आरबीआई और केंद्र के बीच हाल ही में विवाद हुआ था
नई दिल्ली:
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के केंद्रीय बोर्ड की बैठक से पहले ही केंद्र सरकार के साथ जारी संघर्ष के सबसे बड़े मुद्दों पर RBI और केंद्र अब हल की ओर बढ़ते नज़र आ रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, दोनों पक्ष मतभेद के दो अहम मुद्दों - लिक्विडिटी तथा क्रेडिट मामले - पर हल तलाश करने के करीब पहुंच चुके हैं. सूत्रों का कहना है कि बोर्ड बैठक के दौरान RBI गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफा दे देने, जैसी अटकलें पिछले कुछ दिनों से मीडिया में चल रही हैं, की संभावना नहीं है. इसके साथ ही धारा-7 के भी इस्तेमाल करने के आसार नहीं है. आपको बता दें कि कुछ हफ्तों से पहले ही केंद्र सरकार की ओर से आरबीआई पर कर्ज के मामलों में नियमों में ढील और अतिरिक्त पैसा को सौंपने के लिए दबाव बना रही है. वहीं कांग्रेस का आरोप है कि सरकार केंद्रीय बैंक का 1 लाख करोड़ रुपया जो रिजर्व रखा है उसको पाना चाहती है क्योंकि ताकि वह वित्तीय घाटे को पूरा कर इसका चुनाव में इस्तेमाल कर सके. कांग्रेस का आरोप है कि नरेंद्र मोदी सरकार नोटबंदी की ‘त्रासदी' पर पर्दा डालने और चुनावी मौसम में रेवड़ियां बांटने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का खजाना लूटने को उतारू है.
सरकार और RBI में खींचतान, पीएम मोदी और गवर्नर उर्जित पटेल के बीच मुलाकात की खबर, रिजर्व बैंक ने दिये इस विशेष व्यवस्था के संकेत
पार्टी ने यह भी दावा कि नोटबंदी की वजह से आरबीआई के जरिए सरकार को होने वाले लाभ में 50 फीसदी से अधिक की कमी आई. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मोदी द्वारा पैदा की गई त्रासदी (नोटबंदी) से देश की जीडीपी को 1.5 फीसदी का नुकसान हुआ और आरबीआई की संस्थागत स्वायत्तता भी कमतर हुई. अब प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी भाग-2 की योजना बनाई है जिससे एक फिर से भारत की जीडीपी दो फीसदी कम हो जाएगी. '' उन्होंने कहा, ‘‘मोदी सरकार आरबीआई से 3.60 लाख करोड़ रुपये का विशेष लाभांश मांग कर रही है.
कमजोर बैंकों के लिए उदार किए जा सकते हैं पीसीए नियम, रिजर्व बैंक और सरकार के बीच सहमति की कोशिशें
मोदी सरकार आगामी विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनाव में अपनी हार सुनिश्चित देखकर चुनाव से पहले अनैतिक ढंग से रेवड़ियां बांटने की कोशिश में है. इसलिए चुनावी मौसम में फायदा हासिल करने और अपने पूंजीपति मित्रों से प्यार की वजह से आरबीआई के खजाने को लूटने पर उतारू है.'' सिंघवी ने दावा किया कि अपनी नाकामियां छिपाने के लिए भी सरकार यह सब कर रही है और इसके लिए वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के जरिए गलत सूचना का प्रसार कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में आरक्षित नकदी दर (सीआरआर) छह फीसदी है, लेकिन मोदी सरकार से इसे भी कम करना चाह रही है ताकि वह रिजर्व बैंक से पैसे ले सके.
RBI और केंद्र सरकार विवाद भी पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
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पार्टी ने यह भी दावा कि नोटबंदी की वजह से आरबीआई के जरिए सरकार को होने वाले लाभ में 50 फीसदी से अधिक की कमी आई. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मोदी द्वारा पैदा की गई त्रासदी (नोटबंदी) से देश की जीडीपी को 1.5 फीसदी का नुकसान हुआ और आरबीआई की संस्थागत स्वायत्तता भी कमतर हुई. अब प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी भाग-2 की योजना बनाई है जिससे एक फिर से भारत की जीडीपी दो फीसदी कम हो जाएगी. '' उन्होंने कहा, ‘‘मोदी सरकार आरबीआई से 3.60 लाख करोड़ रुपये का विशेष लाभांश मांग कर रही है.
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मोदी सरकार आगामी विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनाव में अपनी हार सुनिश्चित देखकर चुनाव से पहले अनैतिक ढंग से रेवड़ियां बांटने की कोशिश में है. इसलिए चुनावी मौसम में फायदा हासिल करने और अपने पूंजीपति मित्रों से प्यार की वजह से आरबीआई के खजाने को लूटने पर उतारू है.'' सिंघवी ने दावा किया कि अपनी नाकामियां छिपाने के लिए भी सरकार यह सब कर रही है और इसके लिए वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के जरिए गलत सूचना का प्रसार कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में आरक्षित नकदी दर (सीआरआर) छह फीसदी है, लेकिन मोदी सरकार से इसे भी कम करना चाह रही है ताकि वह रिजर्व बैंक से पैसे ले सके.
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