कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि किसी विधायक का इस्तीफे का हक ‘लोकतांत्रिक अधिकार' है और यह उचित समय है कि न्यायपालिका स्पीकरों के लिहाज से दिशानिर्देश निर्धारित करे. स्पीकर की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने विधायकों को अयोग्य ठहराने के पहले के स्पीकर के फैसले का विरोध किया. उन्होंने कहा कि विधायक को इस्तीफा देने का लोकतांत्रिक अधिकार है. विधायकों की निष्ठा निर्वाचक के लिए है. तत्कालीन स्पीकर ने अयोग्यता से पहले विधायकों को सात दिन का नोटिस नहीं दिया.
कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति एनवी रमन की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ से कहा कि किसी राजनीतिक दल की सदस्यता छोड़ने पर किसी विधायक को अयोग्य करार दिया जा सकता है लेकिन सदन की सदस्यता छोड़ने पर उसे अयोग्य करार नहीं दिया जा सकता. मेहता ने यह दलील तब दी जब पीठ कर्नाटक के अयोग्य करार दिये गये 17 विधायकों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. विधायकों ने उन्हें अयोग्य करार देने के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार के फैसले को चुनौती दी थी. पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी भी शामिल हैं.
मेहता ने पीठ से कहा, ‘‘यह संभवत: बार-बार हो सकता है और इन 17 लोगों के बाद भी इस तरह के मामले सामने आ सकते हैं. इसी अदालत ने एक संविधान पीठ के फैसले में इस्तीफे के अधिकार को माना है.'' उन्होंने कहा कि इस्तीफा देना लोकतांत्रिक अधिकार है क्योंकि लोग मतदाता के पास वापस जाना चाहते हैं. मेहता ने कहा, ‘‘इस मामले में अतीत में जो हुआ, मैं उसकी आलोचना नहीं कर सकता लेकिन यह बार-बार हो सकता है और इस मुद्दे पर निर्णय होना चाहिए. यह सही समय है कि न्यायपालिका स्पीकर के लिए दिशानिर्देश तय करे.''
हालांकि पीठ ने कहा कि अदालतें विधानसभा अध्यक्षों के लिए दिशानिर्देश नहीं तय कर सकतीं. उन्होंने कहा, ‘‘हम स्पीकर के लिए दिशानिर्देश कैसे तय कर सकते हैं? वह एक संवैधानिक पद है.'' पीठ ने कहा, ‘‘हम उनके अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं कर सकते.'' शीर्ष अदालत के संविधान पीठ के एक फैसले का जिक्र करते हुए सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अगर कोई विधायक अपनी पार्टी के विचारों से सहमत नहीं है और सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे देता है तो वह नये सिरे से जनादेश मांगने के लिए मतदाताओं के बीच जा सकता है.
उन्होंने कहा कि इन 17 याचिकाकर्ताओं को कर्नाटक के तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष द्वारा अयोग्यता प्रस्ताव पर जवाब देने के लिए तीन दिन का नोटिस देना ‘तथ्यात्मक रूप से गलत' है. मेहता ने कहा कि विधायक के रूप में राजनीतिक दल बदलना तो दलबदल (डिफेक्शन) है लेकिन पहले सदन की सदस्यता से इस्तीफा देना और फिर दूसरी पार्टी में जाने को दलबदल (डिफेक्शन) नहीं कहा जा सकता.
(इनपुट भाषा से भी)
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