भोपाल:
शानदार भीतरी सजावट, चमकते साइनबोर्ड, बायो-टॉयलेट, और यहां तक कि ऊपर की बर्थ पर जाने के लिए बनी सीढ़ियां... आपको ऐसा हरगिज़ नहीं लगा होगा कि हम भारतीय रेल के डिब्बों की बात कर रहे हैं, लेकिन यही सच है... इसी तरह की ढेरों सुविधाओं से लैस कम से कम 20 'स्टेट ऑफ द आर्ट' डिब्बों को भारतीय रेल अपने बेड़े में शामिल करने जा रही है...
भोपाल स्थित इंडियन रेलवेज़ कोच रीहैबिलिटेशन वर्कशॉप (Indian Railways Coach Rehabilitation Workshop) द्वारा डिज़ाइन किए गए इन आधुनिक डिब्बों का निर्माण ट्रेन के सफर को यात्रियों के लिए सुविधाजनक और सुरक्षित बनाने के लिए किया गया है...
सो, अब उन नीली या भूरी सीटों के ज़माने लद गए, क्योंकि इन नए डिब्बों में बर्थ चटक बैंगनी रंग का पुट लिए हुए दिखेंगी... इन डिब्बों में जगह भी पुराने वाले डिब्बों के मुकाबले ज़्यादा होगी, और इन 'झटका-प्रूफ' सीटों से सफर के अधिक सुविधाजनक होने की भी पूरी-पूरी गारंटी है... इसके अलावा क्रोम के खासे इस्तेमाल और मैटी की बनी सतहों की वजह से डिब्बों को ऐसा लुक मिला है, जिन्हें देखकर लगता है कि वे 'नए ज़माने' के हैं...
वेस्ट सेंट्रल रेलवे (West Central Railways) के जनरल मैनेजर रमेशचंद्र ने NDTV को बताया, "हमने प्रत्येक डिब्बे पर लगभग 14 लाख रुपये खर्च किए हैं... इन डिब्बों का भीतरी लुक किसी भी तरह आधुनिक सीटों और अन्य सुविधाओं से युक्त विमान से अलग नहीं है... इसके बाद हम तीन और ट्रेनों को नए सिरे से रीवैम्प करेंगे... और जहां तक इन्हें शामिल किए जाने का सवाल है, वह रेलवे मंत्रालय की मंजूरी के बाद ही होगा..."
इन डिब्बों में कुछ अन्य सुविधाएं भी हैं, जिनमें फायर-प्रूफ सीटें, कारपेट जैसे फर्श, पढ़ने के लिए एलईडी लाइटें, मोबाइल चार्जिंग प्वाइंट और ईको-फ्रेंडली बायो-टॉयलेट शामिल हैं...
ट्रेनों के एक नियमित यात्री और पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट ब्रजेश पांडेय का कहना है, "पिछले कुछ सालों से रेलवे किराया बढ़ाती रही, लेकिन सुविधाएं मुहैया कराने के मामले में वह कामयाब नहीं रही है... सो, इन आधुनिक डिब्बों के बारे में जानकर अच्छा लगा... मुझे इस बात पर फख्र है कि इन आधुनिक डिब्बों का निर्माण भारत में ही नहीं, मध्य प्रदेश में हुआ है..."
योजना है कि भोपाल की वर्कशॉप में इस तरह के कुल 111 डिब्बों का निर्माण किया जाएगा... तैयार हो चुके 20 डिब्बों का परीक्षण कामयाब रहा है, और मामूली फेरबदल और सुधार के बाद इन्हें रेल मंत्रालय की मंजूरी के लिए दिल्ली भेज दिया जाएगा...
भोपाल स्थित इंडियन रेलवेज़ कोच रीहैबिलिटेशन वर्कशॉप (Indian Railways Coach Rehabilitation Workshop) द्वारा डिज़ाइन किए गए इन आधुनिक डिब्बों का निर्माण ट्रेन के सफर को यात्रियों के लिए सुविधाजनक और सुरक्षित बनाने के लिए किया गया है...
सो, अब उन नीली या भूरी सीटों के ज़माने लद गए, क्योंकि इन नए डिब्बों में बर्थ चटक बैंगनी रंग का पुट लिए हुए दिखेंगी... इन डिब्बों में जगह भी पुराने वाले डिब्बों के मुकाबले ज़्यादा होगी, और इन 'झटका-प्रूफ' सीटों से सफर के अधिक सुविधाजनक होने की भी पूरी-पूरी गारंटी है... इसके अलावा क्रोम के खासे इस्तेमाल और मैटी की बनी सतहों की वजह से डिब्बों को ऐसा लुक मिला है, जिन्हें देखकर लगता है कि वे 'नए ज़माने' के हैं...
वेस्ट सेंट्रल रेलवे (West Central Railways) के जनरल मैनेजर रमेशचंद्र ने NDTV को बताया, "हमने प्रत्येक डिब्बे पर लगभग 14 लाख रुपये खर्च किए हैं... इन डिब्बों का भीतरी लुक किसी भी तरह आधुनिक सीटों और अन्य सुविधाओं से युक्त विमान से अलग नहीं है... इसके बाद हम तीन और ट्रेनों को नए सिरे से रीवैम्प करेंगे... और जहां तक इन्हें शामिल किए जाने का सवाल है, वह रेलवे मंत्रालय की मंजूरी के बाद ही होगा..."
इन डिब्बों में कुछ अन्य सुविधाएं भी हैं, जिनमें फायर-प्रूफ सीटें, कारपेट जैसे फर्श, पढ़ने के लिए एलईडी लाइटें, मोबाइल चार्जिंग प्वाइंट और ईको-फ्रेंडली बायो-टॉयलेट शामिल हैं...
ट्रेनों के एक नियमित यात्री और पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट ब्रजेश पांडेय का कहना है, "पिछले कुछ सालों से रेलवे किराया बढ़ाती रही, लेकिन सुविधाएं मुहैया कराने के मामले में वह कामयाब नहीं रही है... सो, इन आधुनिक डिब्बों के बारे में जानकर अच्छा लगा... मुझे इस बात पर फख्र है कि इन आधुनिक डिब्बों का निर्माण भारत में ही नहीं, मध्य प्रदेश में हुआ है..."
योजना है कि भोपाल की वर्कशॉप में इस तरह के कुल 111 डिब्बों का निर्माण किया जाएगा... तैयार हो चुके 20 डिब्बों का परीक्षण कामयाब रहा है, और मामूली फेरबदल और सुधार के बाद इन्हें रेल मंत्रालय की मंजूरी के लिए दिल्ली भेज दिया जाएगा...
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