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This Article is From Sep 10, 2015

शिवसेना की जैन समुदाय को चेतावनी, जबरन शाकाहार थोपना भी एक तरह की हिंसा

शिवसेना की जैन समुदाय को चेतावनी, जबरन शाकाहार थोपना भी एक तरह की हिंसा
उद्धव ठाकरे ( फाइल फोटो)
मुंबई: मुंबई में मीट बैन को लेकर घमासान बढ़ता जा रहा है। एक ओर जहां अपने पर्यूषण पर्व की तैयारियों में लगा जैन समाज मीट बिक्री पर बैन की मांग पर अड़ा हुआ है, वहीं शिवसेना ने चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि जैन समाज मुसलमानों की तरह तुष्टिकरण के रास्ते पर न चलें।

शिवसेना के मुखपत्र सामना में उद्धव ठाकरे ने लिखा है कि अहिंसा के नाम पर किसी को उसके खाने से दूर करना भी एक तरह की हिंसा है। उन्होंने लिखा है कि जैन समुदाय अपनी बात मनवाने के लिए जिद पर इसलिए अड़ा है कि क्योंकि अर्थव्यवस्था में उनका दखल है, लेकिन ये शिवाजी का महाराष्ट्र है और ऐसे लोगों से निपटना हमें आता है।

ठाकरे ने चेतावनी देते हुए कहा है कि 1992-93 के दंगों में हिन्दू होने की वजह से मराठियों ने जैनों और उनके कारोबार को बचाया था, लेकिन अगर वे ऐसी मांगें करते रहे तो उनके साम्राज्य को ज़मीदोज करने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।

पर्यूषण अल्पसंख्यक जैन समाज का 15 दिन का पर्व है, जिसमें वे उपवास रखते हैं और समाज में अहिंसा का प्रचार करते हैं। इस पर्व में मांस बिक्री पर शहर में पाबन्दी के लिए बीजेपी ने जोर लगाया। तो शिवसेना उसके विरोध में खड़ी हो चुकी है। इस समय पूरे राज्य में पर्यूषण पर्व के चलते 2 दिन मांस बिक्री पर रोक लगाने के आदेश राज्य सरकार द्वारा जारी हो चुके हैं।

उद्धव आगे लिखते हैं कि पर्यूषण में हिंसा न हो इसलिए आग्रह करते जैन क्या इन दिनों ब्लैक मनी लेना बंद करेंगे? मुम्बई में ज्यादातर बिल्डर जैन समुदाय से हैं। क्या वे अपने सौदे में पर्युषण काल में काल धन नहीं लेंगे?

जाते-जाते उद्धव अपील करते हैं कि जिसे जो खाना है खाने दिया जाए। वैसे अहम बात है कि बीएमसी की  सत्ता पर काबिज शिवसेना की नाक के नीचे से बीजेपी ने मांस बिक्री पर रोक लगाने वाला फरमान जारी करवाया है, जिससे शिवसेना बौखलाने की सुगबुगाहट तेज़ है।

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