खास बातें
- कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विश्वास जताया कि वार्ता के लिए अभी तक आगे नहीं आए संगठनों को हिंसा की निर्थकता का अहसास होगा और वे शांति प्रक्रिया में हिस्सा लेंगे।
गुवाहाटी: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विश्वास जताया कि वार्ता के लिए अभी तक आगे नहीं आए संगठनों को हिंसा की निर्थकता का अहसास होगा और वे शांति प्रक्रिया में हिस्सा लेंगे।
असम में कांग्रेस के लगातार तीसरे कार्यकाल का पहला वर्ष पूरा होने पर आयोजित आधिकारिक समारोह में सोनिया ने कहा, मैं यह देखकर खुश हूं कि वार्ता के माध्यम से असम में यूपीए और कांग्रेस नीत सरकार का प्रयास सकारात्मक रहा है, क्योंकि अधिकतर संगठनों ने हिंसा छोड़ने की घोषणा करने का निर्णय किया है।
उन्होंने कहा, अधिकतर उग्रवादी समूहों ने महसूस किया है कि हिंसा से किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता और शांति के लिए इस डगर को छोड़ दिया है। शांति की स्थापना और उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सरकार हरसंभव कदम उठाएगी। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि आज का दिन पार्टी के लिए उत्सव मनाने का दिन है।
उन्होंने कहा, साथ ही असम के लोगों ने हमें जो महती जिम्मेदारी सौंपी है, उसे हम महसूस करते हैं और उन्हें शांति, विकास और समृद्धि की राह पर ले जाने की प्रतिबद्धता दोहराते हैं। सोनिया ने कहा कि तरुण गोगोई ने 11 वर्ष पहले जब सत्ता संभाली थी, तो राज्य की स्थिति दयनीय थी। उन्होंने कहा, असम में अराजकता थी...उग्रवाद अपने चरम पर था, खजाना खाली था, सरकारी कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलता था, विकास काफी नीचे चला गया था, उद्योग एवं उद्योगपतियों का पलायन हो रहा था। उन्होंने कहा कि स्थिति को बदलने के लिए असम के लोगों ने कांग्रेस से हाथ मिलाया और राज्य को विकास की राह पर आगे ले गए। सोनिया गांधी के इस दौरे का उग्रवादी संगठन उल्फा ने विरोध किया और उसने असम बंद का भी ऐलान किया।
इससे पहले कल राज्य के तिनसुकिया जिले में हुए एक बम धमाके में एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि कुछ अन्य घायल हो गए। पुलिस और सुरक्षा एजेंसिया उल्फा की ओर से किए गए इस धमाके को बातचीत में रोड़ा अटकाने की कोशिशों के तौर पर देख रही हैं।