सामग्री वितरित करती हुईं डीजी अर्चना राम सुंदरम.
नई दिल्ली:
सरहद पर तैनात सशस्त्र सीमा बल की महिलाओं को अलग से खास सुविधा मुहैया कराई गई हैं ताकि उन्हें डयूटी करने में कोई दिक्कत न हो. न केवल प्राइवेट बैरक बनाई गई हैं बल्कि सैनेटरी पैड भी दिए गए हैं. वजह यह है कि सरहद पर महिलाओं को ड्यूटी करना काफी कठिन होता है. ऐसी सुविधाएं देने का मकसद है कि वे सरहद की रखवाली बेहतर तरीके से कर सकें.
नेपाल-भूटान सीमा पर तैनात सशस्त्र सीमा बल यानी कि एसएसबी में 70 हजार जवान हैं जिसमें महिलाएं तकरीबन 1400 हैं. देश में अर्धसैनिक बल एसएसबी की पहली महिला डीजी अर्चना राम सुंदरम ने बताया कि पहले लोग सोचते थे कि महिलाएं बल में अच्छा काम नहीं कर सकी हैं खासकर उच्च पदों पर. लेकिन मेरे आने से इस सोच में काफी बदलाव हुआ है.
डीजी ने कहा कि यह पहली बार है जब सरहद पर तैनात महिलाओं के लिए अलग से इंतजाम किए गए हैं. महिलाओं के लिए अलग से शौचालय बनाए गए हैं. अलग से बनाए बैरक में महिला के साथ महिला को ही तैनात किया जाता है ताकि उन्हें कोई परेशानी न हो. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर अर्चना राम सुंदरम ने उम्मीद जताई कि धीरे-धीरे अर्धसैनिक बलों में महिलाओं की तादाद 15 फीसदी तक पहुंच पाएगी हालांकि अभी यह तादाद दो से तीन फीसदी है.
नेपाल-भूटान सीमा पर तैनात सशस्त्र सीमा बल यानी कि एसएसबी में 70 हजार जवान हैं जिसमें महिलाएं तकरीबन 1400 हैं. देश में अर्धसैनिक बल एसएसबी की पहली महिला डीजी अर्चना राम सुंदरम ने बताया कि पहले लोग सोचते थे कि महिलाएं बल में अच्छा काम नहीं कर सकी हैं खासकर उच्च पदों पर. लेकिन मेरे आने से इस सोच में काफी बदलाव हुआ है.
डीजी ने कहा कि यह पहली बार है जब सरहद पर तैनात महिलाओं के लिए अलग से इंतजाम किए गए हैं. महिलाओं के लिए अलग से शौचालय बनाए गए हैं. अलग से बनाए बैरक में महिला के साथ महिला को ही तैनात किया जाता है ताकि उन्हें कोई परेशानी न हो. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर अर्चना राम सुंदरम ने उम्मीद जताई कि धीरे-धीरे अर्धसैनिक बलों में महिलाओं की तादाद 15 फीसदी तक पहुंच पाएगी हालांकि अभी यह तादाद दो से तीन फीसदी है.
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