्यूटर नेटवर्कों को प्रभावित किया है तथा इसे इतिहास के सर्वाधिक व्यापक रूप से फैले साइबर हमलों में एक बताया जा रहा है.
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