प्रधानमंत्री जब अपनी पहली कैबिनेट बैठक कर रहे थे, तभी सांख्यिकी मंत्रालय ने बताया कि विकास दर गिर गई है.
आंकड़ों के मुताबिक ये पांच साल की सबसे कम विकास दर है.
वित्तीय वर्ष 2018 -19 में विकास दर 6.8 % रही. यह 2013-14 की विकास दर 6.4% के बाद की सबसे कम दर है. यही नहीं 2018-19 की आख़िरी तिमाही में जीडीपी 5.5 फ़ीसदी रह गई. जबकि इस साल की पहली तिमाही में जीडीपी 8 फीसदी थी. कृषि क्षेत्र में विकास दर पिछले साल के 5 फ़ीसद से घटकर 2.9 फ़ीसद रह गई. जबकि खनन क्षेत्र में विकास दर पिछले साल के 5.1 फ़ीसदी से घटकर 1.3 फ़ीसदी रह गई.
एनडीटीवी से बातचीत में सांख्यिकी सचिव ने माना कि यह गिरावट चिंताजनक है. जीडीपी विकास दर में गिरावट की वजह के बारे में पूछे जाने पर सांख्यकी सचिव प्रवीण श्रीवास्तव ने कहा कि कृषि विकास दर और अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में स्लोडाउन मुख्य वजह है. सरकार के हस्तक्षेप करने के बारे में सवाल पर उन्होंने कहा कि जी सरकार को इससे निपटने की रणनीति बनानी होगी.
सवाल बेरोज़गारी दर को लेकर भी उठा. सांख्यिकी मंत्रालय ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में कहा कि 2017-18 में ग्रामीण और शहरी इलाकों में कुल बेरोज़गारी दर 6.1 % रही. ग्रामीण इलाकों में 5.3 % और शहरों में बेरोज़गारी दर 7.8% रही है.
लोक सभा चुनावों के दौरान यह सवाल उठा था कि बेरोज़गारी दर पिछले 45 साल में सबसे ज़्यादा है, लेकिन संख्यिकी सचिव ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि इन आकड़ों की पिछले आंकड़ों से तुलना नहीं की जा सकती. प्रवीण श्रीवास्तव ने कहा कि हमने अलग सैंपल डिज़ाइन का इस्तेमाल किया है. इसलिए इन आंकड़ों को आप पिछले आंकड़ों के साथ जोड़कर नहीं देख सकते हैं.
साफ़ है, कमज़ोर पड़ती अर्थव्यवस्था मोदी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती के तौर पर उभरती दिख रही है.
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